मौर छठ पर मंगल गीत गाते हुए महिलाओ ने ...
दूल्हा दुल्हन के मोर, मंडप एवम अन्य सामग्री को जल में किया विसर्जित
ग्वालियर। शुक्रवार को मोरयाई छठ का पर्व मनाया गया । भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मोरयाई छठ कहते हैं। इस दिन गंगा स्नान करने से अक्षय पुण्य का फल प्राप्त होता है। इसे सूर्य षष्ठी व्रत या मोर छठ के नाम से भी जाना जाता है।भगवान सूर्य को समर्पित यह दिन सूर्य उपासना एवं व्रत रखने के लिए विशेष महत्व रखता है। जिन परिवारों में विवाह संपन्न हुए है। उस परिवार के सदस्य मोरियाई छठ के दिन दूल्हा दुल्हन के मोर, मंडप एवम अन्य सामग्री को मंगल गीत गाते हुए किसी तालाब में सिराहते है।
तालाबो पर मेला लगता है। लोग अपनी बेटियों के घर पूरी, मालपुए, बेटी के परिवार के सदस्यों के लिये कपड़े व श्रगार का सामान भेजते है। छठ व सप्तमी एक दिन होने के कारण शुक्रवार को संताना सप्ती का व्रत हैं। मौर छठ पर शहर के कटोरा ताल, लक्षमण तलैया ,जनकताल, सागर ताल और तिघरा, भदावन, मचकुंड पर मोहरछठ का मेला लगा।
जिन कन्याओं के विवाह हुए हैं उन्होंने पहली छठ पर रिश्तेदारों के साथ तालाबों पर जाकर मौर सिराईं। इस दिन स्नान कर भक्तों ने सूर्य देव की उपासना की।सूर्य देव की उपासना के साथ भक्तों ने गायत्री मंत्र का भी पाठ किया। भक्तों ने जल में खड़े होकर घी का दीपक, कपूर और धूप से उगते सूर्य की उपासना की। पूजा के बाद भक्तों ने मंदिरों में पहुंचकर जरूरतमंदों को दान दिया।
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