भारतवर्ष सनातनआदि काल से ही विश्व गुरु रहा है : भागवत भास्कर शास्त्री जी

फूलबाग बालाजी धाम फूलबाग में चल रही कथा का अष्टम दिवस…

भारतवर्ष सनातनआदि काल से ही विश्व गुरु रहा है : भागवत भास्कर शास्त्री जी

श्री सनातन धर्म मन्दिर में भगवान चक्रधर के 78 वें स्थापना दिवस समारोह के अंतर्गत श्री बालाजी धाम फूलबाग में चल रही भव्य विशाल श्रीमद्भागवत कथा आयोजन में वृन्दावन से पधारे विश्वप्रसिद्ध भागवत भास्कर पूज्य श्रीकृष्णचन्द्र शास्त्री जी अष्टम दिवस की कथा में कहा भारतवर्ष सनातनआदि काल से ही विश्व गुरु रहा है। विज्ञान के हर क्षेत्र चिकित्सा, रक्षा, आदि में सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है। परमाणु अस्त्र, सुपरसोनिक विमान,लेजर चिकित्सा जैसे अत्याधुनिक अविष्कार भारत के महर्षियों  ने सदियों पहले कर दिये थे। हमारे वेदों में इसका प्रमाणिक उल्लेख है। चार वेद हैं सामवेद, ऋग्वेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद इनमें 16000 श्लोक हैं। 

इन श्लोकों में सम्यक आहार-विहार,उपचार प्राणायाम, प्रत्याहार, यम, नियम, अष्टांग योग,आदि का विस्तृत उल्लेख है, जिसका अनुसरण आज सकल विश्व कर रहा है। हमारे पुराणों शास्त्रों में कई तथ्य  प्रतीकात्मक कूट भाषा (कोड वर्ड)में कहे गए हैं, जिनका गहनअर्थ है और जिसे समझने के लिए योग्य गुरु विद्वान के मार्गदर्शन एवं सँस्कृत भाषा के ज्ञान की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने सोलह हजार एक सौ आठ विवाह किये यह कूट भाषा में कहा गया तथ्य है। वास्तविकता में श्रीकृष्ण पूर्ण योग योगेश्वर थे। जर्मनी, जापान,रशिया, अमेरिका जैसे विकसित देशों में आज सँस्कृत भाषा की शिक्षा बड़े पैमाने पर दी जा रही है। वहां सँस्कृत विश्वविद्यालय खोले गए हैं, जहां हमारे वेदों, पुराणों, पर अनुसन्धान हो रहे हैं। 

पूज्यश्री ने जरासन्ध-भीम युद्ध प्रसंग में जीवन को सरलता पूर्वक जीने का मंत्र देते हुए कहा कि यदि जीवन की उथल पुथल परेशानियों, कष्टों पर विजय प्राप्त करना है तो भगवान का नाम मन में स्मरण करते हुए, भगवान का चिंतन करते हुए  संसार के सभी कार्य करते रहें। यदि ऐसा नहीं हो सके तो जो भी कार्य करे उसे ईमानदारी से भगवान के अर्पण करते चले, निश्चित रूप से आपकी ही विजय होगी अन्यथा हमेशा आप पराजित होते ही रहेंगें। दान में सत्कर्मों में प्रवर्ति ईश्वर की इच्छा के बिना नहीं हो सकती। गुरु,वैद्य,मित्र, बहन,बेटी, के यहां सत्संग, कथा में कभी भी खाली हाथ नहीं जाना चाहिए। मन्दिर में,गुरुद्वारे में, भण्डारे, लंगर में जो प्रसाद मिलता है वह पवित्र होता है। 

त्रिकालसन्ध्या प्रत्येक व्यक्ति को अवश्य ही करना चाहिए, यह वैज्ञानिक अनुसंधान से प्रमाणित है ,इसके कई प्रकार के लाभ हैं जनेऊ धारण करना, चोटी रखना भी वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है। भगवान को ध्यान में रखना ही सबसे बड़ी सम्पत्ति है, भगवान को भूल जाना ही सबसे बड़ी विपत्ति है आज की कथा में सुदामा चरित्र की कथा  भावपूर्ण चित्रण कथा के माध्यम से भागवत भास्कर श्रीकृष्ण चन्द्र शास्त्री जी ने किया। भागवत कथा के उपरांत सनातन धर्म मन्दिर के मुख्य पुजारी पण्डित रमाकांत शास्त्री, मुख्य यजमान अमर सिंह सिसोदिया पुष्पा देवी सिसोदिया,जया देवी सिसोदिया, बबिता -मुकेश गर्ग,सनातन धर्म मन्दिर के प्रधानमंत्री महेश नीखरा, पुष्पलता -रमेशचंद्र गर्ग ,अजय गुप्ता,गोपाल अग्रवाल, राजेश गर्ग,रविन्द्र गर्ग, ने भागवत जी की आरती उतारी, प्रसाद वितरण हुआ।

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