19 को बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण करेंगे PM मोदी

5 रुपए प्रति किलोग्राम कम दर पर उपलब्ध होगी…

19 को बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण करेंगे PM मोदी

 

शहर से निकलने वाले गीले कचरे की गुणवत्ता इतनी अच्छी है कि 95 फीसदी तक यह रिसाइकल हो जाता है। दिल्ली की कंपनी ने सालभर में 200 बार अलग-अलग नमूने लेकर जांच की। गीले कचरे में 0.5 से 0.9 प्रतिशत तक ही अपशिष्ट ऐसा होता है, जो उपयोगी नहीं होता। 19 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बायो सीएनजी प्लांट का लोकार्पण करेंगे। इस बार देश के 20 राज्यों के मिशन डायरेक्टर कचरे से गैस बनने की प्रक्रिया देखने आएंगे। इनके लिए एक आयोजन 19 को ही ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में अलग से होगा। कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया इससे उत्पन्न गैस में मीथेन गैस 96 प्रतिशत शुद्धता में पाई गई है।

निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने बताया प्लांट पीपीपी मॉडल पर बना है। प्लांट स्थापित करने वाली दिल्ली की एजेंसी आईईआईएसएल से निगम को सालाना 2.50 करोड़ रुपए प्रीमियम के मिलेंगे। कार्बन क्रेडिट बेचने पर भी 8 करोड़ अलग से मिलेंगे। यहां 17 हजार 500 किलोग्राम बायो सीएनजी और 100 टन उच्च गुणवत्ता की आर्गेनिक कम्पोस्ट का उत्पादन हर दिन होगा। कुल गैस में से 50 प्रतिशत गैस लोक परिवहन की बसों के उपयोग करने के लिए बाजार दर से 5 रुपए प्रति किलोग्राम कम दर पर उपलब्ध होगी। बची गैस इंडस्ट्री सेक्टर को बेची जाएगी।

  • 1. घरों से निकला गीला कचरा गाड़ियों से कचरा ट्रांसफर स्टेशन और फिर वहां से ट्रेंचिंग ग्राउंड स्थित सीएनजी प्लांट पहुंचेगा। गीले कचरे में आसानी से विघटित होने वाले पदार्थों की मात्रा ज्यादा होगी।
  • 2. गीले कचरे को ग्रैब क्रेन की मदद से हॉपर, हैमर मिल और टॉमेल के जरिए प्रोसेस किया जाएगा। 120 एमएम से कम गीले कचरे को कन्वेयर बेल्ट से सेपरेशन हैमर मिल में भेजेंगे। गीले कचरे से गैस बनने की शुरुआत यहीं होगी। स्वचालित यह मशीन कचरे से स्लज बना देगी।
  • 3. हैमर मिल से निकले स्लज को हाइड्रोलिसिस टैंक में अपघटन के लिए रिसाइकल पानी में दो दिन रखेंगे। ऐसे दो टैंक बने हैं।
  • 4. एनारोबिक डायजेशन यानी बायो मिथेनेशन प्रक्रिया शुरू होगी। स्लज को ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में 25 दिन तक अपघटन के लिए रखा जाएगा। इस प्रक्रिया के तहत बायो गैस का उत्पादन होगा। डाइजेस्टर टैंकों के ऊपरी हिस्सों में इसे इकट्ठा किया जाएगा। 5.गैस को पाइप लाइन के जरिए बड़े स्टोरेज गुब्बारों (बायोगैस बलून) में इकट्ठा किया जाएगा। इसमें 55-60% मीथेन गैस रहेगी।
  • 6. बायोगैस बलून में इकट्ठा गैस को शुद्धिकरण उन्नयन के लिए फ्लेयर, ब्लोअर, गैस कूलर मशीन प्लांट में भेजा जाएगा। वहां गैस शुद्धिकरण प्रक्रिया के बाद यह गैस बायो सीएनजी कहलाएगी। इसमें मीथेन गैस का प्रतिशत 90 से 96 प्रतिशत रहेगा। इस प्लांट से प्रतिदिन लगभग 17 हजार 500 किलोग्राम बायो सीएनजी का उत्पादन किया जाएगा।
  • 7. एनारोबिक डायजेशन में गैस अलग होने के बाद बचे स्लज को सॉलिड लिक्विड सेपरेशन के लिए मशीनों में भेजा जाएगा।
  • 8. सॉलिड लिक्विड सेपरेशन के बाद लिक्विड को लिक्विड फर्टिलाइजेशन और ईटीपी के लिए भेजा जाएगा, वहीं सॉलिड को बायो फर्टिलाइजर के लिए कंपोस्टिंग में भेजा जाएगा। यहां बायो बायो फर्टिलाइजर कंपोस्ट का निर्माण होगा।

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