G News 24 :किसान अन्नदाता नहीं,सिर्फ अन्न का उत्पादनकर्ता है, इसलिए धन्यवाद का पात्र हो सकता है !

किसान अन्न उगाता जिससे उसकी सभी जरूरतें पूरी होती हैं, ये बात उसे समझनी चाहिए ...

किसान अन्नदाता नहीं,सिर्फ अन्न का उत्पादनकर्ता है, इसलिए धन्यवाद का पात्र हो सकता है !

किसान अन्न उगाता इसलिए बे-शक धन्यवाद का पात्र है लेकिन यूं देश में बबाल मचाने का अधिकारी नहीं। मेरा धन्यवाद तो टाटा, रिलायंस, इन्फोसिस, महिन्द्रा, टीवीएस जुपिटर, हाँडा एक्टिवा, बजाज, ओरियन्ट, ऊषा, क्राम्पटन, मारुति सुजुकी, हीरो, एवरेडी, ले लैन्ड, अमूल, मदर डेरी, पराग, एम डी एच मसाले, गोल्डी, बीकानेरी भुजिया, हल्दीराम आदि सहित तमाम उधोगिक एवं निर्माण इकाइयों, डॉक्टर, कारीगर, प्लमबर,मजदूर ,सेना, सभी विभागों में आदि में कार्यरत हर अधिकारी कर्मचारी,सेना,पुलिस और हर रेहड़ी ठेलेवाले को,हर उस सेवा देने वाले को जो अपने काम को पूरी निष्ठां से करते है।  जिन्होंने हमारे लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न किये जिससे हम किसानों से उनकी फसल खरीद पा रहे हैं और रोटी खा पा रहे हैं।

किसान किसी को फ्री में अन्न नहीं देता है तो फिर किस बात का अन्नदाता दाता किसी चीज का दाम नहीं मांगता है। अभी तक मुझे तो कम से कम किसी ने मुफ़्त में गेँहू की बोरियाँ नहीं भिजवाई है। काम ना होता तो मुफ़्त में किसको धन्यवाद देता भाई ! और क्यों ?

किसान कोई  अन्नदाता नहीं हो सिर्फ अन्न उत्पादक है। अन्न दाता सिर्फ एक है, वो परमात्मा और तुम कभी परमात्मा की जगह नहीं ले सकते। अगर तुम खुद को अन्न दाता कहते हो तो हम भी कर दाता है, जिसके कारण तुम्हें मुफ्त में बिजली, पानी, कर्जमाफी व सब्सिडी की सुविधाएं मिल रही हैं। 

भारतीय सरकार की मेहरबानी के कारण के चलते भारतीय किसानों के ऊपर किसी प्रकार का कोई इनकम टैक्स या सेल्स टैक्स नहीं लगता है।  उसके ऊपर से सरकार की तरफ से सरकारी पैसे के साथ किसानों को मुफ्त की सुविधाएं दी जाती हैं। जैसे मुफ्त की बिजली, मुफ्त का पानी, कर्ज माफी और यहां तक की नगद में सहायता राशि भी सरकार द्वारा किसानों को प्रदान की जाती है। ऐसे में किसानों को सरकार से टकराव की बजाय सरकार का एहसानमंद होना चाहिए। एक क्षेत्र के किसानों को आंदोलन के नाम पर किसी प्रकार से अपने आंदोलन की आड़ में देश के दूसरे क्षेत्र के नागरिकों को सड़के जाम करके और तोड़फोड़ करके परेशान करने का कोई अधिकार  नहीं है। 

तुमको अन्नदाता का तगमा राजनेता लगा सकते हैं जिन्हें तुष्टिकरण करके तुम्हारे वोटों का लालच हो , तो असलियत समझो और भगवान बनने की भूल मत करो ! अन्न उत्पादक का सम्मान भी तभी सम्भव होगा, जब अन्न उत्पादक समाज के दूसरे वर्गों का सम्मान करेंगा। अगर किसान सिर्फ अन्न की पैदावार करके खुद को अन्नदाता कहलाता है या अन्नदाता समझता है तो हर इंसान किसी न किसी प्रकार का दाता है। जरा आप खुद पहचानिए की आप कौन से दाता हैं। 

आंखों के डॉक्टर -चक्षु दाता, वस्त्र के निर्माता- वस्त्र दाता, शिक्षक-शिक्षा दाता, वाहन निर्माता-वाहन दाता, घर बनाने वाला मजदूर और होटल व्यवसाय व्यावसायि-आश्रय दाता, न्यायालय में वकील और जज-न्याय दाता, नके की पाइप पर का काम करने वाला -जल दाता,सुनार-आभूषण दाता,बिजली का काम करने वाले-विद्युत दाता, लोगों तक समाचार पहुंचाने वाला मीडिया- सूचना दाता आदि आदि न जाने किस किस के 140 करोड दाता  इस देश में रहते हैं। आपकी तरह ये सब तो कभी सड़क जाम करने या रेल रोकने नहीं निकल पड़ते। 

दाता तो सिर्फ ईश्वर है,  जो बिना मांगे हमें बिना किसी मूल्य लिए इतना कुछ देता है इसलिए वह दाता कहलाता है।  जिसमें पैसा लेकर वस्तु बेच दिया वह दाता कैसे हो सकता है।  बाकी नारी जो घर में सबको बिना किसी पैसा लिए खाना बनाकर खिलाती है सही मायने में अन्नदाता वही है।किसी को मेरी बात चुभ जाये या बुरी लगे तो मैं क्षमा चाहता  हूं। मुझे क्षमा करके आप क्षमा दाता तो बन ही सकते हैं। 

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