इंदौर में भूमाफिया से...
30 करोड़ रुपये वसूलने आया 'इंटरपोल अफसर' गिरफ्तार
इंदौर। इंदौर क्राइम ब्रांच ने शातिर ठग विपुल शैफर्ड को गिरफ्तार किया है आरोपित इंटरपोल अफसर बनकर भूमाफिया दीपक मद्दा, चंपू अजमेरा, चिराग शाह, मन्ना चौकसे, कमलेश पांचाल से 30 करोड़ रुपये की वसूली करने आया था। आरोपित ने उज्जैन के बिल्डर और पूर्व केंद्रीय मंत्री के पीए का नाम कुबूला है। डीसीपी जोन-2 संपत उपाध्याय के मुताबिक, सूचना मिली थी कि बैतूल निवासी विपुल शैफर्ड इंटरपोल अफसर बनकर ठहरा हुआ है। एमआइजी पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में पुलिस ने आरोपित को एबी रोड स्थित श्रीमाया होटल से गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने बताया कि उसे केशरबाग रोड निवासी कारोबारी हेमंत नेमा के बेटे पीयूष नेमा ने बुलाया था।
हुंडी कारोबारी पीयूष को भूमाफिया दीपक मद्दा, चिराग शाह, मन्ना चौकसे, कमलेश पांचाल से 30 करोड़ रुपये लेने थे। आरोपित 40 से 50 प्रतिशत कमीशन लेकर उक्त राशि वसूलने आया था पीयूष की उज्जैन के बिल्डर पवन कुमार बनवारी ने मुलाकात करवाई थी पीयूष उसको साढ़े तीन लाख रुपये नकद दे चुका था। ढाई महीने से होटल का खर्चा भी पीयूष ही वहन कर रहा था पुलिस आरोपित की काल डिटेल निकाल रही है। संपर्क सूत्र और परिचितों की भूमिका की जांच चल रही है। आरोपित ने तीन महीने पूर्व नेमा कालोनी में पीयूष से मीटिंग की और शिकायती आवेदन लेकर अतिरिक्त पुलिस आयुक्त राजेश हिंगणकर से मिला।
हिंगणकर ने आवेदन अपराध शाखा के डीसीपी निमिष अग्रवाल के पास भेज दिया। पीयूष समझा उसकी अफसरों से बातचीत है। उसने दो बार में साढ़े तीन लाख रुपये दे दिए। इसके बाद विपुल शैफर्ड ने रिटायर्ड आइएएस व पूर्व केंद्रीय मंत्री के पीए नवीन कुमार से भी फोन लगवाया नवीन को 50 हजार रुपये दिए और लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू अफसरों के पास भी ले गया। ढाई महीने बाद भी हलचल न होने पर पीयूष ने खुद अफसरों से संपर्क साधा हिंगणकर को उसकी बातों पर शक हुआ और क्राइम ब्रांच की टीम भेज कर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया।
टीआई अजय वर्मा के मुताबिक, आरोपित विपुल के पास से इंटरनेशनल पुलिस आर्गेनाइजेशन (आइपीओ) का बैच और आइडी कार्ड मिला है। विपुल ने बताया कि मार्च में इटली की संस्था से आनलाइन सदस्यता ली थी। यह सदस्यता क्राइम रोकथाम का काम करती है। उसने आनलाइन ट्रेनिंग भी ली थी। विपुल ने मद्रास से एमबीए किया है। उसकी पत्नी दीपा अहमद नगर में बैंक मैनेजर है। टीआई के मुताबिक, विपुल को पता था जिस संस्था से सदस्यता ली वह फर्जी है। वह अफसरों का नाम लेकर लोगों को ठग रहा था। एक कारोबारी से 15 लाख रुपये ले चुका था। वसूली का ठेका देने वाला पीयूष हुंडी और ब्याज का धंधा करता है तीन महीने पूर्व ही नौकर की हत्या के आरोप में जेल से छूटा है।
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