बुंदेलखंड में अवैध रेत उत्खनन की मची खुली लूट

मध्यप्रदेश शासन को हो रहा करोड़ों का नुकसान…

बुंदेलखंड में अवैध रेत उत्खनन की मची खुली लूट

छतरपुर। बुंदेलखंड की जीवन दायनी कही जाने वाली केन नदी की कोख को पिछले दस वर्षों से रेत माफिया अनवरत उजाडऩे में लगे हुए है। बीते वर्ष में लखनऊ की आनंदेश्वर एग्रो कंपनी को 75 करोड़ रुपये में जिले की 48 खदानों का तीन वर्ष के लिए अनुबंध प्राप्त हुआ था। जिसमें कंपनी को 17 लाख घनमीटर प्रति वर्ष रेत निकालना थी, परन्तु रोयल्टी जमा नहीं करने के कारण जून 2021 में यह अनुबंध प्रदेश सरकार ने निरस्त कर दिया। जिस कारण रेत माफिया जमकर अवैध उत्खनन करने पर उतारू है। बीते सप्ताह पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह के द्वारा छतरपुर जिले के एक शादी समारोह कार्यक्रम के दौरान खुलकर मीडिया से बात करते हुए कहा था कि प्रशासन चाहे तो एक दिन में अवैध उत्खनन को बंद करा सकता है मगर अवैध रेत का उत्खनन करने वाले इसका हिस्सा शासन-प्रशासन, विधायक, मंत्री को भेजते है। 

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के संसदीय क्षेत्र में रेत का जमकर अवैध उत्खनन किया जा रहा है। और शासन को करोड़ों रुपये का घाटा हो रहा है। जिले के लवकुशनगर अनुभाग में एक दर्जन से अधिक स्थानों से दिन-दहाड़े रेत निकाली जा रही है। गौरतलब है कि वर्तमान में जिले की किसी भी रेत खदान का ठेका नहीं है, इसके बावजूद भी अवैध तरीके से रेत का व्यापक पैमाने पर उत्खनन किया जा है। सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। 

वर्तमान में राजनगर एवं चंदला विधानसभा क्षेत्र में रामपुर, परेई, हर्रई, कदेला, गोयरा, बारबंद, लसगरिया, बगारी आदि स्थानों पर यूपी और एमपी के लोगों ने डेरा जमा रखा है जो पुलिस व खनिज के अफसरों की मिलीभगत से अवैध उत्खनन कर रहे है। रोजाना कई ट्रकों के माध्यम से एमपी से रेत निकलकार यूपी के गिरवा व मटौंध थाने से होकर कई अन्य शहरों में महंगे दामों पर बेची जा रही है। बुंदेलखंड की केन नदी पहाड़ों से होकर बहती यह कटनी से प्रारंभ होकर उ.प्र. के बांदा में चिल्ला घाट पर समाहित होती है। यह भारत की स्वच्छ नदियों में सुमार है। दोनों ओर इसके पहाड़ है, इसी कारण इसमें पाई जाने वाली रेत की कीमत भारत में महंगे दामों पर बेची जाती है। 

बताया जाता है कि इस नदी से निकलने वाली रेत अन्य नदियों में नहीं पाई जाती है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के रेत माफिया केन नदी की जलधारा में कई मीटर गहराई तक लिफटर डालकर बालू की खुदाई कर रहे है तथा भारी हेबी पोकलैण्ड मशीनें नदियों में उतार रखी है, जिससे जलजीवों के जीवन पर गहरा संकट मंडरा रहा है। केंद्र और एमपी-यूपी की महत्वाकांक्षी योजना केन-बेतवा लिंक की ‘कब्र’ भी खोदी जा रही है। एमपी से लेकर यूपी के बांदा और हमीरपुर तक नदी की तलहटी से अंधाधुंध हो रहे खनन से जलधारा के ही मिटने की संभावना पैदा हो गई है। अगर केन नहीं बचेगी तो लिंक परियोजना में बेतवा को पानी कहां से मिलेगा।

Reactions

Post a Comment

0 Comments