नई शराब दुकानें खोलने के विरोध में आए मंत्री

मुख्यमंत्री ने जताई सहमति...

नई शराब दुकानें खोलने के विरोध में आए मंत्री


भोपाल ।कमलनाथ कैबिनेट ने वर्ष 2020-21 के लिए आबकारी नीति को तो मंजूरी दे दी पर इसके प्रावधानों को अंतिम रूप सुझावों पर चर्चा करने के बाद ही दिया जाएगा। दरअसल, कुछ मंत्रियों ने नई शराब दुकानें खोलने के मुद्दे पर विरोध जताया। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इससे सहमति जताई। एक मंत्री ने तो यहां तक कह दिया कि आपको अच्छा लगे या बुरा पर इस कदम से सरकार की बदनामी ही होगी। माना जा रहा है कि सरकार उपदुकानों के प्रस्ताव से किनारा कर सकती है। वहीं, शराब के ठेके जिलेवार या क्लस्टर में देने को लेकर भी लंबी चर्चा हुई।

बताया जा रहा है कि नई नीति में जो आधार दर होगी, वो मौजूदा ठेका दर से बढ़ाकर रखी जाएगी। इससे सरकार को दो हजार करोड़ रुपए अधिक मिलने की उम्मीद है। सरकार का लक्ष्य है कि आबकारी नीति से करीब 14 हजार करोड़ रुपए की आय होनी चाहिए।

पक्ष में मंत्री: सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित नीति में उपदुकानें खोलने की अनुमति देने का प्रावधान रखा गया है। यह कदम इसलिए उठाया गया, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में दस किलोमीटर और शहरों में पांच किलोमीटर की परिधि में यदि दूसरी दुकान न हो और अवैध तौर पर बिक्री होती है तो उसे रोका जा सके। करीब 320 नई दुकानें खुलने का अनुमान है।

इसको लेकर वाणिज्यिक कर मंत्री बृजेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि नई दुकानें खोले जाने की बात नहीं है। ये उपदुकानें हैं जो मौजूदा नीति में भी है और जरूरी नहीं है कि लाइसेंसी उपदुकानें खोल ही ले। डॉ. गोविंद सिंह, प्रदीप जायसवाल और तरुण भनोत ने भी इसका पक्ष लिया। उनका कहना था कि रजिस्टर्ड दुकान होगी तो राजस्व बढ़ेगा और अवैध गतिविधि भी नहीं होगी।

विरोध में तर्क: सूत्रों ने बताया कि खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने कहा कि नई दुकानें खोलने से सरकार की बदनामी होगी। इसका ठीकरा आगे चलकर अपने सिर ही फूटेगा। कुछ और मंत्रियों ने विरोध में अपनी बात रखी। मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी इससे सहमति जताई और कहा कि थोड़े से राजस्व के लिए हमें नई दुकानें नहीं खोलना है। राजस्व थोड़ा बढ़ेगा पर इससे फर्क नहीं पड़ता है।

बताया जा रहा है कि खनिज साधन मंत्री प्रदीप जायसवाल ने नीति का इस आधार पर विरोध किया कि इसमें दुकानों के जो क्लस्टर (लगभग तहसील स्तर) बनाए गए हैं, उससे मोनोपॉली बढ़ेगी। शराब निर्माता आपस में सांठगांठ करके एक-एक क्लस्टर ले लेंगे और बाकी को प्रभावित करेंगे। अपनी शराब की खपत अवैध तौर पर बढ़ाएंगे, जिससे दूसरे ठेकेदारों को नुकसान होगा। ये लोग मिलकर नीति को फेल कर देंगे।

उन्होंने सुझाव रखा कि जिले में कम से कम दो और महानगरों में तीन-चार समूह बनाकर दुकानें नीलाम की जा सकती हैं। इससे सरकार को राजस्व भी अधिक मिलेगा। इस मुद्दे पर बताया गया कि पहले 12 सौ क्लस्टर थे, जिन्हें 350 करके बांटा गया है। किसी एक की दादागिरी नहीं चलेगी।

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