पवित्र साबन मास में के आखरी सोमवार को हुई शिव आराधना

श्री गंगा दास जी की साला में झूलन महोत्सब का आयोजन 

पवित्र साबन मास में के आखरी सोमवार को हुई शिव आराधना 

ग्वालियर। सावन माह के आखिरी सोमवार को सुबह से ही मंदिरों में खासी भीड़ लगी रही। शिवालयों में बम-बम भोले की गूंज रही। खास बात ये है कि इस सोमवार रवि योग एवं पुत्रदा एकादशी का संयोग था। अचलेश्वर महादेव मंदिर, कोटेश्वर महादेव मंदिर, गुप्तेश्वर मंदिर, भूतेश्वर मंदिर, मंगलेश्वर व हजारेश्वर पर सुबह 4 बजे से भक्तों की कतार लगना शुरू हो गई थी। सोमवार का दिन पुत्रदा एकादशी के कारण काफी खास था। सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी व्रत रखा जाता है। ऐसे में एकादशी व सोमवार व्रत होने से इस दिन का महत्व और बढ़ जाता है। धार्मिक मान्यता के चलते लोगों ने सावन के चौथे सोमवार का व्रत रखकर शिवलिंग का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया।

ज्योतिषाचार्य सुनील चौपड़ा ने बताया कि ज्योतिष शास्त्र में रवि योग को शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए अति उत्तम माना गया है। सावन मास की समाप्ति 12 अगस्त को होगी। सावन के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव की पूजा का खास महत्व है। सावन सोमवार का व्रत कई गुना अधिक पुण्यदायी माना गया है। 

सिद्ध पीठ श्री गंगा दास जी की साला में पूरन बैराठी पीठधीशुर स्वामी रामसेवक दास जी महारज ने  कियाभक्तो के  साथ भगवान भोले नाथ का रुद्रा अभिषेक एवं पूजन

सिद्ध पीठ श्री गंगा दास जी की साला में झूलन महोत्सब के अबसर पर पूरन बैराठी पीठधीशुर स्वामी रामसेवक दास जी महारज ने श्रावण के आखरी सोमवार एवं झूलन महोत्सब के विश्राम दिवश पर सभी भक्तो के के साथ भगवान भोले नाथ का रुद्रा अभिषेक एवं पूजन किया गया भगवान भोले नाथ हमेसा अपने भक्तो पर दया करते ओर प्रभु के अभिषेक के भक्तो की समस्त मनो कामनाय पूर्ण होती बेसे तो भोले नाथ की पूजा कभी भी की जाती है पर श्रावण मास में इस पूजा का विशेष महत्त्व है पूज्य महन्त रामसेवक दास जी ने बताया की शिव पूजा से मनुष्य की सभी मनो कामनाय पूर्ण होती है l

आचार्य जानकी वल्लभ पाठक जी ने रुद्री पाठ के साथ भगवान का अभिषेक सम्पन कराया इस मोके पर  यजमान श्री मति सुचिता चन्दन अग्रवाल श्री मति संगीता सुभाष अग्रवाल श्री मति कुसुम ललित जी खण्डेलबाल अर्जी बाले गणेश मन्दिर  श्री मति रेखा ओमप्रकाश अग्रबाल  प्रकाश शर्मा श्री मति मंजू गिर्राज अग्रबाल पंडित प्रदीप शास्त्री संजय शास्त्री अदि सभी भक्त अभिषेस में सम्मिलित रहे एवं रात्रि में सुन्दर रास लीला का मंचन किया गया रास लीला में सुदामा जी का चरित्र दर्शाया गया जिस में सुदामा जी अपने मित्र भगवान कृष्ण से मिलने जाते है ओर भगवान को जब पाता चला की मेरा मित्र सुदामा आया है तो प्रभु नंगे पैर ही सुदामा जी से मिलने के लिए दौड़ लगादेते है यह दृश्य देख सभी भक्त भाव बिभोर हो गए l  

Comments