भारत को भी अपने हितों का ध्यान रखते हुए फैसले करने होंगे
यूक्रेन में बिगड़ते हालात...
यूक्रेन के शहर खारकीव में मंगलवार को एक भारतीय युवक की मौत ने वहां फंसे तमाम भारतीयों और यहां उनके परिजनों, मित्रों की चिंता कई गुना बढ़ा दी है। उसकी मौत तब हुई, जब वह खाने का सामान लेने घर से निकल कर पास की एक दुकान पर गया था। इससे यह भी स्पष्ट होता है कि रूसी हमलों के निशाने पर बने यूक्रेनी शहरों में लोग कितने कठिन हालात में हैं। घरों और बंकरों में अगर वे बम हमलों से कुछ हद तक सुरक्षित रहते हैं तो भूख का निवाला बनने का खतरा झेल रहे होते हैं। इस बीच एक और युवक की मौत की खबर आ गई जो पंजाब के बरनाला का बताया गया है। स्वाभाविक ही इन खबरों के बाद यूक्रेन में फंसे देशवासियों को वापस लाने का काम और तेज कर दिया गया। इसमें आवश्यक तालमेल बनाए रखने और पूरी प्रक्रिया को अधिक से अधिक सहज बनाने के लिए चार केंद्रीय मंत्री पहले ही लगाए जा चुके थे।
मंगलवार को वायुसेना के बड़े विमान भी भेजे गए। इरादा है कि जल्द से जल्द सभी लोगों को निकालने का काम पूरा कर लिया जाए। लेकिन जमीनी हालात कितनी तेजी से बदल रहे हैं, इसका अंदाजा इस बात से लगता है कि मंगलवार सुबह केंद्रीय मंत्री जनरल वी के सिंह ने ट्वीट किया- यूक्रेन में जो जहां हैं वहीं रहें, सबको सुरक्षित निकाला जाएगा। लेकिन इसके कुछ घंटों के अंदर भारतीय दूतावास ने अडवाइजरी जारी कर कहा कि सभी भारतीय जैसे भी संभव हो जल्द से जल्द कीव से निकल जाएं। इस अडवाइजरी के पीछे यह सूचना थी कि रूसी टैंकों का लंबा काफिला राजधानी कीव की ओर तेजी से बढ़ रहा है। बहरहाल, यह युद्ध यूक्रेन समेत पूरी दुनिया के लिए चाहे जितनी भी परेशानियां ला रहा हो, खुद रूस के लिए भी कम बड़ी आफत नहीं साबित हो रहा।
यूक्रेन के अंदर जिस तरह का प्रतिरोध रूसी सेना को झेलना पड़ रहा है, वह तो अप्रत्याशित है ही, लेकिन उससे भी बड़ी मुसीबत हैं आर्थिक प्रतिबंध।अमेरिका, यूरोपियन यूनियन, फ्रांस, ब्रिटेन और जापान- इन सबकी साझा मोर्चेबंदी ने आर्थिक मोर्चे पर रूस के सामने मुश्किलों का पहाड़ खड़ा कर दिया है। पूरा विश्व जनमत उसके खिलाफ है, जबकि रूस बिल्कुल अकेला पड़ गया है। ऐसे में अगर कुछ समय में रूस यूक्रेन में अपनी सैन्य कार्रवाई में कामयाबी पा भी लेता है तो उसकी मुसीबतें दूर नहीं होने वालीं। जहां तक भारत की बात है तो वहां फंसे सभी भारतीयों को सुरक्षित निकाल लाने के बाद उसके सामने रूस से जुड़े अपने व्यापारिक हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का सवाल होगा। लेकिन यह याद रखना चाहिए कि रूस अब एक ऐसा देश है जो पश्चिम की नजरों में विलेन है और तमाम प्रतिबंध झेल रहा है। ऐसे में भारत को भी अपने हितों का ध्यान रखते हुए फैसले करने होंगे।
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