सुदामा जी ने कृष्ण को दरिद्र होने से बचाया था : संत गोपाल शरण

सद कर्मों की तरफ अपना ध्यान लगाएं जिससे...

सुदामा जी ने कृष्ण को दरिद्र होने से बचाया था : संत गोपाल शरण 

पृथ्वी पर यह दौर कर्म युग का दौर है जिस मन और सोच के साथ जो कर्म व्यक्ति करता है उसको उसी तरह का हल और इच्छा की प्राप्ति होती है आज आप लोग जो भोग जेल में रहकर भोग रहे हो वह आपके किसी कर्म का फल है ईश्वर अच्छाई और बुराई दोनों की तुलना करने के बाद ही परिणाम देता है। यहां पर जो बंदी भाई हैं उनमें कुछ तो ऐसे हैं जो  निर्दोष हैं। लेकिन इस क्रम में नहीं जीवन के किसी कर्म में आप की सजा का योग लिखा था इसीलिए यहां आना पड़ा लेकिन यहां रह कर आप भागवत कथा के माध्यम से सद कर्मों की तरफ अपना ध्यान लगाएं जिससे आपके आने वाला भविष्य सवर जाए यह कर्म भूमि है आप अपने सदकर्मों से पुराने पापों को नष्ट भी कर सकते हो इसलिए ईश्वर में लीन होकर धर्म और मर्यादा का सदाचरण करते हुए कर्म करें वही महान है। यह बात केंद्रीय कारागार में चल रही भागवत कथा के दौरान कैदियों को सत मार्ग पर ले जाने के लिए व्यास गद्दी से संत गोपाल शरण जी महाराज ने कही। श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह की आज की कथा "उद्धार करो भगवान तेरी शरण पड़े" भक्ति गीत के साथ प्रारंभ करते हुए संत गोपाल शरण जी ने सुदामा चरित्र की कथा मैं बताया कि लोगों का मत है। 

सुदामा दरिद्र थे जिसमें कई वर्णन मिलते हैं। उन्होंने बताया कि सुदामा दरिद्र नहीं थे कृष्ण को दरिद्र होने से बचाया था जिस कथा में वर्णन किया गया कि एक ब्राह्मणी गरीब थी जो भिक्षा मांग कर अपने बच्चों का पेट भर्ती थी एक दिन ब्राह्मणी को भिक्षा में चने मिले जो  बच्चों को खिलाने के लिए रख दिए लेकिन जब तक वह घर पहुंची तो बच्चे सो चुके थे। बच्चों के सो जाने के कारण  ब्राह्मणी चने उन्हें नहीं खिला पाई उसने इन चनों सुबह बच्चों को खिलाने का निर्णय लेते हुए पोटली को घर के कोने में रख दिया। इसी दौरान ब्राह्मणी के घर में चोरी हो गई और पोटली में रखे चने चोर चुरा कर ले गए। उन्होंने सोचा कि इसमें कीमती सामान है।  इसी दौरान वह चोर संदीपनी आश्रम में चोरी करने पहुंचे जहां चोरों से चने की पोटली छूट गई और उस चने की पोटली को सुदामा की गुरु माता ने सुदामा को खाने के लिए दे दिए।  दूसरी ओर जब ब्राह्मणी ने अपने घर में सुबह उठकर देखा कि जो चने उसने बच्चों को खिलाने के लिए रखे थे वे चने चोरी हो गये हैं तो इस घटना से दुखी होकर गरीब ब्राह्मणी ने क्रोधित होकर चोरों को सराफ दिया की जो पोटली के चने को खाएगा वह दरिद्र  हो जाएगा।  

जब वह चने जंगल में सुदामा ने बरसते पानी के मौसम में कृष्ण को ना देते हुए स्वयं ही खा लिए जबकि कृष्ण भगवान बार-बार पूछते रहे कि मित्र सुदामा क्या खा रहे हो लेकिन सुदामा ने उन जनों को कृष्ण को नहीं खाने दिए वह जानते थे की इंजनों के खाने से मेरा मित्र कृष्ण गरीब हो जाएगा। सुदामा ने भगवान को पुरुषार्थ से प्राप्त किया था सुदामा ब्राह्मण होने के साथ ब्रह्म ज्ञानी थे। आज की भागवत कथा की महाआरती मुख्य यजमान जेल अधीक्षक मनोज कुमार साहू रश्मि साहू ,गंगा दास की साला के महंत रामसेवक दास जी महाराज, पूर्व विधायक घनश्याम पीरोनिया, नगर निगम सभापति लालजी जादौन, भाजपा नेता विनोद शर्मा, डॉक्टर, दीपक यादव ,उप जेल अधीक्षक महेश प्रसाद टिकारिया, एनके प्रजापति, विपिन दंडोतिया, प्रवीण त्रिपाठी ,देवेंद्र शर्मा ,ओमवती शर्मा, श्रीनिवास शास्त्री ,वृंदा पांडे, कृष्णा यूके, सहित जेल के कर्मचारी एवं जेल बंदी भाई उपस्थित थे। मंगलवार 23 फरवरी को भागवत कथा में राधा कृष्ण की फूलों से होली एवं बसंत उत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा।

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