तेरी वर्दी का रौब न मुझे झुकने दे न मुझे डरने दे : डॉ. निशी भदौरिया

ऑनलाईन महिला साहित्यकार गोष्ठि का हुआ आयोजन…
तेरी वर्दी का रौब न मुझे झुकने दे न मुझे डरने दे : डॉ. निशी भदौरिया

मध्यभारतीय हिंदी साहित्य सभा द्वारा प्रतिमाह होने वाली महिला साहित्यकार गोष्ठी का ऑनलाइन आयोजन  बुधवार 24 जून 2020 को सायं 4 बजे किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वनाम धन्य नगर की स्थापित ग़ज़लकार कादम्बरी आर्य जी ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में नगर की स्थापित गीतकार एवं शिक्षाविद डॉ. गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में नगर की जानीमानी साहित्यकार सुनीति बैस जी उपस्थित रहीं। विविध भावरंगी इस गोष्ठी में गीत,ग़ज़ल, मुक्त छन्द रचना,लम्बी कविता,व्यंग्य,लघुकथा, कहानी जैसी विधाओं का रंग बिखरा। 

गोष्ठी का प्रारंभ दिल्ली की निवासी और ग्वालियर में आवासित युवा साहित्यकार मनीषा गिरी की रचना से हुआ। बेटी बचाओ कार्यक्रम की ब्रांड एम्वेसडर आद्या दीक्षित ने अपनी मर्म स्पर्शी रचना "और जब धरती की सारी किताबें उड़ जाएगी" प्रस्तुत कर गोष्ठी को वैचारिक ऊँचाई पर पहुँचाया। गोष्ठि में युवा महिला साहित्यकार के रूप में ग्वालियर की उभरती प्रतिभा व्याप्ति उमड़ेकर ने,मुरैना की शिवांगी शर्मा ने,कमकलता बघेल ने, लक्ष्मी शर्मा ने रचना-पाठ किया। गोष्ठी में सम्मिलित वरिष्ठ महिला साहित्यकारों में उमा उपाध्याय जी ने महारानी लक्ष्मीबाई पर केंद्रितकविता, हाइकू लेखिका डॉ ज्योत्सना सिंह ने कोरोना पर केंद्रित हाइकू, पुष्पा मिश्रा 'आनन्द' जी ने अपनी गजल 'कसक दिल मे बनी रहती कि अपने मिल नहीं पाते' की मोहक प्रस्तुति दी। 

गोष्ठि को गति देते हुये डॉ ज्योति उपाध्याय जी ने अपनी गजल 'आपके प्यार का यूँ नशा चढ़ गया',डॉ. वंदना कुशवाह जी ने 'एक सच यह भी'कविता, सीमा जैन'भारत' जी ने 'जीवन के रास्ते'कविता, डॉ. मंजुलता आर्य जी ने  अपने मुक्तक, प्रतिभा द्विवेदी जी ने सामयिक  दोहों का,डॉ. मंदाकिनी शर्मा ने'तू है तो...' कविता का, अपर्णा तिवारी ने ' मैंने कई मन्नतों के धागे बाँधे थे' कविता का, संगीता गुप्ता जी ने 'हथिनी रह- रह कर चिल्लाती है' गीत का, करूणा सक्सेना जी ने 'वृक्ष ही शिव है ' डॉ. निशी भदौरिया ने 'तेरी वर्दी का रौब मुझे न झुकने दे न डरने दे' गीत का, डॉ. तृप्ति तोमर ने अपनी कहानी ' पुण्य' का एवं पुणे की समीक्षा तैलंग ने अपनी व्यंग्य रचना 'शैलून के वो चमकते चेहरे' का वाचन किया। गोष्ठि अपने पूरे यौवन पर तब पहुँची जब देश की प्रशिद्ध कथाकार सुबोध चतुर्वेदी जी ने अपनी लघुकथा 'अविश्वास की दीवार' का वचन किया।

ऐसी क्रम में कुन्दा जोगलेकर जी ने अपनी रचना 'मातृभूमि की पुकार' का  तथा सुनीता पाठक जी ने अपनी रचना'ये अप्रवासी ग्रामीण किशोर'का ओजपूर्ण वाणी में वाचन किया। कार्यक्रम समारोप अतिथियों की रचना पाठ से हुआ जिसमें विशिष्ट अतिथि सुनीति बैस जी ने अपनी गजल'मैं उसको भूल जाना चाहती हूँ', मुख्य अतिथि डॉ. गिरिजा कुलश्रेष्ठ जी ने अपनी रचना 'वो दो शब्द जो होते हैं मरहम से दे दो उसे जो गिरा है अभी-अभी' और कादम्बरी आर्य जी ने अपनी ग़ज़ल 'चारों तरफ शोर इतना है कि कुछ भी सुनाई न दे' प्रस्तुत की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. मंजुलता आर्य और डॉ. निशी भदौरिया ने किया। आभार गोष्ठि की संयोजक डॉ. वंदना कुशवाह जी ने किया।

Comments