G News 24 : अवैध रेत खनन और वसूली की खबरें चलाने पर SP ऑफिस परिसर में पत्रकारों को पुलिस ने पीटा !!!

 आखिरकार प्रदेश में अधिकारी इतने निंकुश और अग्रेसिव क्यों होते जा रहे हैं ...

अवैध रेत खनन और वसूली की खबरें चलाने पर SP ऑफिस परिसर में पत्रकारों को पुलिस ने पीटा !!!

1 मई विश्व पत्रकार स्वतंत्रता दिवस के दिन पुलिस अधीक्षक कार्यालय में पुलिस अधीक्षक सामने पत्रकारों के साथ जिस प्रकार की घटना हुई है नि:संदेह घोर निंदनीय है। पत्रकार कोई भी हो सच दिखाने की हर संभव कोशिश करता है, और यदि कोई व्यक्ति पत्रकारिता के नाम पर किसी के साथ ब्लैकमेलिंग और पैसे की उगाही करता है। तो उस पर कानून के दायरे में रहकर कार्रवाही की जा सकती है। यूं सरे आम अपने कार्यालय में किसी को इस प्रकार अपमानित करना या मारपीट करना एकदम गलत है।  

हर खबर के दो पहलू होते हैं क्राइम से जुडी कोई भी खबर को जब एक पत्रकार चलाता है तो वह एक पक्ष के लिए हीरो तो दूसरे पक्ष की नजरों में विलन बन जाता है ! क्योंकि खबर एक के लिए हितकारी होती है तो दुसरे के लिए कानूनी मुसीबत खड़ी कर सकती है यही कारण है जो पक्ष चलाई जाने वाली खबर से स्वयं को नुक्सान में पाता है तो वह पत्रकार को सीधे-सीधे ब्लेकमेलर साबित करने में जुट जाता है। उस व्यक्ति द्वारा पत्रकार पर पैसे मांगने या अन्य प्रकार का दबाब बनाये जाने का आरोप लगाया जाता है। 

...तो पत्रकार के साथ साथ उस व्यक्ति की भी जांच की जाकर पता किया जाना चाहिए कि आमुक पत्रकार किस बात के लिए और क्यों ब्लेकमेल कर रहा था और वह  व्यक्ति किस बात या सबूत को छिपाने के बदले पैसा दे रहा था। क्योंकि जो सच्चा होगा वह पत्रकार तो क्या बड़े से बड़े अफसर से भी नहीं डरेगा। इसलिए अफसरों को भी अपने राजनैतिक रसूख के चलते इतना निंकुश और अग्रेसिव नहीं होना चाहिए। क्योंकि राजनैतिक व्यवस्था स्थाई नहीं है। आप पब्लिक सर्वेंट हैं आपको अपनी मर्यादा और कानून के दायरे में रहकर ही कार्य करना उचित रहता है। 

आरोप हर व्यक्ति लगता है यदि आपकी पॉजिटिव खबर किसी पत्रकार ने निकाल दी तो पत्रकार बहुत अच्छा है हमारा साथी है यदि इस पत्रकार ने आपकी नेगेटिव खबर निकाल दी तो पत्रकार ब्लैकमेलर है यदि भिंड एसपी इन पर कार्यवाही करना चाहते थे तो इन पर ब्लैकमेलिंग का आरोप जो लगा रहा था उसे पहले जांच तो लेते कि आमुक पत्रकार क्यों और किस लिए लिए ब्लेकमेल कर रहा था क्योंकि ब्लेकमेल होने वाला कोई राजा हरिश्चंद्र तो होगा नहीं वह भी कही न कहीं गलत होगा तभी तो इन पत्रकारों की इन्हें ब्लेकमेल करने की हिम्मत हुई होगी। 

आप एक जिम्मेदार पद पर आसीन हैं आपको इस प्रकार का व्यवहार  करने का अधिकार किसने दिया। आपके कार्यालय परिसर में पत्रकारों की चप्पलों से जमकर पिटाई की गई। आपके कार्यालय में  लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली एक गंभीर और निंदनीय घटना घटी और आपके द्वारा अभी तक इस घटना पर कोई संज्ञान नहीं लिया है। 

पीड़ित पत्रकारों के अनुसार पुलिस अधीक्षक कार्यालय परिसर में पत्रकारों को सिर्फ इसलिए पीटा गया क्योंकि उन्होंने पुलिस के खिलाफ अवैध रेत खनन और वसूली की खबरें प्रकाशित की थीं। पीड़ित पत्रकारों के अनुसार उनके साथ मारपीट करने में भिंड पुलिस अधीक्षक असित यादव, एवं एडिशनल एसपी संजीव पाठक, एवं सी एस पी दीपक तोमर एवं फूप थाना प्रभारी सत्येंद्र राजपूत, एवं ऊमरी थाना प्रभारी शिव प्रताप सिंह, एवं भारौली थाना प्रभारी गिरीश शर्मा , सिटी कोतवाली थाना प्रभारी बृजेंद्र सेंगर, देहात कोतवाली मुकेश शाक्य, एवं बरौही थाना प्रभारी अतुल भदौरिया, ए एस आई सत्यवीर सिंह साइबर सेल। इन सभी अधिकारियों की मिलीभगत से पत्रकारों की चप्पलों से जमकर पिटाई की गई।

न्यूज़ 24 एमपी-सीजी के रिपोर्टर धर्मेंद्र ओझा के घर को पुलिस ने रात्रि में 12:00 बजे घेर लिया और रिपोर्टर का मोबाइल छुड़ाकर जो अधिकारियों के खिलाफ सबूत थे वह पूरी तरह से डिलीट कर दिए दिए। एक दलित पत्रकार शशिकांत जाटव को जाति पूछ कर निर्ममता से पीटा। आज हालात यह है कि भिंड के पत्रकार शहर छोड़ कर भाग गए है। गौर तलब है कि एसपी असित यादव बालाघाट में RSS प्रचारक सुरेश यादव के साथ पिटाई के मामले में चर्चित रहे  है जिसपर उन्हें जिले से हटाया भी गया था।

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