G News 24 : मुरैना की गजक को मिला जीआई टैग

 200 करोड़ से ज्यादा का कारोबार, विदेशों तक मांग

मुरैना की गजक को मिला जीआई टैग

मुरैना। मुरैना की गजक की मिठास, पहचान और धाक दुनियाभर में और बढ़ेगी। क्योंकि केंद्र सरकार ने मुरैना की गजक को जीआई टैग (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) दे दिया है। इसकी जानकारी मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के अलावा केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर व केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट करके दी है। मुरैना की गजक के साथ ही मप्र के रीवा के सुंदरजा आम छत्तीसगढ़ के धमतरी के नागरी दुबराज चावल को भी केंद्र सरकार ने जीआई टैग दिया है। मुरैना की गजक को जीआई टैग दिलाने की पहल चार साल पहले तात्कालीन कलेक्टर प्रियंका दास ने की थी। दिसंबर 2019 में मुरैना की गजक की ख्याति बढ़ाने के लिए गजक महोत्सव का आयोजन किया गया था, जिसमें मुरैना के गजक व्यापरियों ने अपनी-अपनी दुकानें सजाकर भिन्न-भिन्न प्रकार व स्वाद की गजक की दुकानें सजाई थीं। इसी के तात्कालीन कलेक्टर ने गजक को जीआई टैग दिलाने का प्रस्ताव शासन को भेजा था। कुछ समय बाद हुए एक आयोजन में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय कृषि मंत्री ने भी मंच से मुरैना की गजक को जीआई टैग दिलाने का ऐलान किया था।बताया गया है, कि मुख्यमंत्री व केंद्रीय कृषि मंत्री की पहल पर बीते महीनों की मुरैना जिला प्रशासन से एक और प्रस्ताव केंद्र सरकार के लिए भेेजा था, जिस पर केंद्र सरकार ने सहमति जता दी।

ग्वालियर-चंबल अंचल में गजक सर्दियों के दिनाें मेें सबसे ज्यादा खाई जाने वाली मिठाई है। यह सेहत के लिए फायदेमंद होती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने व सर्दीजनिक कई बीमारियों से बचाती है।सेहत के साथ-साथ मुरैना की गजक जिलेभर में एक हजार से ज्यादा दुकानदार आैर लगभग चार हजार मजदूरों को सर्दी के चार महीने भरपूर रोजगार देती है। एक अनुमान के हिसाब से मुरैना की गजक का कारोबार 200 करोड़ रुपये से ज्यादा है।मुरैना के सबसे बड़े गजक व्यापारी गोपी गजक के संचालक का कहना है, कि यहां की गजक दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, इंदौर, जयपुर, भोपाल जैसे देश के अन्य महानगराें के अलावा अमेरिका, इंग्लैण्ड, अास्ट्रेलिया, दुबई, इटली आदि कई देशों में भेजी जाती है। ग्वालियर-चंबल अंचल के सैकड़ों लोग जो विदेशों में रह रहे हैं वह सर्दी के दिनों में मुरैना की विशेष मांग करते हैं।

किसी एक क्षेत्र में कोई विशेष प्रकार का उत्पाद बनता हो या उसकी पैदावार होती है। क्षेत्र की भौगोलिक विशेषताओं के कारण उक्त उत्पाद की गुणवत्ता विशेष रहती हो और अन्य स्थानों पर ऐसा गुणवत्तापूर्ण उत्पाद नहीं होता हो, तब उस क्षेत्र विशेष के लिए उक्त उत्पाद को कानूनी मान्यता दी जाती है।जीआई टैग उत्पाद को कानूनी सुरक्षा देता है और कहीं और उसकी नकल करके उक्त उत्पाद को विशेष बताने के अनाधिकृत उपयोग को रोकना है। जीआई टैग मिलने के बाद उक्त उत्पाद की मांग व पहचान राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भी बढ़ती है, इसका असर उक्त क्षेत्र के व्यापार व उक्त उत्पाद से जुड़े व्यापारियों को होता है। यानी मुरैना की गजक को जीआई टैग मिलने से गजक कारोबार में रोजगार व आर्थिक संबल भी मिलेगा। जीआई टैग की अवधि 10 साल की होती है, फिर इसका दोबारा नवीनीकरण करवाने का नियम है, नवीनीकरण नहीं करवाने पर क्षेत्र विशेष से किसी उत्पाद के जीआई टैग का पंजीयन क्सरकार हटा देती है।

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