पूरी तरह खाली ना होने से पर्यटन विभाग नहीं ले सका मोतीमहल का कब्ज़ा

ग्वालियर-चंबल अंचल की शान कहे जाने वाला सरकारी कार्यालयों का मुख्यालय…

पूरी तरह खाली ना होने से पर्यटन विभाग नहीं ले सका मोतीमहल का कब्ज़ा

ग्वालियर। ग्वालियर-चंबल अंचल की शान कहे जाने वाला सरकारी कार्यालयों का मुख्यालय मोतीमहल आज भी लोक निर्माण विभाग की संपत्ति है। कुछ कार्यालय खाली ना होने से पर्यटन विभाग आज इसका कब्जा नहीं ले सका। पर्यटन विभाग के अधिकारी बैरंग वापस भोपाल लौट गये हैं। वह अगले माह फिर कब्जा लेने के लिये आ सकते है। आज भोपाल से आये पर्यटन विभाग के अधिकारियों ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के साथ नाप जोख कर इसका वास्तविक आधिपत्य लेने की कोशिश की लेकिन आठ नौ विभाग अभी भी वहां संचालित होने से यह आधिपत्य की कार्रवाई पूरी नहीं हो सकी। पर्यटन विभाग मोतीमहल को निजी हाथों में देकर यहां ५ सितारा होटल खुलवाने की प्लानिंग में है। जानकारी के मुताबिक १८२५ में मराठा पेशवा द्वारा बनवाया गया मोतीमहल देशभर के जाने माने महलों में एक है। 

साठ हजार स्क्वेयर मीटर क्षेत्र  के मोतीमहल में लगभग ९०० से अधिक कमरे व एक दरबार हाल भी है, जहां सोने की पालिश आज भी विद्यमान है। १९४७ में देश की आजादी के बाद जब २८ मई १९४८ को मध्यभारत राज्य का गठन हुआ, तब ग्वालियर को मध्यभारत की राजधानी बनाया गया था। इसी क्रम में मोतीमहल को विधानसभा भवन में बदल दिया गया था। मध्यभारत के पहले मुख्यमंत्री गोपीकृष्ण विजयवर्गीय बने तब उन्हें शपथ दिलाने प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू इसी भवन में आये थे। मध्यभारत विधानसभा की पहली सभा का उदघाटन भी २८ मई १९४८ को तत्कालीन गृहमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल ने मोतीमहल के दरबार हाल में ही किया था। इसके बाद १९५६ में मध्यप्रदेश के गठन के बाद राजधानी व विधानसभा यहां से भोपाल चली गई तब समझौते के तहत ग्वालियर को आबकारी, राजस्व, परिवहन व नारकोटिक्स के मुख्यालय दिये गये थे, जो ग्वालियर के मोतीमहल में ही लगते थे। केवल नारकोटिक्स आयुक्त कार्यालय मुरार में है। 

इसके अलावा यहां संभाग आयुक्त, लोकायुक्त स्थापना, लोक निर्माण, परिवहन अपीलीय प्राधिकरण, जनसंपर्क, स्वास्थ्य विभाग, संयुक्त संचालक लोक स्वास्थ्य, अनुसूचित जाति जन जाति विशेष पुलिस स्थापना, डीआईजी चंबल व ग्वालियर कार्यालय, एनएच पीडब्ल्यूडी, आफिस यहां लगते रहे थे। बाद में प्राचीन ऐतिहासिक इमारतों को खाली कराने के तहत अब राज्य सरकार ने इसको खाली कराकर सभी विभाग नई व किराये की बिल्डिंगों में शिफ्ट करवा दिया है। एक सप्ताह पूर्व लोकायुक्त कार्यालय हटने के बाद आज खाली हुये मोतीमहल को पर्यटन विभाग ने अपने टेकओवर में लेने की कोशिश भी की। आज भोपाल से आये अधिकारियों की टीम ने लोक निर्माण विभाग के अफसरों के साथ बिल्डिंग व जमीनों की नाप जोख की और अपने कब्जे के कागजातों पर भी हस्ताक्षर किये। लेकिन अभी यहां डीआईजी चंबल, सीएचएमओ, सेतु सर्किल, लेबर कोर्ट व अन्य कुछ विभाग अभी भी कार्यरत है और अभी तक शिफ्ट नहीं हुये हैं। इस कारण पर्यटन विभाग इसका आधिपत्य नहीं ले सका। 

आप खाली करायें, हम नहीं करा पायेंगे खाली

पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव व लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव के निर्देश पर आई पर्यटन विभाग की टीम ने लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों से कहा है कि आप ही हमें पूरी मोतीमहल बिल्डिंग खाली कराकर दें। हम तो इन विभागों से उनके कार्यालय खाली ही नहीं करा पायेंगे। लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने पर्यटन विभाग से पूरी बिल्डिंग खाली कराने को लेकर मोहलत मांगी है।

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