प्याज़ लहसुन न खाने के पीछे धर्म नहीं विज्ञान है...
प्याज़-लहसुन आलस पैदा करते है एवं काम विकारों को जागृत करते है इसलिए इनसे दूर रहने को कहा गया है !
इस प्रश्न के उत्तर में पुराण कहता है कि प्याज़-लहसुन राक्षस के रक्त से पैदा हुई है इसलिए नहीं खाते। इसके अलावा भी कई बातें सुनने में आती है जैसे कि- प्याज भगवान के भोग की थाली से लुढ़क गई थी, प्याज़ कुत्ते के अंडकोष से पैदा हुई है,प्याज़ दानवों के मल से जन्मी है तो कुछ लोग कहते हैं कि ये गाय की हड्डी से निकलती है। कुल मिलाकर "जितने मुँह उतनी बातें"
यदि आप मेरा मत पूछें तो ऊपर दिए गए किसी भी मत से मैं सहमत नहीं हूँ पर हाँ! पुराण में वर्णित जो मत है वो केवल और केवल डराक़र या घृणा का भाव पैदा करके यही कहना चाह रहा है कि प्याज़ नहीं खाना चाहिए। जैसे कि बच्चों को कहा जाता है कि बाहर नहीं निकलना वरना हऊआ ले जाएगा। कहने वाला भी जानता है कि हऊआ जैसा कोई जीव नहीं होता पर यहाँ हऊआ का सहारा केवल बच्चे को बाहर न निकलने के लिए कहा जाता है। इसी प्रकार पुराण का लेखक भी बहुत अच्छे से जानता है कि किसी राक्षस के रक्त की बूँद से प्याज़-लहसुन नहीं बनती और न बन सकती पर लेखक का उद्देश्य साधक, विद्यार्थी और पूजा-पाठ इत्यादि करने वाले लोगों को प्याज़-लहसुन खाने से रोकना है।
प्याज़-लहसुन खाने की मनाई केवल इसलिए होती है क्योंकि प्याज़-लहसुन शरीर के रक्तचाप को बढ़ाती है, आलस पैदा करती है एवं काम विकारों को जागृत करती है। इसके अलावा कोई भी अन्य कारण नहीं है। अब फिर एक बात उठती है कि क्या किसी को भी प्याज़-लहसुन नहीं खाना चाहिए? नहीं ऐसा नहीं है। जिसे भी खाना हो वह खा सकता है पर विशेष रूप से पूजा- पाठ व अनुष्ठान करने वाले लोग, पढ़ने -पढ़ाने वाले लोगों को इससे बचना चाहिए क्योंकि यह काफी आलस पैदा करते हैं। यदि आपको स्वयं अनुभव लेना है तो आप कुछ दिन प्याज़ छोड़ क़र देखिए और फिर कुछ दिन बाद खाकर देखिए आपको स्वतः ही अंतर महसूस होने लगेगा। पर यदि आप ऐसा सोचते हैं कि प्याज़-लहसुन खाने से पाप इत्यादि पड़ता है तो ये केवल अंधविश्वास है। प्याज़-लहसुन दूसरे मायनों में काफी लाभप्रद होते हैं और औषधि के रूप में भी इसका उपयोग होता है।
अतः प्याज़-लहसुन किसी राक्षस या अंडकोष, हड्डी इत्यादि से नहीं बने और न ही पाप-पुण्य से इनका कोई लेना देना है। आप साधक हैं तो आपके लिए प्याज़-लहसुन थोड़ी कठिनाई पैदा क़र सकती है पर पाप इत्यादि का इससे कोई लेना-देना नहीं है। इसके अलावा जिन्हें खाने का शौक़ हो तो वह बिल्कुल खाएं। हाँ! एक बात और कि धर्म के मामले में अंधविश्वास से बचे और पुराणों मे वर्णित कथाओं व नियमों के पीछे के सही उद्देश्य समझें-अंकित शर्मा










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