मंडियों में किसानो को सस्ता भोजन उपलब्ध करवाने की सरकार की योजना को पलीता...
ग्रामीण क्षेत्रों की कृषि उपज मंडियों में केंटीन बनाम समोसे/पकोड़ी की दुकान
तैयार फसल को रात में घर से बेचने के लिए किसान जब निकलते हैं। तो वे अलसुबह ही कृषि उपज मंडी पहुंच पाते हैं। ऐसे में होना भोजन पानी के लिए परेशान होना पड़ता है सरकार ने किसानों की परेशानी समझी और सभी कृषि उपज मंडियों में कैंटीन की सुविधा देना अनिवार्य किया लेकिन यह सुविधा सिर्फ कागजों में ही किसानों को मिल पा रही है।![]() |
| मंडी में नहीं मिलता भोजन इसलिए घर से लेकर आना पड़ती है रोटी : किसान |
सरकार की मंशा थी कि भूखा प्यासा किसान जब मंडी में पहुंचे तो, उसे ठंडा पानी और साफ सुथरा घर के सामान तैयार खाना बहुत ही कम पैसे में कैंटीन से मिले । लेकिन सरकार की मंशा के विपरीत इन मंडियों में व्यवस्थाएं कैंटीन के नाम पर , मातृ नाम भर की है।
इन कैंटीन में खाना तो छोड़िए जनाब ताजा नाश्ता भी किसानों को नहीं मिल पाता है। कैंटीन नाम पर चल रही इन नाश्ते की दुकानों वैसे तो कुछ समय खुलने के बाद ताला ही ढल जाता है। और जो खुली होती हैं उन पर नाश्ते के नाम पर सुबह कैसे के गए समोसे और पकौड़ी ही किसानों को मिल पाती है । हां यहां किसानों को चाय जरूर गरम मिल जाती है।
| मगरोनी कृषि उपज मंडी |
लेकिन जिस चाय और नाश्ते को तैयार, जिस गैस से किया जाता है वह गैस सिलेंडर भी सब्सिडी वाला है । यानी कि कमर्शियल कैंटीन में घरेलू गैस के सिलेंडर का इस्तेमाल या की कैंटीन में आम बात है।
इतना ही नहीं इन मंडियों में तोल मैं भी काफी कुछ घपला घोटाला देखने को मिला , जिसे किसानों ने दबी जुबान से स्वीकार किया। इसके अलावा कई जगह पर किसानों को तौल पर्ची भी नहीं दी जा रही थी। उसके स्थान पर हाथ से बनी हुई कच्ची पर्ची उन्हें थमाई जा रही थी।
| पिछोर कृषि उपज मंडी |
जिसमें तय तोल के अतिरिक्त जो माल लिया जा रहा था उसका कहीं कोई जिक्र नहीं नहीं था।
कॉल एवं कैंटीन की अनियमितता मगरोनी कृषि उपज मंडी तो वही पिछोर की मंडी में तोल एवं तोल पर्ची और कैंटीन सभी क्षेत्र में अनियमितता देखने को मिली । पिछोर मंडी में तो माल के बीच में सूअर निश्चिछद रूप से विचरण करते हुए भी हमारी टीम ने देखे।पूरा मंडी ऑफिस एक चतुर्थ श्रेणी महिला कर्मचारी के भरोसे था सुना पड़ा हुआ था।











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