पार्टी कोई भी आधिकारिक उम्मीदवार नहीं देगी : सोनिया गांधी

 कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव कोई भी लड़ सकता है लेकिन … 

पार्टी कोई भी आधिकारिक उम्मीदवार नहीं देगी : सोनिया गांधी 



नई दिल्ली l सोनिया गांधी ने सोमवार को सांसद शशि थरूर से स्पष्ट कह दिया है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव कोई भी लड़ सकता है लेकिन पार्टी कोई भी आधिकारिक उम्मीदवार नहीं देगी यानी किसी को भी कांग्रेस पार्टी का उम्मीदवार नहीं बताया जाएगा। सोनिया गांधी ने यह बात तब कही है जब कि कई राज्यों की पार्टी यूनिट राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने के लिए प्रस्ताव पारित कर चुकी हैं। इसमें राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, गुजरात और छत्तीसगढ़ की कांग्रेस इकाई भी शामिल हैं। वहीं अब शशि थरूर को भी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की हरी झंडी मिल गई है। हालांकि थरूर ने अपनी उम्मीदवारी के बारे में कुछ भी नहीं कहा है। 

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी  कहा कि  जो चाहे, अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ सकता है। यहीं सोनिया और राहुल गांधी का स्टैंड है। यह एक खुली हुई लोकतांत्रिक और पारदर्शी प्रक्रिया है। किसी को भी चुनाव लड़ने के लिए किसी से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है। पहले से ही इस बात की चर्चा थी कि शशि थरूर अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ना चाहते थे। इसी मामले में वह सोमवार को सोनिया गांधी से मिलने पहुंचे थे। पहले कांग्रेस की तरफ से कहा गया था कि 21 अगस्त से 20 सितंबर को बीच अध्यक्ष पद के लिए चुनाव होगा।  

अगर कोई भी चुनाव लड़ना चाहता है तो उसको कम से कम 10 पदाधिकारयों का समर्थन चाहिए। कयास ये भी लाए गए कि राहुल गांधी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने को तैयार नहीं थे इसलिए चुनाव ही टाल दिए गए। वहीं कांग्रेस की ही कई वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि वे राहुल गांधी को इसके लिए सहमत करने की कोशिश कर रहे हैं। इन्हीं चर्चाओं के बीच गुलाम नबी आजाद ने पार्टी छोड़ दी और सोनिया गांधी को लंबा चौड़ा पत्र लिखा। उन्हें भी कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व को लेकर शिकायत थी। अब राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर निकले हैं। वह इस यात्रा की अगुआई कर रहे हैं। ऐसे में अगर राहुल गांधी भी अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ते हैं तो इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 

कांग्रेस में अध्यक्ष के पद पर अब तक अधिकतर गांधी परिवार के ही लोग रहे हैं। केवल दो बार ही पार्टी में अध्यक्ष  पद का चुनाव हुआ है। 1997 में सीताराम केसरी के खिलाफ राजेश पायलट और शरद पवार ने चुनाव लड़ा था। हालांकि जीत सीताराम केसरी की ही हुई थी। वहीं साल 2000 में सोनिया गांधी के खिलाफ जितेंद्र प्रसाद ने पर्चा भरा था। उन्हें केवल 94 वोट मिले और वे बुरी तरह से हार गए। कांग्रेस के संविधान के मुताबिक अगर दो  या ज्यादा उम्मीदवार होते हैं तभी चुनाव  कराया जाता है वरना एक ही प्रत्याशी को निर्विरोध विजेता मान लिया जाता है।

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