महापौर स्वयं करें वार्डो में भ्रमण करें और कर्मचारियों व अधिकारीयों पर करें सख्ती

 निगम प्रशासन पर आरोप लगाने से कुछ नहीं होगा…

महापौर स्वयं करें वार्डो में भ्रमण करें और कर्मचारियों व अधिकारीयों पर करें  सख्ती 



ग्वालियर l रमहापौर निर्वाचित होने के दो माह बाद भी डॉ. शोभा सतीश सिकरवार कुछ नहीं कर पा रही हैं। शहर की समस्याएं जस की तस हैं। सोमवार को नई नगर निगम परिषद की पहली बैठक में भाजपा-कांग्रेस के लगभग सभी पार्षदों ने अपने-अपने वार्डों की जनसमस्याएं उठाइंर्। महापौर शोभा ने भी कहा कि निगम प्रशासन को पार्षदों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए। उन्होंने सड़कें , पानी , सीवर व लाइट के लिए निगम आयुक्त को कार्रवाई करने को कहा। 

असल में महापौर सिकरवार कांग्रेस की हैं और राज्य में भाजपा का शासन है। नगर निगम सभापति मनोज तोमर भी भाजपा के हैं। भाजपा और कांग्रेस के पार्षदों की संख्या लगभग आधी -आधी है। इसलिए निगम प्रशासन में राजनीति से इंकार नहीं किया जा सकता । लेकिन, जनता को अपनी समस्याओं का निपटारा चाहिए। उन्हें उन वादों पर अमल होता दिखना चाहिए , जो डॉ.शोभा सिकवार, उनके पति कांगे्रस विधायक सतीश सिकरवार और कांग्रेस ने महापौर चुनाव के दौरान मतदाताओं से किए थे। यही वजह रही कि 57 साल में पहली बार यहां कांग्रेस का महापौर बना है। इसलिए सभी को बदलाव की उम्मीद है। 

यदि आयुक्त और उनके अधीनस्थ अफसर महापौर के सुझावों , आदेशों को नहीं मान रहे हैं तो महापौर नियमानुसार उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं कर रहीं?, जब आयुक्त को ही सारे जनकार्य कराने हैं तो फिर महापौर की जरूरत क्या है? अभी तक महापौर ने वार्डों के दौरे भी शुरू नहीं किए हैं। उन्हें गली-मौहल्लों , कॉलोनियों , बाजारों में जाकर वहां की समस्याओं से रूबरु होकर वहीं से संबंधित अफसर को फोन लगाकर उन्हें मौके पर बुलाना चाहिए। जब महापौर 15 दिन के चुनाव में पूरा शहर घूम सकती हैं तो अब हर दिन 3-4 रिहायशी क्षेत्रों का मुआयना क्यों नहीं कर सकतीं ? महापौर ने कचरा शुल्क कम कराने का वादा किया था, उस पर अभी तक कोई प्रगति नहंीं हुई है। महापौर सुझाव परिषद बनाने संबंधी कांग्रेस का चुनावी वादा भी अभी मूर्तरूप नहीं ले पाया है। और तो और, मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) भी पूरी तरह गठित नहीं हो पाई है। महापौर को तुरंत जनकार्य दिखाने होंगे, अन्यथा जनता उनके खिलाफ सड़कों पर आ सकती है।

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