पार्षद चुनाव के प्रायोजित अंश
खूब चलेंगे अब भंडारे,
नौता की बौछार है।
गली-गली में लगे घूमने,
नेता तारणहार है।
चरण पखारेगे के वोटर के,
वोटों का आधार है।
नगर निगम से लड़े लडैया,
ये ही पालनहार है।
भूले बिसरे संग सहारे,
याद इन्हे अब आएंगे।
मचलेगी अब भीड़ साथ में,
दारू भी बटवाएगे।
शब्द शब्द मे रस टपकेगा,
बोली मीठी बोलेगे।
जाति-धर्म का गणित जमाकर,
फिर वोटर को तोलेगे ।
कीमत होगी हर वोटर की,
और लक्ष्मी बरसेगी।
झूठ मूठ के वादे भाषण,
सच्चाई भी तरसेगी।
पल पल झूठ जीभ से फिसले,
इनकी ऐसी नीति है।
होगा कैसे भला वार्ड का,
क्या इनकी रणनीति है।
यही जुझारु लगनशील है,
और विकास के पुतले है ।
बन जाएंगे सेठ जीतकर,
अभी जो दुबले पतले है।
करे वार्ड की साफ-सफाई,
खुद भी घर बनवाएगे।
डलवाकर ये वोट तुम्हारे,
फिर वापस न आएंगे।
शुरू हो गई अब मैराथन,
वार पोस्टर हावी है।
जिसने ज्यादा घर झाॅके है,
वही पार्षद भावी है।
और कमा गए मौका लेकर,
इनको भी इक अवसर दो।
अब तो लोट गए पैरों में,
मतदाता बस हाॅ कह दो।
दावेदारी है सच सबकी,
और जीत की इच्छा है।
किसका हो परिणाम सफलता,
इनकी आज परीक्षा है।
हार गए तो लेगे बदला ,
जीत गए भग जाएंगे।
नहीं मिले जब पांच साल तक,
तब नेता कहलाएगे।
मन बैरागी गाता लिखता,
बुरे भले से क्या डरना।
फिर लिख बैठी कलम बाबरी,
तुमको सोचो क्या करना ।
भूपेंद्र "भोजराज" भार्गव
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