निगम आयुक्त साधे हैं चुप्पी …
व्यापम जैसा है नगर निगम में आउटसोर्स भर्ती घोटाला !
वर्तमान निगमायुक्त किशोर कन्याल को भी मार्च-अप्रैल में पता लग गया था कि कितना बड़ा घोटाला है। उन्हें यह भी पता था कि माननीयों की सेवा में निगम से वेतन ले रहे कितने सेवादार लगे हैं, फिर भी उनकी चुप्पी रहस्यमयी हुई है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार तमाम आउटसोर्स कर्मचारी माननीयों को अनऑफिशियल दे रहे हैं l
1. एक मंत्री के लगे निगम के कर्मचारियों की संख्या -25
2. दूसरे मंत्री के यहां लगे कर्मचारियों की संख्या -18
3.एक विधायक के यहां लगे कर्मचारियों की संख्या -8
4.दूसरे विधायक के यहां लगे कर्मचारियों की संख्या -4
5.एक सांसद के यहां लगे कर्मचारियों की संख्या -9
6.एक पूर्व विधायक के यहां लगे कर्मचारियों की संख्या -11
7.14 पार्षदों के यहां लगे कर्मचारियों की संख्या -20
8.रिटायर्ड हो चुके अधिकारियों के यहां लगे कर्मचारियों की संख्या -17
9.जिला प्रशासन के अधिकारियों के यहां लगे निगम के कर्मचारियों की संख्या -15
10.निगम के अपात्र अधिकारियों के यहां लगे कर्मचारियों की संख्या -44
11.दूसरे विभागों के उच्च अधिकारियों के यहां लगे कर्मचारियों की संख्या -22
कागजों में ये सभी कर्मचारी निगम के कार्यालयों में पदस्थ दिखाए जाते हैं, इसीलिए वेतन नगर निगम के खजाने से ही जनता के टैक्स के पैसे से जा रहा । निगमायुक्त को मार्च, अप्रैल में ही यह जानकारी दे दी थी, लेकिन उनका मौन रहना आश्चर्यजनक था। सवाल :ऐसे में क्या आउटसोर्स घोटाले की जांच हो पाएगी l
0 Comments