पश्चिम ने एक सैन्य तानाशाही वाले देश को पसंदीदा साथी के रूप में देखा : जयशंकर

रूस-यूक्रेन के बीच के मौजूदा संघर्ष को लेकर कहा कि...

पश्चिम ने एक सैन्य तानाशाही वाले देश को पसंदीदा साथी के रूप में देखा : जयशंकर

विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने एक बार फिर पश्चिमी देशों पर निशाना साधा है। जयशंकर ने सोमवार को कहा कि भारत के पास आज पर्याप्त मात्रा में इसलिए सोवियत और रूसी हथियार हैं, क्योंकि पश्चिमी देशों ने इस क्षेत्र में एक सैन्य तानाशाही (पाकिस्तान) को अपने 'पसंदीदा साथी' के रूप में चुना और दशकों तक नई दिल्ली को हथियारों की आपूर्ति नहीं की। यह बात उन्होंने अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्ष पेनी वोंग के साथ संयुक्त सम्मेलन के दौरान कही। जयशंकर ने कहा कि भारत और रूस के बीच लंबे समय से संबंध हैं, जिससे निश्चित तौर पर भारत के हितों की अच्छी सेवा हुई है। विदेश मंत्री ने एक सवाल के जवाब में कहा, हमारे पास सोवियत और रूसी हथियारों की एक बड़ी सूची है। यह सूची कई कारणों से बढ़ी है। 

आप हथियार प्रणालियों की खूबियां जानते हैं..लेकिन पश्चिमी देशों ने कई दशकों तक भारत को हथियारों की आपूर्ति नहीं की और हमारे बगल के एक सैन्य तानाशाही वाले देश को पसंदीदा साथी के रूप में देखा। डॉ. जयशंकर जाहिर तौर पर पाकिस्तान की ओर इशारा कर रहे थे। शीत युद्ध के दौर में अमेरिका के नेतृत्व वाले पश्चिमी देश उसके करीबी सहयोगी थे। पाकिस्तान अपने अस्तित्व के 73 वर्षों के बाद भी आधे से ज्यादा समय सेना के जनरलों के द्वारा शासित रहा है। विदेश मंत्री ने आगे कहा, अंतरराष्ट्रीय राजनीति में हमारे पास जो भी है, हम उससे निपटते हैं। हम वो फैसले लेते हैं जो हमारे भविष्य के हितों के साथ-साथ हमारी वर्तमान स्थिति दोनों को प्रतिबिंबित करते हैं। जयशंकर ने रूस-यूक्रेन के बीच के मौजूदा संघर्ष को लेकर कहा कि मेरी समझ में हर सैन्य संघर्ष की तरह इससे हम सीख रहे हैं और मुझे यकीन है कि सेना में मेरे पेशेवर सहयोगी इसका बहुत गहराई से अध्ययन कर रहे होंगे। 

एक ऑस्ट्रेलियाई पत्रकार ने जब उनसे पूछा कि क्या भारत को रूसी हथियार प्रणालियों पर अपनी निर्भरता कम करनी चाहिए और क्या यूक्रेन की स्थिति को देखते हुए उसके साथ अपने  संबंधों पर पुनर्विचार करना चाहिए। पिछले महीने जयशंकर ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी यही सवाल उनसे किया गया था। तब उन्होंने कहा था कि भारत एक विकल्प का प्रयोग करता है, जो मानता है कि जब उसे हथियारों की पेशकश की जाती है तो वह उसके अपने हित में होती है। रूस, सैन्य हथियारों के रूप में भारत का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। दोनों देश इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि मॉस्को पर पश्चिमी प्रतिबंधों के मद्देनजर उनके बीच किस तरह का भुगतान तंत्र काम कर सकता है।

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