प्रदेश संगठन व वरिष्ठ नेताओं के बीच नहीं बैठ रहा तालमेल

शिवराज केबिनेट विस्तार में…
प्रदेश संगठन व वरिष्ठ नेताओं के बीच नहीं बैठ रहा तालमेल

धार। मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार की प्रस्तावित कैबिनेट की हालत कुछ ऐसी हो गई है, जैसे 20 सीटर बस में 32 दावेदार, समस्या यह है कि सब के सब दमदार उम्मीदवार। कैबिनेट की राह में कांटे इतने हैं कि मामला एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पा रहा है। शिवराज सिंह की संभावित कैबिनेट में बहुत मुश्किल हो रही हैं। सभी को खुश कैसे करें? नाराजगी के कारण बगावत न बढ़ जाय। एमपी में कैबिनेट विस्तार में उपचुनाव वाले क्षेत्रों का ख्याल पूरा रखा जाएगा। 24 में से 16 सीट ग्वालियर-चंबल संभाग हैं। शिवराज चाहते हैं कि कैबिनेट में उस क्षेत्र से आने वाले अरविंद भदौरिया को जगह मिले। भदौरिया की भूमिका ऑपरेशन लोट्स के दौरान भी रही है। सूत्रों के अनुसार पार्टी के 2 बड़े नेता नरेंद्र सिंह तोमर और प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा उनके नाम पर तैयार नहीं हैं। ऐसी स्थिति करीब-करीब संभागों में बन रही हैं। सीएम शिवराज ने इसे लेकर संघ नेताओं के साथ भी चर्चा की है। जबलपुर की बात करें तो अशोक रोहाणी का नाम पार्टी ने बढ़ाया है, जबकि उसी इलाके से अजय विश्नोई भी प्रबल दावेदार हैं। शिवराज के करीबी नेताओं में शामिल रीवा से विधायक राजेन्द्र शुक्ल को लेकर भी पेंच फंसा हुआ है। शिवराज, राजेन्द्र शुक्ल को फिर से मौका देना चाहते हैं तो संगठन वहां से गिरीश गौतम के नाम को आगे बढ़ा रहा है।

शिवराज के लिए इस दौर में अपने नेताओं को साधते हुए, ज्योतिरादित्य सिंधिया खेमे के लोगों को भी एडजस्ट करना सबसे बड़ी चुनौती है। सिंधिया के 2 लोग अभी मंत्रिमंडल में शामिल हैं। 5-6 और उनके लोगों को जगह मिल सकती है। इसी वजह से बीजेपी के समीकरण बिगड़ रहे हैं। एमपी में संवैधानिक रूप से 34 मंत्री बन सकते हैं। गोविंद सिंह राजपूत के कैबिनेट में शामिल होने के कारण पार्टी के कई नेताओं की दावेदारी फंस रही है। क्योंकि एक ही क्षेत्र से ज्यादा लोगों को प्रतिनिधित्व नहीं मिल सकता है। शिवराज कैबिनेट के विस्तार की एक बड़ी चुनौती है जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण। सागर जिले से पार्टी से 4 बड़े नेता दावेदार हैं। गोपाल भार्गव, भूपेन्द्र सिंह और प्रदीप लारिया जबकि गोविंद सिंह राजपूत पहले ही मंत्री बन चुके हैं। ऐसे में किस नेता को कैबिनेट में जगह दी जाए और किसे नहीं पार्टी के सामने मुश्किलें हैं। इंदौर से कई दावेदार हैं। फिलहाल इंदौर जिले से तुलसी सिलावट मंत्री हैं। सिलावट के अलावा ऊषा ठाकुर, रमेश मेंदोला और मालिनी गौड़ प्रमुख दावेदार हैं। रमेश मैंदोला, कैलाश विजयवर्गीय के करीबी हैं। धार जिले से बीजेपी के वरिष्ठ नेता विक्रम वर्मा की पत्नी तीन बार की विधायक नीना वर्मा व सिंधिया समर्थक राजवर्धन दत्तीगांव भी दावेदार हैं। विंध्य क्षेत्र से राजेन्द्र शुक्ल के अलावा, केदार शुक्ला, गिरीश गौतम, रामखिलावन पटेल और आदिवासी कुंवर सिंह टेकाम दावेदार हैं, जबकि विंध्य क्षेत्र से मीना सिंह पहले ही कैबिनेट मंत्री हैं। वहीं ग्वालियर-चंबल से नरोत्तम मिश्रा प्रदेश में मंत्री हैं। यहीं से सिंधिया समर्थक तीन चार मंत्री दावेदार हैं।

शिवराज कैबिनेट का विस्तार प्रदेश की 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव को देखते हुए भी किया जाएगा। ज्योतिरादित्य सिंधिया उपचुनाव में पार्टी के चेहरे हो सकते हैं। ऐसे में सिंधिया खेमे को नाराज नहीं किया जा सकता है। सिंधिया खेमे के नेताओं को कैबिनेट में जगह देकर पार्टी उपचुनाव में जाने की तैयारी कर रही है लेकिन दावेदारों की संख्या अधिक होने के कारण पार्टी की मुश्किलें बढ़ रही हैं। कैबिनेट में जगह पाने के दावेदार मनपसंद विभागों की भी चाहत रखते हैं। कहा जा रहा है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने खेमे के नेताओं के लिए उनके पसंदीदा मंत्रालय का दवाब बना रहे हैं। खासकर पूर्व में जो उनके पास थे, वो मिल जाए। जबकि बीजेपी के कई पुराने नेता एक बार फिर उस विभाग के लिए दावेदारी कर रहे हैं जो विभाग उनके पास पहले से था। ऐसे में किसे कौन सा विभाग दिया जाए, यह भी शिवराज सिंह चौहान और संगठन के लिए एक बड़ी मुश्किल है। सीएम के लिए मंत्रिमंडल विस्तार गले में हड्डी बनकर अटक गया है न निगलते बन रहा है और न खाते बन रहा है! पशोपेश में है सीएम अब बीजेपी हाईकमान के पाले में गेंद पहुंच गई हैं। अंतिम फैसला हाईकमान लेगा?

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