यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:

नारी की क्षमताओं को देखते हुए यह कहना ग़लत नही होगा कि…

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:

नारी ईश्वर रचित एक ऐसी कृति है, जिसे ईश्वर ने असीम क्षमताओं के साथ धरा पे उतारा है। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष में नारी का एक सम्मानीय स्थान रहा है। इसिलए कहा गया है-यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता:। यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफला: क्रिया:। अर्थात: जिस कुल में नारियों कि पूजा, अर्थात सत्कार होता हैं, उस कुल में दिव्यगुण, दिव्य भोग और उत्तम संतान होते हैं और जिस कुल में स्त्रियों कि पूजा नहीं होती, वहां जानो उनकी सब क्रिया निष्फल हैं। नारी की क्षमताओं को देखते हुए यह कहना ग़लत नही होगा कि हर दिन महिला दिवस के रूप में मनाना चाहिए, पर यूनाइटेड नेशन्स ने 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में घोषित किया है।

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है। यह उन महिलाओं की प्रशंसा करने का दिन है जो व्यक्तिगत और पेशेवर लक्ष्यों को पूरा करने के लिए हर दिन कड़ी मेहनत करती हैं।प्रायः ये देखने में आता है कि महिला का स्थान घर को माना जाता है, पर आज की नारी न सिर्फ कुशलता से घर परिवार संभालतीं हैं, अपितु कन्धे से कंधा मिलाकर परिवार की आय बढ़ाने में भी सहयोग करती हैं। ऐसा कहा जाता है कि अगर एक बालक को पढ़ाओगे तो वो अकेला शिक्षित होगा, परन्तु एक बालिका को पढ़ाओगे तो एक पूरा परिवार शिक्षित होगा।

महिला के सामाजिक योगदान का इतिहास भी साक्षी है। महिला अपने जीवन में जाने कितने ही रिश्ते और क़िरदार निभाती हैं, पर आज भी उन्हें कई बार कई जगहों पर वह सम्मान नही मिलता जिसकी वह हकदार होती हैं।आज भी कई जगहों पर ,गर्भ में ही बेटी को मार दिया जाता है, और कंजक पूजन के लिए गली गली में कन्याओं को ढूंढा जाता है ।सोचिये कन्या ही नही होतीं तो कितने रिश्ते नहीं होते।भारतवर्ष में देवी पूजा की प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है, परन्तु घर की लक्ष्मी कही जाने वाली महिला  कई स्थानों पे आज भी सम्मान से वंचित हैं।सही मायनों में देखा जाए तो नारी हर सम्बन्ध और हर परिवार की वह मज़बूत आधारशिला होती हैं, जिनके बिखरने से परिवार की नींव हिल जाती है।यह बात उस के जाने के बाद समझ आती है। 

नारी हर एक रूप में सशक्त थीं, हैं और रहेंगी, इस तथ्य को अपनाकर हर रूप में उसका सम्मान होना चाहिए। सम्मान नारी की कोमल भावनाओं का, उसके निःस्वार्थ प्रेम का,उसकी उत्कृष्ट सेवाओं का एवं उसके समर्पण का । ज़रूरी नही की जो  महिला बाहर जाकर काम करे तभी वो सम्मानीय है, एक महिला जो घर के सभी सद्स्यों के आराम और चिंता मुक्त जीवन का कारण है वह भी उतनी ही सम्मानीय है,क्योंकि वह मकान को घर बना देती हैं और पूरे साल बिना किसी छुट्टी के हर वक़्त परिवार की सुख सुविधा के लिए ततपर रहती हैं।महिला दिवस सिर्फ एक दिन नहीं अपितु एक सुनहरा अवसर है जब सभी उनके प्रति अपनी भावनाओं को उनके समक्ष रखकर उनका आत्मसम्मान बढा सकते हैं,उन्हें अपने कर्तव्यों को और स्फूर्ती से निर्वहन करने की उड़ान दे सकते हैं।

                                                             मोनिका जैन

                                                               योग प्रशिक्षक

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