तेरे आंचल की शीतलता का सहारा है मां...
निहाल हूं मां
मां तेरे प्यार से निहाल हूं ,
तेरे आशीष से मालामाल हूं !
तेरे हर दर्द पर में रख दूं
मलहम मैं खुशियों का मां ।।
तेरी मुस्कुराती हुई आंखों की
रोशनी से मेरे जीवन में उजाला
जैसे दीप प्रज्ज्वलित हो रहे है
अनेक मेरे मन के मंदिर में मां।।
तेरी दुआओं का ही असर है,
मुझे मिल रहा सुख सारा मां!
जीवन की धूप में भी हर समय मेरे लिए
तेरे आंचल की शीतलता का सहारा है मां ।।
आज जो भी मैं हूं तेरे ही आशीष है,
मुझे याद है मेरी हर कठिनाई पर
तुम्हारा हमेशा मेरा हौसला बढ़ाना ,
मेरी हार पर भी मुझे गले लगाना मां ।।
गौरवान्वित महसूस करता हूं मैं,
तेरी दुआओं में शामिल होकर ,
कि मेरे सर पर भी कोई तो है !
हाथ रखने वाला प्यार का मां ।।
प्रतिभा दुबे
स्वतंत्र लेखिका, ग्वालियर मध्य प्रदेश
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