G News 24 :ग्वालियर में पूरे 36 साल बाद एक और शाही जलसा !

अनेक बार शहर में देश को उमड़ते देखा है…

ग्वालियर में पूरे 36 साल बाद एक और शाही जलसा !

मै ग्वालियर में 50 साल से हूं ,इन पांच दशकों में अनेक बार शहर में देश को उमड़ते देखा है। पहले माधवराव सिंधिया की बेटी और बेटे की शादी में फिर राजमाता विजया राजे सिंधिया और माधवराव सिंधिया की अंत्येष्टि में। शाही शादियों का विरोध भी हुआ था।अब 36 साल बाद एक बार फिर शहर में देश उमड़ रहा है। इस बार मौका है केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की बेटी की शादी का। बात 1987 की है। माधवराव सिंधिया की बेटी सुश्री चित्रांगदा की शादी डॉ कर्ण सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह के साथ जयविलास पैलेस से हुई तो पूरा शहर आल्हादित था। प्रशासन से लेकर मप्र चेंबर ऑफ कॉमर्स तक बारात के स्वागत में  पलक पांवड़े बिछाए था। इस शाही शादी में देश की तमाम नाम चीन हस्तियां शामिल हुईं थीं। छोटे से हवाई अड्डे पर अनेक विमान उतरे थे।

शहर की इस शाही शादी का वामपंथी, समाजवादी और प्रगतिशील लोग जमकर विरोध कर रहे थे। लेकिन शादी होना थी सो हुई। इस विरोध की वजह से ज्योतिरादित्य सिंधिया की शादी में तामझाम कुछ कम रहा।इस शादी में शहर की बाबस्तगी कम रही। प्रीत भोज भी सादगी से हुआ।सब महल की परिधि में हुआ।bशोक प्रसंगों में तो तामझाम होता नहीं, लेकिन प्रशासन को हल्कान होना ही पड़ता है। वीआईपी जब थोक में हो तो समस्या और बड़ी हो जाती है। राजमाता विजया राजे सिंधिया और माधवराव सिंधिया की अंत्येष्टि में तो आधी संसद मौजूद थी। प्रधानमंत्री से लेकर आम सांसद तक के लिए वाहन बाहर से मंगाए गए।

ग्वालियर में पांचवां जलसा केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की बेटी के विवाह का है। निजी समारोह में वीआईपी का आना स्वाभाविक है। फलस्वरूप प्रशासन हलकान हैं।शहर को हरारत है। संयोग से प्रशासन नया है। नरेंद्र सिंह तोमर आम आदमी के नेता हैं।9 साल से मोदी मंत्रिमंडल में हैं। पूर्व मे मप्र भाजपा के प्रधान रह चुके हैं। तोमर के पास महल नहीं है, लेकिन वे महलपरस्त हैं। 1983 से अब तक महल का नमक खा रहे हैं राजमाता से लेकर ज्योतिरादित्य सिंधिया तक महल से उनकी बाबस्तगी जग जाहिर है। नरेंद्र सिंह तोमर सादगी पसंद हैं। इसलिए बेटी की शादी मेला मैदान से कर रहे हैं। उन्होंने अपने पिता की त्रयोदशी भी बड़ी सादगी से की थी। लेकिन बेटी की शादी में वे मजमा लगाने से नहीं बच सके। एक तो इकलौती बेटी, ऊपर से चुनाव का साल। किसे बुलाएं, किसे न बुलाएं ये समस्या है ।

लोक-संपर्क के मामले में नरेन्द्र सिंह तोमर बेहद गंभीर है। खुद नहीं जा पाते तो अपने बेटों को भेजते हैं। शादी हो या शोक प्रसंग उनकी हाजरी होती ही है। सार्वजनिक जीवन में प्रदर्शन से बचना बहुत आसान काम नहीं है। अब वीआईपी के यहां वीआईपी तो आएंगे। उनके लिए प्रशासन और पुलिस को प्रबंध तो करना होगा, भले ही इससे आम आदमी और रोजमर्रा के इंतजाम पर असर पड़ता हो। बेहतर होता कि महल का अनुसरण न किया जाए। अतिथि नियंत्रण को किसी कानून से नहीं अपितु विवेक से नियंत्रित किया जाए। 

मैंने सिंधिया, दिग्विजय सिंह से लेकर विधायकों, मंत्रियों, सांसदों, यहां तक कि पार्षदों के यहां शादी समारोह देखे हैं। एक होड़ सी लगी है प्रदर्शन की। कांग्रेस की नेता सोनिया गांधी की इकलौती बेटी प्रियंका की शादी में जब कुल 350 लोगों को न्योता गया था ,तब भी टिप्पणियां हुईं थीं।आज तोमर की बेटी की शादी में वीआईपी कल्चर को लेकर टिप्पणियां हो रही है। बीते दिनों महापौर की सासू मां की त्रयोदशी में अतिथि संख्या देखकर भी लोगों ने दांतों तले उंगली दबाई थीं। गनीमत है कि तोमर के घर हो रहे मंगलकार्य को लेकर 36 साल पहले की तरह कोई धरना प्रदर्शन नजर नहीं आ रहा।‌

अब खलिहानों में जनवासे और आंगन में मंडप के दिन नहीं रहे।अब नौबत डेस्टीनेशन शादियों तक आ पहुंची है। पैसा है तो विदेश में शादी कीजिए। अतिथियों को बोइंग के बोइंग विमान भरकर ले जाए जाते हैं । ये मामला संस्कार और नैतिकता का है।इसे इसी दृष्टि से देखा जाना चाहिए। कहावत है कि जितना बड़ा जूता होगा,पालिस भी उतनी ही ज्यादा लगती है।हाथी के पांव में सबका पांच समा जाता है।

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