सुरक्षा बलों और सेना जैसी संस्थाएं संविधान की मर्यादा में रहकर देश की सेवा करती हैं.नेता क्यों नहीं !
सुरक्षा बलों को लेकर सियासत और बीजेपी की छवि पर गहराता सवाल !
भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां सुरक्षा बलों और सेना जैसी संस्थाएं संविधान की मर्यादा में रहकर देश की सेवा करती हैं। वे राजनीति से परे होती हैं और आमजन के विश्वास की सबसे मजबूत कड़ी मानी जाती हैं। किंतु हाल के वर्षों में, और विशेष रूप से चुनावी मौसम में, कुछ राजनीतिक नेताओं द्वारा सेना और सुरक्षा बलों को लेकर दिए गए विवादित बयानों ने न केवल इन संस्थाओं की गरिमा को आघात पहुंचाया है, बल्कि इससे जुड़ी राजनीतिक पार्टियों की छवि भी प्रभावित हो रही है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा), जो राष्ट्रीय सुरक्षा को अपने प्रमुख एजेंडे के रूप में प्रस्तुत करती रही है, उसके कुछ नेताओं के गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्यों ने हाल के दिनों में पार्टी की साख पर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं। कभी सेना की कार्रवाइयों का श्रेय पार्टी विशेष को दिया जाता है, तो कभी शहीदों की शहादत को वोट बटोरने के साधन की तरह भुनाया जाता है। इससे न केवल जवानों के मनोबल पर असर पड़ता है, बल्कि आम नागरिकों के मन में भी यह आशंका जन्म लेती है कि कहीं हमारे सैनिक भी सियासत का हिस्सा तो नहीं बनाए जा रहे।
इस तरह के वक्तव्य न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों के विरुद्ध हैं, बल्कि यह भारतीय सेना की तटस्थ और पेशेवर छवि को भी चोट पहुंचाते हैं। भाजपा को यह समझना होगा कि यदि वह ‘राष्ट्रवाद’ और ‘राष्ट्र की सुरक्षा’ को अपना आधार बनाकर जनविश्वास पाना चाहती है, तो उसे सबसे पहले इन संस्थाओं की निष्पक्षता और गरिमा को अक्षुण्ण बनाए रखना होगा।
आज समय की मांग है कि सभी राजनीतिक दल—विशेषकर सत्ताधारी पार्टी—यह सुनिश्चित करें कि सेना और सुरक्षा बलों को सियासी विमर्श से दूर रखा जाए। उनका उपयोग सिर्फ देश की सुरक्षा के लिए होना चाहिए, न कि चुनावी लाभ के लिए। वर्ना धीरे-धीरे वह भरोसा दरकने लगेगा, जो दशकों से देशवासियों ने इन संस्थाओं में कायम रखा है।
राजनीतिक लाभ की चाह में यदि सैन्य बलों को भाषणों और नारों में लपेटा जाता रहा, तो यह न केवल राष्ट्रहित के विरुद्ध होगा, बल्कि लोकतंत्र की जड़ों को भी कमजोर करेगा। भाजपा को अपने नेताओं की भाषा पर लगाम लगानी होगी—वरना ‘राष्ट्रवादी’ छवि की आड़ में पनपती गैर-जिम्मेदारी अंततः उसी छवि को धूमिल कर देगी।
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