G News 24 :वामपंथियों ने हिंदू परंपराओं की उपेक्षा कर सेंगोल को 'चलने वाली छड़ी' की तरह दिखाया !

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने गुरुवार का आरोप...

वामपंथियों ने हिंदू परंपराओं की उपेक्षा कर सेंगोल को 'चलने वाली छड़ी' की तरह दिखाया !

असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्व सरमा ने गुरुवार को आरोप लगाया कि वामपंथियों ने सेंगोल की उपेक्षा कर, हिंदू परंपराओं की उपेक्षा की और सेंगोल को एक चलने वाली छड़ी के रूप में प्रदर्शित किया। बता दें कि 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए संसद भवन की इमारत का उद्घाटन करेंगे। इस दौरान मदुरै के विद्वानों द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को सेंगोल दिया जाएगा। यह राजदंड है, जो सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है। 

असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि 'सेंगोल हमारी आजादी का अभिन्न अंग है लेकिन वामपंथियों ने इसे चलने वाली छड़ी के रूप में प्रदर्शित किया और म्यूजियम के कोने में रख दिया जबकि पंडित नेहरू की देश की आजादी में अहम भूमिका थी। यह उदाहरण है कि किस तरह एक पूरा इको सिस्टम है, जो प्राचीन भारत और हिंदू परंपराओं का महिमामंडन करने वाले किसी भी कार्यक्रम को सेंसर करने का काम करता है।'

बता दें कि देश की आजादी के समय 14 अगस्त 1947 को अंग्रेजों ने सत्ता के हस्तांतरण के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू को सेंगोल दिया था। अब वही सेंगोल 28 मई को मदुरै के विद्वानों द्वारा पीएम मोदी को सौंपा जाएगा। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि देश की आजादी के 75 साल बाद भी देश के अधिकतर लोग इस बात से वाकिफ नहीं हैं कि आजादी के समय सत्ता के हस्तांतरण के रूप में पंडित जवाहर लाल नेहरू को सेंगोल दिया गया था। तमिलनाडु के थिरुवदुथुरै अधीनम मठ के पुजारियों द्वारा पंडित नेहरू को यह सेंगोल दिया गया था।

आजादी के अमृत काल के राष्ट्रीय चिन्ह के तौर पर प्रधानमंत्री मोदी ने सेंगोल को अपनाने का फैसला किया है। यह सेंगोल लोकसभा में सभापति के आसन के नजदीक स्थापित किया जाएगा और खास मौकों पर इसे बाहर निकाला जाएगा। बता दें कि भारत के इतिहास के सबसे शक्तिशाली और समृद्ध राजवंशों में से एक चोल साम्राज्य में सत्ता हस्तांतरण के लिए सेंगोल का इस्तेमाल किया जाता था। 

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