मन्दिर के फूलों से तीन दिन में तैयार किया इकोफ्रेंडली गुलाल

जेयू पर्यावरण विज्ञान अध्ययनशाला के छात्रों ने…

मन्दिर के फूलों से तीन दिन में तैयार किया इकोफ्रेंडली गुलाल

रंगों के त्योहार होली के नजदीक आते ही मार्किट में  रंग और गुलाल मिलने शुरू हो गए हैं। बाजार में होली के लिए मिलने वाले गुलाल केमिकल युक्त होने से काफी हानिकारक होते हैं और स्किन एलर्जी सहित कई तरह के रोगों का कारण भी बनते हैं। इन सबको देखते हुए जीवाजी विश्वविद्यालय की पर्यावरण विज्ञान अध्ययनशाला के छात्रों ने ऐसा गुलाल बनाया है, जो पूरी तरह से केमिकल रहित है। ईको फ्रेंडली इस गुलाल से किसी भी प्रकार की एलर्जी या अन्य बीमारियों का खतरा भी नहीं है। खास बात यह है कि इसे मंदिरों में चढ़े हुए फूलों से बनाया गया है, जिससे इसे लगाने के बाद खुशबू आएगी। 

मल्टीपरपज और पूरी तरह से ऑर्गेनिक इस गुलाल को जेयू की पर्यावरण विज्ञान अध्ययनशाला के छात्र सचिन विप्पल और राघवेंद्र धाकड़ ने तैयार किया है। पर्यावरण विज्ञान अध्ययनशाला के छात्र सचिन विप्पल और राघवेंद्र धाकड़ ने बताया कि उन्होंने पहले  जेयू कैम्पस में अध्ययनशाला के करीब स्थित मन्दिर में भगवान पर चढ़े हुए फूलों को एकत्र करके उन्हें पानी से साफ किया। उसके बाद उन्हें 24 घण्टे तक पानी मे रखा। फिर उन्हें 48 घण्टे तक सूखने दिया। पूरी तरह सूखने के बाद उन्हें बारीक पीसकर उनका पावडर बना लिया। अंत मे मलमल के कपड़े से उस पाउडर को छान लिया। 

इस तरह छना हुआ मटेरियल गुलाल के रूप में प्राप्त हुआ और कपड़े में बचा हुआ वेस्ट का प्रयोग रंगोली कलर के रूप में कर सकते हैं। तीन दिन की इस प्रक्रिया में ऑर्गेनिक गुलाल के साथ रंगोली कलर भी बनाए जा सकते हैं। खास बात यह है कि गुलाल और रंगोली कलर दोनों ही बॉडी के लिए किसी भी प्रकार से नुकसानदायक नहीं है। येलो मैरी गोल्ड, ऑरेंज मैरी गोल्ड, बोगन बिलिया, गुलाब, मोगरा, मैरी गोल्ड और गेंदा का मिक्स। इस सबन्ध में पर्यावरण विज्ञान अध्ययनशाला के विभागाध्यक्ष डॉ हरेंद्र शर्मा ने बताया कि छात्रों के इस तरह के प्रयास से उनके कौशल का विकास होता है साथ ही युवा इस  इस तरह के प्रयासों को स्वरोजगार के लिए भी अपना सकते हैं।

पूरी तरह से ईको फ्रेंडली गुलाल अच्छा कॉन्सेप्ट है। मंदिरों से निकले हुए फूलों से गुलाल एवं रंग बनाना कचरा प्रबंधन एवं स्वरोजगार के लिए अच्छी पहल है, साथ ही आने वाले समय मे फूलों की खेती करने वालों को भी छात्रों के माध्यम से इस तरह के गुलाल, रंगोली कलर आदि तैयार करने के लिए प्रेरित किया जाएगा,जो उनके स्वरोजगार में सहायक होगा - प्रो अविनाश तिवारी, कुलपति, जेयू

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