Chirayu Hospital में आयुष्मान कार्ड धारकों को कोविड उपचार योजना का लाभ देने से इनकार !

यहां के डॉक्टर्स को नहीं है प्रदेश सरकार के आदेशों की परवाह…

चिरायु हॉस्पिटल में आयुष्मान कार्ड धारकों को कोविड उपचार योजना का लाभ देने से इनकार !

भोपाल। प्रदेश की राजधानी में चिरायु अस्पताल ने कोविड मरीजों को आयुष्मान कार्ड से मुख्यमंत्री कोविड उपचार योजना का लाभ देने से इनकार कर दिया। अस्पताल में भर्ती मरीज का बेटा अस्पताल के मैनेजर से आयुष्मान कार्ड से मरीज का इलाज करने की बात कह रहा है। इसमें अस्पताल का मैनेजर गौरव बजाज जवाब दे रहा है कि अस्पताल के मालिक डॉ. अजय गोयनका के अनुसार उन्होंने तय किया है कि आयुष्मान कार्ड कोविड मरीजों के इलाज के लिए मान्य नहीं होगा। हम आयुष्मान कार्ड को स्वीकार नहीं करेंगे। साथ ही, पीड़ित के कारण पूछने पर मैनेजर कहता है कि हम इसका जवाब आपको देने के लिए बाध्य नहीं है। वीडियो बंद करो और बाहर जाओ। बाद में गार्ड से बाहर फेंकने के लिए कहता है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। मामले में भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने चिरायु अस्प्ताल प्रबंधन को नोटिस देकर 3 दिन में जवाब मांगा है। यह वीडियो शुक्रवार रात 9 से 10 बजे के बीच का है। इसे अस्पताल में भर्ती मरीज 63 वर्षीय रुक्मिणी बलवानी के बेटे योगेश बलवानी ने बनाया है। 

वीडियो में जब योगेश मैनेजर गौरव से पूछते है कि सरकार की तरह से आयुष्मान कार्ड के तहत मुफ्त इलाज देने वाली वाली सूची में चिरायु अस्पताल का नाम है तो मैनेजर गौरव उनको सुनने से इनकार करते हुए गार्ड से कहता है कि बाहर फेंको इसको। बता दें, योगेश बलवानी की मां रुक्मिणी बलवानी का शनिवार शाम 5.30 बजे निधन हो गया। योगेश ने बताया कि उनके मां के निधन के बाद रात 10 बजे अस्पताल प्रबंधन ने उनके भाई को 3 लाख रुपए जमा करने के लिए कहा, जबकि 2.5लाख रुपए पहले जमा करा लिए थे। योगेश का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने पहले उनकी मां का शव देने से मना किया, लेकिन बहुत मिन्नतें करने और बचा पैसा देने का आश्वासन देने के बाद रविवार सुबह 11 बजे शव दे दिया। साथ ही अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि आगे की कार्रवाई अब बाकी बिल का भुगतान करने के बाद ही की जाएगी। इस मामले में अस्पताल का पक्ष लेने के लिए डॉ. अजय गोयनका और मैनेजर गौरव बजाज से बात करने के लिए उनके नंबर पर संपर्क किया, लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। डीआईजी बंगला निवासी योगेश बलवानी ने बताया कि उनकी मां रुक्मिणी बलवानी को कोरोना संक्रमित होने पर 19 अप्रैल को चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। 

इसके बाद से अब तक अस्पताल में ढाई लाख रुपए जमा कर दिए। इस बीच 6-7 मई को शिवराज सरकार ने कोविड के मरीजों का मुफ्त इलाज आयुष्मान कार्ड से होने की योजना का एलान किया। साथ ही सूची जारी की। इसमें चिरायु मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल का नाम भी शामिल था। इसके बाद पिछले दो सप्ताह से मैं अस्पताल के अकाउंट विभाग और बिलिंग काउंटर के चक्कर लगा रहा हूं कि मेरे पास मां का आयुष्मान कार्ड है। इससे इलाज उपलब्ध करा दीजिए। अस्पताल में जमा करने के लिए और पैसे नहीं है। इसके बावजूद मुझे कोई जवाब नहीं दिया गया। इस बीच शुक्रवार रात को मैं अस्पताल गया और मैनेजर गौरव बजाज से मिलकर पूछा कि आप आयुष्मान कार्ड क्यों स्वीकार नहीं कर रहे। जबकि सरकार के आदेश है। उन्होंने कहा कि हम नहीं करेंगे। हमने गवर्नमेंट को जवाब दे दिया है। इसके बाद उन्होंने मेरे साथ बदसलूकी और मुझे धक्के देकर बाहर निकाल लिया। मेरी मां का इलाज चल रहा था मैं सिर्फ उनसे निवेदन ही करता रहा। योगेश ने बताया कि इसके बाद रात को अस्पताल के मालिक डॉ. अजय गोयनका से भी मिले। उन्होंने कहा कि तुम्हें जो करना है कर लो। सीएम, कलेक्टर जिसको शिकायत करनी है कर दो। हम आयुष्मान कार्ड स्वीकार नहीं करेंगे। 

इस मामले में  डॉक्टर अजय गोयनका और मैनेजर गौरव बजाज से पक्ष जानने के लिए फोन किया, तो दोनों ने काॅल रिसीव नहीं किया। वहीं, चिरायु मेडिकल काॅलेज के मालिक ने डॉ. अजय गोयनका ने इस मामले में वीडियो जारी कर सफाई दी है। गोयनका का कहना है, 'वीडियो वायरल करने वाले लड़के की मां 19 अप्रैल से अस्पताल में भर्ती है। सरकार का आदेश 7 मई को आया। इसके बाद से चिरायु मेडिकल कॉलेज में आयुष्मान के तहत आने वाले लाभार्थियों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। मुझे खेद है कि एक सोशल वर्कर ने जो बात मेरे नाम से कही है, वह गलत है। चिरायु मेडिकल कॉलेज में योजना के तहत मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। योजना से संबंद्ध पीरियड तक वह मरीजों को इलाज उपलब्ध करवाते रहेंगे। मैं वीडियो का खंडन करता हूं।'वहीं, भोपाल कलेक्टर अविनाश लवानिया ने मामले में चिरायु अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी किया है। इसमें अस्पताल प्रबंधन से मामले में तीन दिन में जवाब देने को कहा है। लवानिया ने कहा कि अस्पताल की तरफ से प्रस्तुत तथ्यों के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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