G News 24 : गुजरात धरोहर थीम पर सिंधिया कन्या विद्यालय में चल रहा है सातवां आयोजन

 श्रीमंत माधव राव सिंधिया धरोहर फैस्ट... 

गुजरात धरोहर थीम पर सिंधिया कन्या विद्यालय में चल रहा है सातवां आयोजन 

सिंधिया कन्या विद्यालय में सातवाँ श्रीमंत माधव राव सिंधिया धरोहर फैस्ट का सातवां आयोजन चल रहा है। इस वर्ष इस उत्सव की थीम गुजरात धरोहर है। इस कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालयों से लगभग 250 छात्र- छात्राओं ने भाग लिया। इसमें मेजबान विद्यालय सिंधिया कन्या विद्यालय सहित देश के 15 नामचीन विद्यालय के स्टूडेंट प्रतिनिधित्व कर रहे है।  ये समस्त कार्यक्रम विद्यालय प्राचार्या श्रीमती निशी मिश्रा की अध्यक्षता में संपन्न किये जा रहे हैं ।

गुरूवार के आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में उमंग हटीसिंह उपस्थित थे। हटीसिंह ‘हटीसिंह हैरिटेज फाउंडेशन’ के संस्थापक अध्यक्ष हैं। आप ‘हटीसिंह विजुअल आर्ट सेंटर’ के प्रबंध ट्रस्टी भी हैं, जो; ‘रवींद्रनाथ टैगोर शांतिनिकेतन’ की सहयोगी संस्था है। वर्तमान में आप ‘हटीसिंह डिज़ाइन कंपनी’ के अध्यक्ष और क्रिएटिव डायरेक्टर हैं। वर्तमान में वे क्रमशः कर्णावती विश्वविद्यालय, पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम विश्वविद्यालय, सलाहकार समिति : विरासत और संस्कृति,गुजरात सरकार, सलाहकार बोर्ड : विरासत विभाग,अहमदाबाद नगर निगम, प्रबंध समिति : अहमदाबाद प्रबंधन एसोसिएशन के सदस्य हैं।

आयोजन में  सिंधिया कन्या विद्यालय की 24 छात्राओं द्वारा अर्वाचीन गरबा नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसमें दीपक हाथ में लेकर छात्राओं ने माता जी की स्तुति प्रस्तुत की। तत्पश्चात ब्लाइंड स्कूल की 12 छात्राओं द्वारा माता की आराधना करते हुए गरबा की भव्य प्रस्तुति दी गयी। मेजबान टीम सहित प्रत्येक विद्यालय के एक प्रतिनिधि को ध्वजा रोहण के लिए मंच पर आमंत्रित किया गया। विद्यालय प्राचार्या श्रीमती निशि मिश्रा द्वारा स्वागत भाषण प्रस्तुत किया गया। उन्होंने विभिन्न विद्यालयों से आए प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं तथा समस्त विद्यालयों के प्राचार्यों को धन्यवाद दिया। विद्यालय प्राचार्या, मुख्य अतिथि, निर्णायक मंडल, उप प्राचार्या तथा इवेंट कोर्डिनेटर द्वारा धरोहर ब्रोशर का विमोचन किया गया। 

सर्वप्रथम गुजराती सुगम संगीत एकल प्रतियोगिता विद्यालय सभागार में प्रारम्भ हुई जिसमें प्रत्येक विद्यालय की 1-1 छात्रा ने भाग लिया क्रमशः सिंधिया कन्या विद्यालय- आद्या जैन ने गुजरात का लोक गीत प्रस्तुत किया, राजमाता कृष्णा कुमारी गर्ल्स पब्लिक स्कूल, जोधपुर- मनस्वी भंडारी ने 'मेहंदी दे वाबी' गीत प्रस्तुत किया, संस्कार वैली स्कूल, भोपाल- स्वस्ति रघुवंशी ने नागन नंद प्रस्तुत किया जो भगवान कृष्ण से संबंधित था, राजकुमार कॉलेज, राजकोट- रुकैया बरमल ने वैष्णव जंतु भजन गाकर सभी को भाव विभोर कर दिया।

तत्पश्चात माता नी पचेड़ी (पेंटिंग) प्रतियोगिता प्रारम्भ हुई जिसमें समस्त प्रतिभागियों को मेजबान विद्यालय द्वारा 2/3 का कपड़ा प्रदान किया गया। इसमें सभी प्रतिभागियों द्वारा हिन्दू महाकाव्य को आधार बनाकर माता का चित्र लाल और काले रंग से बनाया गया। इसमें प्रत्येक विद्यालय की 2-2 छात्राओं ने भाग लिया क्रमशः सिंधिया कन्या विद्यालय- सिद्धि बदोनिया, जिया राजकुमारी , संस्कार वैली स्कूल, भोपाल- उन्नति गुप्ता, दीया चंद्रकांत, विद्या देवी जिंदल स्कूल, हिसार - संजना पोद्दार, नैना पोद्दार, सनबीम स्कूल, लहरतारा- वंशिका सिंह, कौशिकी अग्रवाल आदि ने भाग लिया।

तत्पश्चात कच्छ लिप्पन कला प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने मोल्डिड क्ले तथा शीशे का प्रयोग करके कच्छ कला को प्रदर्शित किया। इसमें प्रत्येक विद्यालय की 2-2 छात्राओं ने भाग लिया क्रमशः सनबीम स्कूल, वरुणा- श्रेया चौरसिया, तनिष्का रघुवंशी, सिंधिया कन्या विद्यालय - निहारिका बोस, कनक लाहोटी, संस्कार वैली स्कूल, भोपाल- सिंजा कुमार, अवनी देशमुख, सिंधिया स्कूल, ग्वालियर- निबिर ज्योति नाथ, प्रांजल शर्मा आदि ने भाग लिया।

तत्पश्चात रबारी भरोत कढ़ाई प्रतियोगिता संपन्न हुई। रबारी समुदाय अपनी जटिल कढ़ाई के लिए प्रसिद्ध है, जो उनकी खानाबदोश विरासत का प्रतिनिधित्व करता है। यह शिल्प उनकी पौराणिक कथाओं, अनुष्ठानों, संस्कृति और जीवन शैली को दर्शाता है। प्रतिभागियों को रबारी भरोत कढ़ाई का उपयोग करके एक कुशन कवर बनाया। इसमें प्रत्येक विद्यालय की 2-2 छात्राओं ने भाग लिया क्रमशः राजकुमार कॉलेज, राजकोट- भारगी सोजित्रा मिशवा लोधीया, ग्वालियर सिंधिया कन्या विद्यालय - कोन्सम लिकलाइलइमा, नैन्सी अग्रवाल, हैरिटेज गर्ल्स स्कूल, उदयपुर -आंचल सोनी, अवनि नाहर, स्टेपिंग स्टोन्स हाई स्कूल, औरंगाबाद - तहनियात नाबी, आशना शिंदे आदि ने भाग लिया।

तत्पश्चात अजरख ब्लॉक प्रिंटिंग में प्रतिभागियों को 60/40 का कपड़ा दिया गया जिसमें प्रतिभागियों ने लकड़ी के ब्लॉक्स का प्रयोग करके विभिन्न रंगों से गुजराती अजरख प्रिंटिंग से डाइनिंग टेबल सेंटर रनर बनाए। इसमें प्रत्येक विद्यालय की 2-2 छात्राओं ने भाग लिया क्रमशः दिल्ली पब्लिक स्कूल, पठानकोट- अश्मीत कौर, कामाक्षी शर्मा, सिंधिया कन्या विद्यालय - कोन्सम लिकलाइलइमा, हिमांशी चमड़िया, महारानी गायत्री देवी गर्ल्स स्कूल, जयपुर- हिमांशी शक्तावत, मोक्षिता खुराना, बिरला पब्लिक स्कूल, पिलानी- पृथ्विश कुमार, कृष्ण श्याम आदि ने भाग लिया। 

तत्पश्चात गुजराती लोक नृत्य सांयकालीन सत्र में गुजराती लोक नृत्य प्रतियोगिता आयोजित की गयी जिसमें प्रत्येक विद्यालय की 6-8 छात्राओं ने भाग लिया। प्रतिभागियों द्वारा गुजरात राज्य की जीवंत संस्कृति का प्रतिनिधित्व करते हुए गुजरात के रास, तिप्पनी या हुडो लोक नृत्य प्रस्तुत किये गए। सिंधिया कन्या विद्यालय से सिद्धि बदोनिया, गौरी बर्मन, आरुषि तिवारी, जयति धवन, सुहावी दलमोत्रा, मनस्वी मुद्गल, दित्या रूंगटा, सताक्षी अग्रवाल, संस्कार वैली स्कूल, भोपाल- माही महेश्वरी, दीया चंद्रकांत, उन्नति गुप्ता, नाम्या गुप्ता, सायशा रघुवंशी, अदविता शर्मा, ऋषिता चौधरी, अवनी देशमुख , दिल्ली पब्लिक स्कूल, पठानकोट- अर्ना मित्ता, वाणी महाजन, अनुरीत कौर, गुरप्रीत कौर, हर्षलप्रीत कौर केशिका आदि ने भाग लिया।

गुजराती सुगम संगीत, गुजराती लोक नृत्य, कच्छ लिप्पन कला तथा अजरख ब्लॉक प्रिंटिंग के निर्णायक मंडल के रूप में श्री भारत भरोत, पीयू गढ़वी, अक्षय पटेल, डॉ. पारुल शाह, उमंग हट्टे सिंह तथा सुश्री अमिता पंड्या उपस्थित थीं। इस कार्यक्रम में विद्यालय प्राचार्या निशी मिश्रा, बरसर- सेल्विन माईकेल, उप प्राचार्या- गरिमा सांधु, इवेंट कोऑर्डिनेटर- शिवांगी सहाय, मीडिया प्रभारी - श्रीमती वैशाली श्रीवास्तव, कविता पिल्लई, श्वेता चौधरी, कल्पना शर्मा, भुजिंग राव, वैभव भगत तथा समस्त स्टाफ उपस्थित था।

 मुख्य अतिथि ने अपने उद्बोधन में कहा “मैं सिंधिया कन्या विद्यालय के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ कि उन्होंने मुझे इस धरोहर फैस्ट में सम्मिलित होने का अवसर प्रदान किया। यहाँ आकर मुझे गुजरात की संस्कृति को देखकर अत्यंत गर्व और ख़ुशी महसूस हो रही है। उन्होंने बताया कि कैसे भारत के गुजरात राज्य के टेक्सटाइल्स से पूरी दुनिया प्रभावित है तथा विभिन्न देश क्रमशः ग्रीस, चीन, रोम, फ्रांस, अमेरिका आदि गुजरती टेक्सटाइल्स को अपना रहे हैं। उन्होनें भारत के इतिहास से सबका परिचय कराया, साथ ही यह भी बताया की गुजरात में सबसे पुराने किस्म का कॉटन पाया जाता है। उन्होनें कपडा बनाने का आवश्यक तत्व रुई तथा इंडिगो पेड़ की महत्ता पर प्रकाश डाला।

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