कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहि सो तस फल चाखा…

दंदरौआधाम दीनदयाल नगर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा का तीसरा दिवस

कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करहि सो तस फल चाखा…

ग्वालियर। मनुष्य के जीवन में कर्म की प्रधानता है, हम अपने कर्मो से ही अपने भाग्य को बनाते और बिगाड़ते हैं। हमें कर्म के आधार पर ही उसका फल प्राप्त होता है। कर्म सिर्फ शरीर की क्रियाओं से ही संपन्न नहीं होता बल्कि मन से, विचारों से एवं भावनाओं से भी कर्म संपन्न होता है। जीवन-भरण के लिए किया गया कर्म ही कर्म नहीं है। बल्कि हम जो आचार, व्यवहार अपने माता-पिता, बन्धु ,मित्र, रिश्तेदार के साथ करते हैं वह भी कर्म की श्रेणी में आता है। जब हम अच्छे कर्म करते हैं तब उसका प्रतिफल भी अच्छा  मिलता है और जब हम कुछ  गलत  कर देते हैं तब प्रतिफल में हमें भी कष्ट मिलते हैं। 

यह विचार मंगलवार को दीनदयाल नगर स्थित दंदरौआ धाम मंदिर परिसर में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथा व्यास पंडित हरिओम कृष्ण जी महाराज ने व्यक्त किये। महाराज जी ने कहा कि मनुष्य जीवन में जाने अनजाने प्रतिदिन कई पाप होते हैं। उनका ईश्वर के समक्ष प्रायश्चित करना ही एक मात्र मुक्ति पाने का उपाय है। उन्होंने ईश्वर आराधना के साथ अच्छे कर्म करने का आह्वान किया। उन्होंने जीवन में सत्संग व शास्त्रों में बताए आदर्शों का श्रवण करने का आह्वान करते हुए कहा कि सत्संग में वह शक्ति है, जो व्यक्ति के जीवन को बदल देती है। उन्होंने कहा कि व्यक्तियों को अपने जीवन में क्रोध, लोभ, मोह, हिंसा, संग्रह आदि का त्यागकर विवेक के साथ श्रेष्ठ कर्म करने चाहिए। 

कथा के दौरान कपिल चरित्र, सती चरित्र, धु्रव चरित्र, जड़ भरत चरित्र, नृसिंह अवतार आदि प्रसंगों पर प्रवचन करते हुए कहा कि भगवान के नाम मात्र से ही व्यक्ति भवसागर से पार उतर जाता है। उन्होंने भगवत कीर्तन करने, ज्ञानी पुरुषों के साथ सत्संग कर ज्ञान प्राप्त करने व अपने जीवन को सार्थक करने का आह्वान किया। भजन मंडली की ओर से प्रस्तुत किए गए भजनों पर श्रोता भाव विभोर होकर नाचने लगे। मंदिर के महंत शुक्ला बाबा एवं पंडित राघवेंद्र खेमारिया  गोपाल लालवानी सहित सैकड़ों की संख्या में महिला एवं पुरुष उपस्थित थे।

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