G News 24 : मौजूदा पॉलिसी बनाम लोकलुभावन वादों के बीच है मुकाबला : यूबीएस

 बीजेपी-कांग्रेस के घोषणा पत्र में ...

मौजूदा पॉलिसी बनाम लोकलुभावन वादों के बीच है मुकाबला :  यूबीएस

देश की दोनों ही प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस और बीजेपी ने लोकसभा चुनावों को लेकर अपना अपना घोषणा पत्र जारी कर दिया है. आर्थिक क्षेत्र से जुड़े दिग्गज और विशेषज्ञों ने दोनों ही दलों के घोषणापत्र का पोस्टमार्टम करना भी शुरू कर दिया है. दुनिया की दिग्गज फाइनेंशियल फर्म यूबीएस ने राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र की समीक्षा करते हुए रिसर्च नोट जारी किया है. 

यूबीएस ने की घोषणा पत्रों की समीक्षा 

यूबीएस (UBS) ने अपने नोट में भारत की आर्थिक तस्वीर को ध्यान में रखते हुए, क्या मोदी जीतेंगे? चुनावी घोषणा पत्र: नीति निरंतरता बनाम लोकलुभावनवाद शीर्षक के नाम से राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र को लेकर रिसर्च पेपर जारी किया है. यूबीएस ने अपने रिसर्च पेपर में बताया कि चुनावी घोषणापत्रों में राजनीतिक दलों ने युवा, महिला, किसानों, गरीब और अल्पसंख्यकों पर अपना ध्यान केंद्रित किया है. यूबीएस ने बताया कि उसने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए बीजेपी, कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी समेत क्षेत्रीय दलों के घोषणा पत्र की समीक्षा की है. राजनीतिक दल कानूनी रूप से घोषणा पत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए बाध्य नहीं हैं लेकिन मध्यम अवधि में ग्रोथ और मैक्रो स्टैबिलिटी के लिए पॉलिसी का चुनाव और रिफॉर्म नैरेटिव सेट करने के लिए बहुत मायने रखते हैं. 

लोकलुभावन घोषणाएं बढ़ाएगी वित्तीय बोझ!

यूबीएस के मुताबिक बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा कि कैसे उसने पिछले दशक में कम महंगाई दर के साथ हाई ग्रोथ और फिस्कल प्रूडेंस का प्रदर्शन किया है और आगे भी वो इसी पथ पर चलती रहेगी. पार्टी ने ये गारंटी दिया है कि अगले पांच वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था होगी. यूबीएस ने कहा कि पॉलिसी में निरंतरता पर ध्यान केंद्रित करना बिजनेस सेंटीमेंट के लिए फायदेमंद रहेगा और इससे प्राइवेट कॉरपोरेट कैपिटल एक्सपेंडिचर को बढ़ावा मिलेगा. यूबीएस के मुताबिक कांग्रेस ने भी अपने घोषणा पत्र में कुछ सही बातें कही है लेकिन ये लोकलुभावन ज्यादा है. नोट में कहा गया कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में किए गए लोकलुभावन वादों को पूरा करने से राजकोषीय घाटा बढ़कर जीडीपी का 7 से 8.5 फीसदी तक हो जाएगा जबकि बीजेपी सरकार ने अंतरिम बजट में जीडीपी का 5.1 फीसदी राजकोषीय घाटा रखने का लक्ष्य रखा है. यूबीएस के मुताबिक राजकोषीय घाटा के बढ़ने से मैक्रो स्टैबिलिटी को झटका लगेगा और इसके चलते निजी कॉरपोरेट कैपेक्स रिकवरी में और देरी होगी.    

मैन्युफैक्चरिंग पर कांग्रेस बीजेपी का जोर

यूबीएस ने बीजेपी कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के घोषणा पत्र में अलग अलग एजेंडे को लेकर कही गई बातों की तुलना भी की है. इकोनॉमी को लेकर बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कहा कि वो भारत को पांचवीं से तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाएगी और भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाएगी. कांग्रेस ने नई आर्थिक नीति को लागू करने के साथ रोजगार के सृजण, वेल्थ क्रिएशन और सामाजिक सुरक्षा पर जोर देने का वादा किया है. साथ ही पार्टी ने जीडीपी में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी को मौजूदा 14 फीसदी से बढ़ाकर 20 फीसदी करने का वादा किया है. 

MSP की कानूनी गारंटी

कृषि क्षेत्र को लेकर बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को लागू करने के लिए इंटीग्रेटेड प्लानिंग और समन्वय के साथ लागू करने के लिए कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन बनाने का वादा किया है. कृषि आधारित एक्टिविटीज के लिए भारत कृषि सैटेलाइट बनाने के साथ दालों और खाने के तेल के मामले में भारत को आत्मनिर्भर बनाने का वादा किया गया है. जबकि कांग्रेस ने स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करते हुए न्यूनतम समर्थन मुल्य (MSP) को कानूनी गारंटी देने का वादा किया है. डीएमके ने किसानों के कर्ज माफी का वादा किया है. 

कांग्रेस देगी 1 लाख रुपये सालाना, बीजेपी मुफ्त अनाज

बीजेपी ने ग्रामीण भारत और गरीबों के लिए अपने घोषणा पत्र में पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अगले पांच वर्ष तक मुफ्त राशन देने का वादा किया है. पीएम सूर्य घर मुफ्त बिजली योजना के तहत मुफ्त बिजली देने, पीएम मुद्रा योजना के तहत लोन की रकम की सीमा को 10 लाख से बढ़ाकर 20 लाख करने और गरीबों के लिए 3 करोड़ नए घरों के निर्माण का वादा किया है. जबकि कांग्रेस ने महालक्ष्मी स्कीम के तहत हर गरीब परिवार की महिला को सालाना 1 लाख रुपये देने का वादा किया है. मनरेगा के तहत 400 रुपये प्रति दिन न्यूनतम वेतन देने के अलावा पूरे देश में स्वच्छ पीने का पानी देने का भी वादा किया गया है. इसके अलावा पीडीएस के तहत दाल और खाने के तेल देने कांग्रेस ने अपने मैनिफेस्टो में जिक्र किया है.    

30 लाख सरकारी नौकरी का वादा!

रोजगार का मुद्दा इस चुनाव में छाया हुआ है. तो बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में मैन्युफैक्चरिंग में पीएलआई स्कीम और मेक इन इंडिया के जरिए रोजगार के अवसर बढ़ाने, खिलौना मैन्युफैक्चरिंग के मामले में भारत को प्रमुख केंद्र के तौर पर विकसित करने, पर्यटन में रोजगार के अवसर बढ़ाने के साथ ज्यादा से ज्यादा ग्लोबल कैपेबिलिटी सेंटर्स, ग्लोबल टेक सेंटर्स और ग्लोबल इंजीनियरिंग सेंटर्स बनाने का वादा किया है. रोजगार के मुद्दे पर कांग्रेस के घोषणा पत्र में किए गए वादों पर नजर डालें तो पार्टी ने हर डिप्लोमा होल्डर और ग्रेजुएट को अप्रेंटिसशिप के अधिकार के तहत एक साल के लिए अप्रेंटिसशिप देने का वादा किया है. मनरेगा के जैसे शहरी इलाकों के लिए रोजगार गारंटी योजना शुरू की जाएगी. कांग्रेस ने केंद्र सरकार में खाली पड़े 30 लाख पदों को भरने का वादा किया है. साथ ही आर्थिक रूप से कमजोर लोगों के लिए नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी कोटा देने का वादा किया है. साथ ही 15 मार्च 2024 तक सभी एजुकेशन लोन के बकाये ब्याज को माफ किया जाएगा.

  बीजेपी देगी बुजुर्गों को स्वास्थ्य बीमा, कांग्रेस लाएगी GST 2.0

स्वास्थ्य के मुद्दे पर बीजेपी ने 70 साल से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिक और ट्रांसजेंडर को आयुष्मान भारत योजना का लाभ देने का वादा किया है जिसमें इलाज पर होने वाले 5 लाख रुपये तक के खर्च पर सरकार बीमा कवर प्रदान करती है. कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में गरीबों को 25 लाख रुपये तक का कैशलेस इंश्योरेंस का लाभ देने का वादा किया है. इंफ्रास्ट्रक्चर के मुद्दे पर भी बीजेपी और कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में बड़े-बड़े वादे किए हैं. टैक्स और जीएसटी के मोर्चे पर बीजेपी ने जीएसटी के पोर्टल को और सरल बनाने का वादा किया है तो कांग्रेस ने नए सिरे से एक रेट वाले जीएसटी 2.0 लाने का वादा किया है. कांग्रेस ने डायरेक्ट टैक्स कोड लाने के साथ स्टेबल पर्सनल इनकम टैक्स रेट का भरोसा दिया है. और यूनियन सेस और सरचार्ज को ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू  का 5 फीसदी रखने का भरोसा दिया है. 

कांग्रेस से वादों से बढ़ेगा वित्तीय बोझ 

यूपीएस ने अपने नोट में कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में कई लोकलुभावन वादे किए गए हैं पर इसमें ये नहीं बताया गया है कि खजाने पर इसका कितना बोझ आएगा. यूबीएस ने कहा कि कांग्रेस के सभी घोषणाओं को लागू किया गया तो जीडीपी का 2 से 3 फीसदी तक का अतिरिक्त वित्तीय बोझ सरकार के खजाने पर आएगा. नोट में कहा गया कि ये भी स्पष्ट नहीं किया गया है कि क्या पुरानी कल्याणकारी योजनाओं को वापस लिया जाएगा. यूबीएस ने कहा कि जबतक इकोनॉमिक रिकवरी और तेज ना हो जाए और ज्यादा टैक्स नहीं लगाया जाएगा इसे लागू करना संभव नजर नहीं आ रहा जबकि कांग्रेस पूरे कार्यकाल के दौरान इनकम टैक्स रेट्स को स्टेबल रखने, केंद्र सरकार के सेस और सरचार्ज को ग्रॉस टैक्स रेवेन्यू का 5 फीसदी पर स्टेबल रखने की बात कर रही है. 

ओपिनियन पोल में बीजेपी  का बेहतर प्रदर्शन !

यूबीएस ने अपने रिसर्च नोट में कहा, हम चुनावों के नतीजों की भविष्यवाणी नहीं कर रहे क्योंकि पूर्व में भी ओपिनियन पोल और एग्जिट पोल गलत साबित हुए हैं हालांकि हाल में किए गए ओपिनियन पोल में चुनावों में बीजेपी के बेहतर प्रदर्शन की बात की जा रही है. इन रूझानों के आधार पर कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. हालिया विधानसभा चुनाव के नतीजे बता रहे कि मोदी फैक्टर, उनके सरकार के काम और सरकार द्वारा लागू किए गए कल्याणकारी योजनाओं का बीजेपी को बड़ा लाभ हुआ है. लोकसभा चुनावों के बावजूद सरकार लोकलुभावन एलान करने से बचती आई है. यूबीएस के मुताबिक राजनीतिक स्थिरता से पॉलिसी निरंतरता बनी रहेगी जिसका मार्केट सेंटीमेंट पर अच्छा असर देखने को मिलेगा. 

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