PM को कहना पड़ा "अपने मुख्यमंत्री को कहना मैं जिंदा लौट आया हूँ!"

पंजाब के सीएम पंजाब को पतन के रास्ते पर ले जा रहे हैैं !

PM को कहना पड़ा "अपने मुख्यमंत्री को कहना मैं जिंदा लौट आया हूँ!"

भारतीय राजनीति का स्तर इतना गिर चुका है कि देश के सर्वोच्च पद पर बैठे व्यक्ति की जान पर बन आए ये मुझे विवश होकर इसलिए कहना पड़ रहा हैं क्योंकि कल जिस प्रकार प्रधानमंत्री के काफिले को 15-20 मिनट तक पंजाब के बठिंडा में कांग्रेस समर्थित किसान-मजदूर संघ ने रास्ता रोक लिया गया और वह भी पंजाब पुलिस की मौजूदगी में जो कि बेहद ही शर्मनाक और निंदनीय घटना है। मूक दर्शक बनकर देखने वाले पंजाब पुलिस के जवानों ने कोई कार्यवाही नहीं की ! अब प्रश्न यह उठता है कि इन्हें कार्रवाई करने से किसने रोक रखा था। इसका जवाब तो डीजी पंजाब पुलिस, गृह मंत्री पंजाब और मुख्यमंत्री चन्नी को देना ही पड़ेगा।  

देश के सर्वोच्च पद पर बैठे प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति का काफिला जिन मार्गों से होकर गुजरता है , या जो मार्ग वैकल्पिक रूप में उनके काफिले के गुजरने के लिए तय किए जाते हैं उन मार्गों पर राज्य सरकार के द्वारा 24 घंटे पहले पुलिस बल तैनात कर दिया जाता है इसके अलावा जब काफिला एयरपोर्ट से रवाना होता है तो उसके 1 घंटे पूर्व रोड पूरी तरह क्लियर करवा दी जाती है लेकिन यहां पंजाब सरकार और पंजाब पुलिस ने ऐसा कुछ नहीं किया। उल्टा पंजाब के मुख्यमंत्री चन्नी ने शाम को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार की सुरक्षा एजेंसियों और स्वयं प्रधानमंत्री पर ही उल्टे सवाल उठा दिए कि उनको हवाई मार्ग से सभा स्थल तक पहुंचना था अचानक उन्होंने अपना रूट प्लान अपनी मर्जी से बदल दिया जिसकी हमें कोई सूचना नहीं दी गई। 

श्रीमान चन्नी साहब ये बात कोई नौसिखिया छुट-भैया नेता कहे तो समझ में आती है लेकिन आपके द्वारा ये बात कहना उचित नहीं है क्योंकि पढ़ा-लिखा और कानून की समझ रखने वाला प्रत्येक नागरिक जानता है कि सर्वोच्च पदों पर बैठे वीवीआइपी का रूट भले ही अचानक बदला जाए लेकिन उस वीवीआईपी की सुरक्षा की और गंतव्य तक पहुंचाने की पूरी जिम्मेदारी राज्य सरकारों की होती है। माना कि मौसम खराब होने की वजह से हवाई मार्ग ना अपनाते हुए पीएम मोदी के काफिले को बाई रोड सभा स्थल तक ले जाने का निर्णय लिया। लेकिन इसकी सूचना प्रधानमंत्री के साथ चल रही सुरक्षा एजेंसियों केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आपके मंत्रालय के उच्च अधिकारियों और पंजाब पुलिस को दी गई इसके बावजूद भी आपके द्वारा रोड क्लियर नहीं कराई गई उल्टा आपके द्वारा यह सूचना लीक कर दी गई जिससे तथाकथित किसानों मजदूरों ने प्रधानमंत्री के काफिले को बीच सड़क पर रोक लिया।

काफिला भी ऐसी जगह रोका गया जहां से वह ना तो आगे जा सकता था और ना ही पीछे मुड़ सकता था, क्यों माना जाए कि फ्लाईओवर के ऊपर पीएम मोदी के काफिले को रोका जाना एक सोची समझी साजिश है। फ्लाईओवर्स से पाकिस्तान बॉर्डर चंद किलोमीटर की दूरी पर है फ्लाईओवर के आसपास तमाम सारी इमारतें हैं उसके अलावा लोकल सिटीजंस की गाड़ियां भी सड़क पर वे रोक-टोक -जा रही थीं, कुछ गाड़ियां खड़ी हुई है ऐसे में कहीं से भी प्रधानमंत्री पर अटैक किया जाना कोई बहुत ही आसान हो सकता था। कोई भी देश विरोधी संगठन या तत्व फ्लाईओवर के नीचे विस्फोट आदि करके पूरे काफिले को ही निशाना बना सकता था। वो ईश्वर का शुक्र रहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ। 

तभी तो पीएम मोदी ने भी आपकी करतूत पर कटाक्ष भरा संदेश आपके लिए भेजा *"अपने मुख्यमंत्री को कहना मैं जिंदा लौट आया हूँ!"* 

 

ये बहुत बड़ी बात है... और इशारा है इस तरफ की देश कितने बड़े खतरे में है जोशुआ, जेहादियों , अलग देश की चाहत रखने वाले और नशे के सोदागरों के सम्मिलित षडयंत्र के सामने चवन्नी, अठन्नी पर बिकने वाले देश के दुश्मनों का समूल विनाश करना होगा, इनमें भय निर्मित करना होगा सरकार का कानून का।

देश के संविधान के साथ खिलवाड़ करने वाले और कानून का मजाक उड़ाने वालों को सबक सिखाना बहुत ही आवश्यक है।

प्रधानमंत्री की सुरक्षा में एक और बात चौंकाने वाली है और षड्यंत्र की संभावना को पुखता करती है

प्रधानमंत्री जी के काफिले के रास्ते बदले जाने की सूचना सिर्फ पंजाब पुलिस को थी, फिर रास्ता रोकने वाले उपद्रवियों को रास्ते की जानकारी कैसे मिली ?

प्रधानमंत्री के रूट का रास्ता सिर्फ पुलिस या सुरक्षा व्यवस्था करने वाले लोगों को पता होता है, उनका रुट प्लान लीक किसने किया ?

यदि प्रदर्शनकारी फ्लाईओवर पर पहुंच भी गए थे तो पंजाब पुलिस ने उन्हें वहां से हटाया क्यों नहीं

आज की बड़ी घटना से एक अहम सवाल उठता है जहां जिस राज्य में कांग्रेस की सरकार है वहां देश के प्रधानमंत्री का रैली करना, अपने प्राणों को संकट में डालने के बराबर है! अपने ही देश में रहने वाले लोग और राजनीति करने वाली कुछ पार्टियां स्वयं देश के लिये इतना बड़ा ख़तरा हो सकती है ! यह आज सिद्ध हो गया! जो देश के प्रधानमंत्री को सुरक्षा नहीं दे पाए वह आपके बच्चों को कैसे सुरक्षित रखेंगे ? क्या कांग्रेस को पूरी तरह समाप्त होने कीकगार पर हैये मोदी और हिंदुओं के नाम पर देश के लिये खतरा बन चुकी है!?

प्रधानमंत्री का काफिला 15-20 मिनट तक पंजाब के बठिंडा में फँसा कांग्रेस समर्थित किसान-मजदूर संघ ने रास्ता रोका, जिसे साफ करने में पंजाब पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं की। इस तथाकथित किसान मजदूर संघ पर अभी तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई ? प्रदर्शनकारियों की भीड़ जिसे हटाने की पंजाब पुलिस ने कोई विशेष कोशिश नहीं की ऐसा पंजाब पुलिस ने क्यों किया ? इस संगठन और पुलिस की लापरवाही के कारण प्रधानमंत्री की फिरोजपुर रैली रद्द हो गई। पंजाब सरकार और इस संगठन की साजिश से प्रधानमंत्री की सुरक्षा में बहुत बड़ी सेंध लगी। पंजाब की कांग्रेस सरकार खालिस्तानियों के समर्थन में इतनी अंधी हो गई है कि उसे प्रधानमंत्री की सुरक्षा की भी कोई परवाह नहीं रही ?

मिलिट्री स्ट्रेटजीज़ और गोरिल्ला वॉरफेयर की समझ रखने वाले भली प्रकार से जानते हैं कि किस प्रकार हाई वैल्यू टारगेट्स को संकरे रास्ते पर फंसाकर हिट किया जाता है ! फ्लाईओवर पर फंसा एक बड़ा हाई लेवल कॉन्वॉय इस प्रकार की गतिविधियों को अंजाम देने के लिए उपयुक्त स्थान है क्योंकि लंबा कॉन्वॉय रास्ता बंद होने के कारण आगे जा नहीं सकता और तेजी से पीछे भी हट नहीं सकता ! उससे भी महत्वपूर्ण बात यह कि घटना उस पंजाब राज्य की है जहां खलिस्तानी आतंकवाद पहले भी हजारों निर्दोषों के प्राण ले चुका है और जहां एक समय पर स्थिति इतनी बुरी थी कि राज्य के सिटिंग चीफ मिनिस्टर तक को खालिस्तानीयों द्वारा एलिमिनेट किया जा चुका है,

अब जरा पूरे घटनाक्रम कि परिस्थितियों पर दृष्टि डालिए!

प्रधानमंत्री को अपने गंतव्य स्थल पर हेलीकॉप्टर से जाना था, किंतु अचानक मौसम खराब हुआ और निर्णय लिया गया कि सड़क मार्ग से जाया जाएगा।

राज्य की कांग्रेस सरकार को तत्काल सूचित किया गया और यह जानकारी कि किस सड़क मार्ग का प्रयोग होगा यह जानकारी प्रदर्शनकारियों और स्थानीय नागरिकों तक पहुंच ही नहीं सकती थी, वह इंफॉर्मेशन केवल राज्य सरकार और उसके पुलिस प्रशासन तक ही सीमित थी। फिर भी चमत्कारिक रूप से प्रधानमंत्री के काफिले द्वारा प्रयोग किए जाने वाले उसी फ्लाईओवर के आगे ठीक उसी समय पर प्रदर्शनकारियों का प्रकट हो जाना और प्रधानमंत्री के कॉन्वोय का रास्ता रोक दिया जाना, और फिर प्रधानमंत्री के काफिले को एक फ्लाईओवर के ऊपर परोक्ष रूप से बंधक बनाकर रखना और राज्य की स्थानीय पुलिस द्वारा मार्ग पुनः चालू कराने में 15 से 20 मिनट का समय लगाया जाना कोई संयोग नहीं हो सकता ?

 हमें भाईचारे का चारा नहीं बनना

अपनी सुरक्षा हेतु आत्मनिर्भर बनना ही स्वधर्म है और हम इसको धारण करते हैं, क्योंकि धार्यते इति धर्म: क्या आप भी सनातनी हैं, यदि हां तो शत्रु की पहचान हो चुकी है, तो अब सरकार को तय करना है सुरक्षा और बचाव आवश्यक है अथवा शत्रु के मन में भय निर्मित करना ! गृह मंत्रालय, केंद्र सरकार, सुरक्षा एजेंसियों को तय करना होगा की राष्ट्र में भयभीत किसे होना चाहिए, अराजकवादियों को या जनता जनार्दन को अथवा प्रधानसेवक को !

पंजाब में 47 हजार करोड़ के उद्घाटन शिलान्यास आज मोदी जी ने करने थे लेकिन आज जो लापरवाही मोदी जी के पंजाब दौरे के दौरान हुई है उसने देश के सामने देश की गंदी राजनीति के चलते पंजाब की जनता को जो नुक्सान हुआ है।उसके लिए  देश माफ नही करेगा कांग्रेस को ?

जहां तक मेरी समझ है यह राज्य की पंजाब सरकार, सत्ताधारी दल, पुलिस प्रशासन, खालिस्तानीयों और वैश्विक पावर द्वारा रचा गया बहुत बड़ा षड्यंत्र था जिससे देश का नायक सकुशल निकल आया,और *अब शुगर कोटेड शब्दों में मेरी कड़वी ऑब्जरवेशन* ये है कि देश की राजधानी दिल्ली की सड़कों पर दो बार हो चुके हिंसा के नंगे नाच, बंगाल व् महाराष्ट्र में हुई अराजकता जैसी तमाम घटनाओं में लिप्त देश द्रोहियों को उनके किए की माकूल सजा नहीं दी गई यही कारण  हैं कि आज इनकी हिम्मत इतनी बड़ गई कि इन्होंने प्रधानमंत्री की जान ही जोखिम में डाल दी। इस समय राष्ट्र के शत्रुओं का साहस इतना बढ़ा हुआ है, कि यदि अभी भी पूरी शक्ति सामर्थ और बर्बरता के संग इस उठते हुए जहरीले फन को नहीं कुचला गया तो कठिनाइ बढ़ती चली जाएगी।

आन्दोलन की वजह समझ से परे है-

जिन मांगों को लेकर आन्दोलन किया जा रहा है असल में वो वज़ह है ही नहीं... कोई इन तथाकथित आंदोलन जीवियों से पूछें की जब आप अपनी फसल को बाजार में कहीं भी किसी भी भाव पर बेचने के लिए स्वतंत्र हैं आप अपनी फसल को बेचने के लिए बाध्य नहीं है तो फिर एमएसपी की मांग क्यों ? जब कर्जा लिया है तो उसे माफ करवाने के लिए सरकार पर बेवजह दबाव बनाने का प्रयास क्यों करते हैं किसानसरकारें भी वोट के लालच में किसानों का कर्जा बार-बार माफ करके किसानों को लालची बनाने का कार्य कर रही है। क्यों किया जाता है उनका कर्जा माफजबकि एक आम आदमी (मजदूर) बैंक से अगर ₹10000 का भी कर्जा ले और उसे जमा ना करें तो उसके घर कुर्की का आदेश भेज दिया जाता है। अगर किसान अन्नदाता है तो मजदूर भी देश का निर्माता है यह भेदभाव क्यों ? आंदोलन के दौरान दिल्ली पुलिस के साथ हुई घटनाएं तोड़फोड़ आदि के क्रिमिनल केस दर्ज मुकदमों को खत्म करवाने के लिए सरकार पर बेवजह दबाव बनाकर उसे ब्लैकमेल करने का प्रयास

-    रवि यादव

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