G News 24 : लोकतंत्र की रीढ़ होता है, मुक्त और निष्पक्ष मीडिया !

3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस सिर्फ पत्रकारों का नहीं, बल्कि हर उस नागरिक का है जो सच जानना चाहता है...

लोकतंत्र की रीढ़ होता है, मुक्त और निष्पक्ष मीडिया !

3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन सिर्फ पत्रकारों का नहीं, बल्कि हर उस नागरिक का है जो सच जानने का अधिकार रखता है। यह दिवस हमें याद दिलाता है कि मुक्त और निष्पक्ष मीडिया किसी भी लोकतंत्र की रीढ़ होता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 1993 में इस दिवस को मान्यता दी थी, जिसकी प्रेरणा विंडहोक घोषणा (1991, नामीबिया) से मिली — एक ऐसा ऐतिहासिक दस्तावेज जिसने स्वतंत्र, विविधतापूर्ण और स्वतंत्र प्रेस के महत्व को वैश्विक स्तर पर स्थापित किया।

हर वर्ष की तरह, इस बार की थीम भी समसामयिक है- “प्रेस फ्रीडम इन द फेस ऑफ द एटैक ऑन जर्नलिज्म” (पत्रकारिता पर हो रहे हमलों के बीच प्रेस की स्वतंत्रता)।

  • यह हमें चेताता है कि पत्रकार केवल कलम नहीं चलाते, वे सत्य की मशाल थामे समाज को दिशा दिखाते हैं और इसी रास्ते पर वे कई बार धमकियों, दबावों और हमलों का सामना करते हैं।
  • भारत जैसे विशाल लोकतंत्र में जहाँ पत्रकारों की संख्या लाखों में है, वहाँ प्रेस की भूमिका और भी अहम हो जाती है। किंतु हाल के वर्षों में पत्रकारों की हत्या, गिरफ्तारी, ट्रोलिंग, और मीडिया पर राजनीतिक-आर्थिक दबाव जैसे मुद्दे चिंताजनक बनते जा रहे हैं। 
  • प्रेस की स्वतंत्रता केवल पत्रकारों के लिए नहीं, पूरे समाज के लिए जरूरी है। एक मौन मीडिया, एक अंधा समाज बनाता है।
  • आज के दिन आवश्यकता है आत्मचिंतन की, क्या हम एक ऐसा माहौल बना पा रहे हैं जहाँ पत्रकार निडर होकर जनता के पक्ष में सच लिख सकें?
  • उम्मीद की किरण है, जब नागरिक स्वयं निष्पक्ष पत्रकारिता की मांग करते हैं और फेक न्यूज के विरुद्ध खड़े होते हैं। यही जनजागरूकता, आज की सबसे बड़ी ताकत है।
  • सच बोलना साहस है, और सच सुनना जागरूकता।

आइए, इस विश्व प्रेस दिवस पर हम स्वतंत्र, सशक्त और उत्तरदायी मीडिया के पक्ष में खड़े हों।

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