शीशे से लोहे बरतर तुम काटने चले...

शायरी से दी डॉ. कमर ग्वालियरी को श्रद्धांजलि

शीशे से लोहे बरतर तुम काटने चले...

ग्वालियर। शीशे से लोहे बरतर तुम काटने चले हो... लोहे को जबकि बरतर लोहा ही काटता है... डॉ. कमर ग्वालियरी की यह शायरी कवि अमित चितवन ने फूलबाग स्थित मानस भवन में बज्मे उर्दू और अन्जुमन तरक़्की उर्दू (हिन्द) द्वारा आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पेश की। कार्यक्रम में वरिष्ठ शायर, चित्रकार, कहानीकार मरहूम डॉ. कमर बरतर ग्वालियरी को याद कर कवियों और शायरों ने काव्य पाठ कर श्रद्धांजलि अर्पित की। 

कार्यक्रम में नगर के वरिष्ठ शायर वकार सिद्दीकी, आमिर फारूखी, अतुल अजनबी, तेज नारायण शर्मा, डॉ. सुरेश सम्राट, घनश्याम भारती, डॉ वसीम अहमद, डॉ बी शुक्ल, कादम्बरी आर्य, राजेश अवस्थी लावा, डॉ. सलिल बरतर, राकेश अचल  आदि ने काव्य पाठ किया । इस दौरान बड़ी संख्या में कवि और शहर के गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।

Comments