शिमला समझौते वाले बयान पर PAK ने थूक कर चाटा, भारत को 4 खत लिखकर मांगी रहम की भीख...
अनुच्छेद 370 को साल 2019 में रद्द करने से शिमला रूपरेखा अप्रचलित हो गई है : पाक-रक्षा मंत्री
शिमला समझौते को लेकर पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने ख्वाजा आसिफ ने एक दिन पहले ही जहर उगला था. इससे इतर पाकिस्तान को ऐसा कांटा चुभा है जिसकी टीस उसे चैन से जीने नहीं दे रही है. शहबाज शरीफ एंड कंपनी और फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की असली उलझन ये है, कि आतंकवाद को अपनी फॉरेन पॉलिसी मानने वालों की हालत धोबी के कुत्ते जैसी हो गई है. पाकिस्तान अब ना घर का रह गया न घाट का, ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान सरकार से लेकर आसिम मुनीर की लुटी पिटी फौज तक सब कंफ्यूज हैं कि करना क्या है और कहना क्या है. सिंधु जल समझौता रद्द करके भारत ने दुश्मन को छठी का दूध याद दिलाया है, दूसरी ओर ऑपरेशन सिंदूर के घाव भरने में दशकों का वक्त मिलेगा. यानी पाकिस्तान की बौखलाहट कैसे निकल रही है और पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाजा अब्बास खिसियानी बिल्ली बनकर कैसे खंभा नोच रहे हैं इसकी दो मिसाल आपको देते हैं.
भारत के आगे गिड़गिड़ाया पाकिस्तान
सूत्रों ने भीषण जल संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान ने भारत को चार बार पत्र लिखकर सिंधु जल संधि को बहाल करने के लिए कहा है, जिसे भारत की मोदी सरकार ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद निलंबित कर दिया गया था. पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक हमले के तहत भारत ने 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में दोनों पड़ोसियों के बीच जल-बंटवारे के समझौते को रोक दिया था, जब पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 26 हिंदुओं का धर्म पूछकर नरसंहार कर दिया था. पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा लिखे गए चार पत्रों में सचिव सैयद अली मुर्तजा ने भारत से ऑपरेशन सिंदूर से पहले मई में सिंधु जल संधि को रोकने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है. हालांकि बाद में मंत्रालय ने नई दिल्ली को तीन और पत्र लिखे और समझौता फौरन बहाल करने की अपील की है.
वर्ल्ड बैंक ने झाड़ा पल्ला !
सूत्रों के अनुसार, जल शक्ति मंत्रालय ने पाकिस्तान के सभी चार पत्रों को विदेश मंत्रालय को भेज दिया है. सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान ने इस मामले में मध्यस्थता करने वाले विश्व बैंक से भी हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया था. हालांकि, उन्होंने कहा कि विश्व बैंक ने इस मुद्दे पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया. सिंधु जल समझौते के तहत पूर्वी नदियाँ - सतलुज, व्यास और रावी - भारत को और पश्चिमी नदियां - सिंधु, झेलम और चिनाब - पाकिस्तान को आवंटित की गई हैं. पिछले महीने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंधु जल संधि के ठहराव पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पाकिस्तान को स्पष्ट कर दिया था कि पानी और खून एक साथ नहीं बह सकते हैं.
ट्रंप की चौखट में नाक रगड़ रहे ख्वाजा !
पाकिस्तान की बौखलाहट की दूसरी जिंदा मिसाल की बात करें तो 3 जून को पाकिस्तानी मंत्री ख्वाजा आसिफ ने 'शिमला समझौते' को ‘मृत’ घोषित किए जाने का ऐलान किया था. हालांकि इसके फौरन बाद ख्वाजा आसिफ अमेरिका से भारत के साथ मध्यस्थता कराने के लिए ट्रंप की चौखट पर नाक रगड़ने लगे थे.
बयानवीर ख्वाजा ने मारी पलटी !
पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा 1972 के शिमला समझौते को मृत दस्तावेज घोषित किए जाने के एक दिन बाद, पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने साफ किया कि भारत के साथ किसी भी द्विपक्षीय समझौते को रद्द करने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है, जिसमें ऐतिहासिक शिमला समझौता भी शामिल है. बड़बोले आसिफ की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया देते हुए पाक विदेश विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हालिया घटनाक्रमों ने इस्लामाबाद में ऐसी आंतरिक चर्चाओं को रफ्तार दी थी, लेकिन नई दिल्ली के साथ मौजूदा समझौतों को खत्म करने के लिए कोई औपचारिक कदम नहीं उठाया गया है.
सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 'फिलहाल, किसी भी द्विपक्षीय समझौते को समाप्त करने का कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है. उन्होंने संकेत दिया कि शिमला समझौते सहित सभी संधियां चालू हैं. बीते मंगलवार यानी 3 जून को एक टीवी इंटरव्यू के दौरान, रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा था- भारत की एकतरफा कार्रवाई खासतौर से जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 को साल 2019 में रद्द करने से शिमला रूपरेखा अप्रचलित हो गई है.
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