आखिर कब तक मूक पशु से तुम यूँ सहते जाओगे
आखिर कबतक यूँ मूक पशु से
सबकुछ सहते जाओगे,
अब बनना है परशुराम सा
सबको सबक सिखाओगे I
प्रचंड अग्नि यदि शांत हुई
तो कायरता शीश झुकायेगी,
पापी होगा वही जिससे
न शस्त्र उठाया जायेगा I
उठो !आज मानवता रोती
धर्म सिसकता राहों में
पापी और दुराचारी से
पिट पिट जान गँवाता है l
उठो !आज अन्याय, अनय
को रोको तुम, जो करे पाप
व्यभिचार उन्हें टोको तुम,
जहाँ भीरु बन धर्म स्वंय
लज्जित हो, वहाँ प्रचंड
प्रतिशोध बनी ज्वाला की
लपटें उठती हों , l
जाग्रत पौरुष नहीं किसी
जात धर्म के वश में
उद्दाम वेग बह उठता है
शूर, वीर, पीड़ित के उर में l
रक्त शीत पड़ गया अगर
वह व्यक्ति स्वयं पापी है,
अब उठो गर्म जोश से
प्रलय बाण छोडो तुम,
है जहाँ कहीं भी पाप
उसे रोको तुम I
याद करो !तुम,
परशुराम के वंशज हो
छोड़ो कायरता, भीरूपन
लो उठा आज लो खड्ग
पापों से पृथिवी मुक्त करो, l
तूफान उठेगा आज, प्रलय बाण फिर छूटेंगे , हर कोई बनेगा
परशुराम
हथियार हाथ ले , हुँकार भरें और टूट पड़ें , है कौन भला
जो जीत सके हमको इस
संग्राम समर रणभेरी में
संग्राम समर रणभेरी में Il
0 Comments