खाद्य प्रसंस्करण शिखर सम्मेलन सेमीनार आज
समावेशी विकास के लिए निर्माण साझेदारी” विषय पर होगा मंथन…
खाद्य प्रसंस्करण शिखर सम्मेलन सेमीनार आज
एसोचैम के वरिष्ठ सदस्य व यूपीएल लिमिटेड के उपाध्यक्ष डॉ. ओमबीर सिंह त्यागी, एफपीओ के पदाधिकारी एवं अन्य जनप्रतिनिधि कार्यक्रम में भाग लेंगे। शिखर सम्मेलन में कोका कोला, पतंजलि, आनंद डेयरी, नोवा डेयरी, अची मसाले, डीएस ग्रुप, हल्दीराम, डाबर सहित प्रमुख उद्योग हितधारकों के विभिन्न सत्रों में शामिल होने की उम्मीद है। साथ ही, फ्लिपकार्ट जैसे प्रमुख खुदरा विक्रेताओं के भी उपस्थित होने की आशा है। इस शिखर सम्मेलन में, राज्य में कृषि और खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में विकास के अवसरों पर चर्चा होगी, विशेष रूप से ग्वालियर, श्योपुर और मुरैना क्षेत्र पर फोकस रहेगा।
क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी का प्रसार सम्मेलन के माध्यम से किया जाएगा। बिजली और पानी की उपलब्धता, पर्याप्त भंडारण और निवेशकों के लिए परिवहन के बुनियादी ढांचे आदि पर चर्चा होगी। सम्मेलन में सरकार को व्यापार (B2 G), व्यापार से व्यापार (B2, B) बैठकें की जाएगी। शिखर सम्मेलन का उद्देश्य चंबल इलाके के ग्वालियर, श्योपुर व मुरैना में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र से जुड़े हितधारकों तक पहुंचना है और स्थानीय उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से खाद्य प्रसंस्करण तथा कृषि में स्थानीय आबादी को एकीकृत करने के लिए रणनीतियों और निवेश योग्य परियोजनाओं की सिफारिश करना और किसानों की आय बढ़ाना है। मध्यप्रदेश में बड़े भौगोलिक क्षेत्र के साथ, कृषि उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला के लिए उपयुक्त विविध जलवायु और मिट्टी है।
कृषि क्षेत्र के माध्यम से म.प्र. का अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान है। यह राज्य सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का लगभग एक-चौथाई योगदान देता है और 65 प्रतिशत से अधिक आबादी के लिए रोजगार का मुख्य स्रोत है तथा ग्रामीण आय का लगभग 60 से 75 प्रतिशत है। देश में सर्वाधिक मवेशी आबादी वाले तथा दलहन, तिलहन, लहसुन और धनिया उत्पादन के लिए म.प्र. शीर्ष स्थान पर है। विविधतापूर्ण फसल पद्धति व सबसे बड़ी मवेशियों की आबादी ने कृषि के तहत 40 प्रतिशत क्षेत्र में जैविक खेती करने में मदद की है, जो न केवल वर्षा आधारित कृषि से जुड़े जोखिम को कम करने में मदद करता है, बल्कि मिट्टी के स्वास्थ्य में भी सुधार करता है और इसमें समावेशी विकास की सुविधा देता है।
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