नीलामी में नहीं बिकने वाला VIP नंबर अब 7000 रुपये में मिलेगा

परिवहन विभाग ने किया नीलामी की व्यवस्था में बदलाव…

नीलामी में नहीं बिकने वाला VIP नंबर अब 7000 रुपये में मिलेगा

 

ग्वालियर | परिवहन विभाग ने वीआइपी नंबरों की नीलामी की व्यवस्था में बदलाव किया है। अब उन नंबरो को वीआइपी सूची से हटाकर स्पेशल बनाया जाएगा, जो एक साल या फिर दस बार की नीलामी में नहीं बिके हैं। ऐसे नंबरों को वीआइपी सूची से हटाकर विशिष्ट नंबरों में तब्दील किया जाएगा। 7 हजार रुपये अतिरिक्त खर्च करके इन नंबरों को कोई भी खरीद सकता है। विभाग ने इस प्रक्रिया के बदलाव की अधिसूचना जारी कर दी है। यह फाइनल अधिसूचना है।

जिन वीआइपी नंबर को स्पेशल नंबर बनाया जाएगा, वह नंबर विभाग के पोर्टल वेब आधारित डीलर प्वाइंट नामांकन प्रणाली में प्रदर्शित होंगे। इन नंबरों को कोई भी डीलर प्वाइंट नामांकन प्रणाली के रजिस्ट्रेशन के लिए आनलाइन पेमेंट गेटवे का उपयोग करते हुए सिर्फ 7 हजार रुपये में खरीदे जा सकेंगे। ज्ञात हो कि नीलामी के खरीदे गए वीआइपी नंबर 60 दिन के अंदर गाड़ी पर लिखवाना होता है। आन लाइन नीलामी में वीआइपी नंबर की बोली लाखों पहुंच जाती है। वहीं दूसरी ओर व्यक्ति कंडम हो चुकी गाड़ी का वीआइपी नंबर अपनी नई गाड़ी में भी उपयोग कर सकता है।

इसके लिए गाड़ी का स्क्रैप सर्टिफिकेट परिवहन कार्यालय में जमा कराना कराने के साथ रजिस्ट्रेशन निरस्त कराना होगा। नीलामी में जितने का नंबर खरीदा गया था, उसकी कीमत जमा कराना होगी। परिवहन विभाग ने इस संबंध में फाइनल गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। गाैरतलब है कि बदलते समय के साथ लाेगाें में गाड़ियाें के लिए वीआइपी नंबर लेने की चाह भी बढ़ गई है। ऐसे में परिवहन विभाग अब कुछ खास वीआइपी नंबराें की नीलामी करता है।

संकट की घड़ी में भारत बना वैश्विक फार्मेसी

दुनिया पर कोरोना का कहर...

संकट की घड़ी में भारत बना वैश्विक फार्मेसी

कोरोना वायरस से जूझ रहे विश्व के लिए भारत एक रक्षक के रूप में उभरकर सामने आया है। भारत ने दुनियाभर के देशों को न सिर्फ कोरोना वायरस के इलाज में प्रयोग होने वाली आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराईं, बल्कि प्रतिरक्षात्मक टीके भी मुहैया कराए। एक तरह से भारत संकट की इस घड़ी में वैश्विक फार्मेसी बन गया है। 97 देशों को कोरोना रोधी वैक्सीन दी विदेश मंत्रालय के मुताबिक, भारत ने पिछले साल 31 दिसंबर तक विश्व के 97 देशों को कोरोना रोधी वैक्सीन की 11.54 करोड़ डोज मुहैया कराई हैं। 

भारत ने देश में पिछले साल 16 जनवरी को कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान शुरू किया था। साथ ही उसी दिन से वैक्सीन मैत्री कार्यक्रम के तहत दूसरे देशों को भी वैक्सीन देनी शुरू कर दी थी। वैक्सीन मैत्री के तहत भारत ने अपने पड़ोसी देशों के साथ ही कई अन्य गरीब देशों को अनुदान के रूप में वैक्सीन उपलब्ध कराई है। इसके अलावा कई देशों को वैक्सीन की बिक्री के साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के कोवैक्स कार्यक्रम के लिए भी टीके मुहैया कराकर एक जिम्मेदार राष्ट्र की भूमिका भी निभाई है। कोवैक्स कार्यक्रम के तहत विश्व के गरीब और निम्न आय वर्ग वाले देशों को वैक्सीन उपलब्ध कराई जाती है। 

भारत ने पड़ोसी पहले की अपनी नीति पर चलते हुए दक्षिण एशियाई देशों को सबसे ज्यादा 5.42 करोड़ डोज मुहैया कराई थी। सबसे ज्यादा बांग्लादेश को 2.25 करोड़ डोज भारत ने सबसे ज्यादा बांग्लादेश को 2.25 करोड़ और म्यांमार को 1.86 करोड़ डोज दी है। वहीं, नेपाल को 94.99 लाख, इंडोनेशिया को 90.08 लाख, अफगानिस्तान को 14.68 लाख, श्रीलंका को 12.64 लाख, भूटान को 5.5 लाख और मालदीव को भी 3.12 लाख डोज मुहैया कराई।

आप भी जानें विश्व के दूसरे सबसे प्राचीन कटारमल मन्दिर की महिमा...

 भगवान की मूर्ति पत्थर या धातु की न होकर बड़ के पेड़ की लकड़ी से बनी !

आप भी जानें विश्व के दूसरे सबसे प्राचीन कटारमल मन्दिर की महिमा...

सनातन धर्म और सनातन संस्कृति में सूर्य पूजा का पूराना इतिहास है। तभी तो सनातन धर्म के आदि पंच देवों में एक सूर्यदेव भी है। जिन्हें कलयुग का एकमात्र दृश्य देव माना जाता है। सूर्य को देव या यूं कहें सूर्य नारायण मानते हुए देश में कुछ जगहों पर सूर्य मंदिरों का भी समय समय पर निर्माण होता रहा है। जो आज भी कई रहस्य लिए हुए हैं। एक ऐसा ही प्राचीन मंदिर है ‘कटारमल सूर्य मन्दिर’। इस मंदिर को उड़ीसा में स्थित सूर्य देव के प्रसिद्ध कोणार्क मंदिर के बाद दूसरा सूर्य मंदिर माना जाता है। देवभूमि उत्तराखण्ड के अल्मोड़ा में कटारमल पर स्थित है। यह मंदिर उत्तराखण्ड में अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गांव में है। 

मंदिर के निर्माण के समय को लेकर विद्वान एकमत नहीं हैं। इस मंदिर का निर्माण नौवीं या ग्यारहवीं शताब्दी में कटारमल नामक एक शासक द्वारा करवाया गया माना जाता है। यह भी कहा जाता है कि प्राचीन काल में कुमाऊं में कत्यूरी राजवंश का शासन था। इसी वंश के शासकों ने इस मंदिर के निर्माण में अपना योगदान दिया था लेकिन पुरातत्व विभाग द्वारा मंदिर की वास्तुकला व स्तंभों पर उत्कीर्ण अभिलेखों को लेकर किए गए अध्ययनों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण समय तेरहवीं सदी माना गया है। कटारमल सूर्य मन्दिर को ‘बड़ आदित्य सूर्य मन्दिर’ के नाम से भी जाना जाता है। 

इसका कारण है कि इस मन्दिर में स्थापित भगवान आदित्य की मूर्ति पत्थर या धातु की न होकर बड़ के पेड़ की लकड़ी से बनी हुई है। इस मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर है। कटारमल सूर्य मन्दिर का निर्माण एक ऊंचे व वर्गाकार चबूतरे पर किया गया है। मुख्य मन्दिर के आस पास ही भगवान गणेश, भगवान शिव, माता पार्वती, श्री लक्ष्मीनारायण, भगवान नृसिंह, भगवान कार्तिकेय के साथ ही अन्य देवी देवताओं से संबंधित 45 के करीब छोटे बड़े मन्दिर बने हुए हैं। नागर शैली में बने इस मंदिर की संरचना त्रिरथ है। मन्दिर का ऊंचा शिखर अब खंडित हो चुका है। गर्भगृह का प्रवेश द्वार जो बेजोड़ काष्ठ कला का उत्कृष्ट उदाहरण था, उसके कुछ अवशेषों को नई दिल्ली के राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा गया है। 

इस मंदिर की प्राचीनता को देखते हुए भारतीय पुरातत्त्व विभाग द्वारा इसे संरक्षित स्मारक घोषित किया गया है। पौराणिक कथा के अनुसार सतयुग में उत्तराखण्ड में ऋषि मुनियों पर एक असुर ने अत्याचार किये थे। इस दौरान द्रोणगिरी, कषायपर्वत व कंजार पर्वत के ऋषि मुनियों ने कौशिकी यानि कोसी नदी के तट पर पहुंचकर सूर्य-देव की आराधना की। इसके बाद प्रसन्न होकर सूर्य-देव ने अपने दिव्य तेज को एक वटशिला में स्थापित किया। इसी वटशिला पर ही तत्कालीन शासक ने सूर्य-मन्दिर का निर्माण करवाया। वही मंदिर आज कटारमल सूर्य-मन्दिर के नाम से पूरे विश्व में प्रसिद्ध है।

वोटों का ध्रुवीकरण, मजबूरी या जीत की गारंटी !

विधानसभा चुनावों में मुद्दा विकास नहीं बल्कि ध्रुवीकरण...

वोटों का ध्रुवीकरण, मजबूरी या जीत की गारंटी !

बहस के लिए नए मुद्दे खोजने की जरूरत नहीं पड़ती.मुद्दे खुद-ब खुद सर उठाकर खड़े हो जाते हैं .पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में मुद्दा विकास नहीं बल्कि ध्रुवीकरण है.राजनीति को ध्रुव चाहिए फिर चाहे ये ध्रुव जातियों का हो धर्म का .एक सिक्का खोता साबित होने लगता है तो दूसरे सिक्के को सामने लाकर पेश कर दिया जाता है .अबकी राजनीति के लिए धार्मिक ध्रुवीकरण के बजाय जातीय ध्रुवीकरण के सहारे सिद्ध करने की कोशिश की जा रही है .क्योंकि धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए फिलहाल गुंजाइश कम है .

देश के सबसे बड़े प्रदेश में सत्ता पर अपना कब्जा बनाये रखने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा को ही सबसे ज्यादा मेहनत करना पड़ रही है. भाजपा के लिए फिलवक्त चुनौती समाजवादी पार्टी से है. बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस का जोर है लेकिन इतना नहीं की उसे चुनौती कहा जाये .समाजवादी पाती चूंकि पूरी तरह से जाती आधारित दल है इसलिए उसका मुकाबला भी इसी आधार पर किया जा सकता है ऐसा भाजपा नेतृत्व को लगता है ,और इसीलिए भाजपा ने जातीय आधार पर किलेबंदी शुरू की है .भाजपा प्रत्याशियों की पहली सूची से इसके संकेत भी  साफ़ दिखाई देने लगे हैं .

उत्तर पदेश सहित देश के दूसरे राज्यों में अब राम मंदिर जैसा कोई धार्मिक मुद्दा नहीं रह गया है ,इसलिए भाजपा को मजबूरन सपा की तरह जातियों की तरफ झुकना पड़ रहा है. पिछले दिनों भाजपा में सवर्ण ब्राम्हणों के असंतोष की खबरें बाहर आयीं थी .भाजपा में सरकार में शामिल अनुसूचित और पिछड़ी जातियों का असंतोष भी एक मुद्दा था .हाल ही में स्वामी प्रसाद  मौर्य समेत अनेक मंत्रियों और विधायकों के पार्टी छोड़ने के बाद से ये मुद्दा और गंभीर हो गया था .

अब सवाल ये है कि क्या भाजपा जातीय ध्रुवीकरण कर सत्ता के इस खेल को जीतने में कामयाब हो जाएगी ?भाजपा ने अपने जन्मकाल से लेकर अब  तक धार्मिक और साम्प्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण किया है. जातिवाद उसके लिए आधार नहीं था लेकिन अब 42  साल बाद उसे भी सपा और बसपा की तरह खुलकर जातीय आधार पर राजनीति करना पड़ रही है .राजनीति का वैचारिक आधार पार्श्व में चला गया है .इसे आप भाजपा की विफलता कहें या सफलता ,ये आपके ऊपर है .

आजादी के बाद से राजनीति के लिए जातीय आधार पर प्रत्याशियों के चयन ने जातिवाद के जहर को धीरे -धीरे राजनीति की धमनियों की जरूरत बनाया है. कांग्रेस के जमाने में ये खेल शुरू हुआ लेकिन उस समय चूंकि विपक्ष बेहद कमजोर था इसलिए विपक्ष भी इस जहर का तोड़ नहीं बन सका .लगभग सभी जातियां खासकर अल्प संख्यक और अनुसूचित जातियां कांग्रेस का वोट बैकं बने रहे .इन सबकी ताकत से ही कांग्रेस ने देश में पांच दशक से ज्यादा समय तक अखंड राज किया ,लेकिन जब परिदृश्य बदला और जातिवाद का जहर हिलोरें मारने लगा तो पासा पलट गया .

कांग्रेस की कोख में पल रहा जातिवाद का जहर ही था जिसकी वजह से हिंदी पट्टी में बसपा और सपा जैसे दल जन्मे. दक्षिण की राजनीति में तो पहले से ही जातिवाद राजनीति का आधार था,वहां मंदिर-मस्जिद की लड़ाई थी ही नहीं .वहां ऊंची और नीची जातियां राजनीति के केंद्र में थीं ,इसलिए दक्षिण में राजनीति कभी एक पाले में आयी तो कभी दूसरे पाले में .हिंदी पट्टी में जातिवाद ने सर उठाया तो सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का हुआ .भाजपा को भी इसका खमियाजा भुगतना पड़ा ,लेकिन भाजपा ने धर्म को अपना आधार बनाकर अपने आपको राजनीति में प्रासंगिक बनाये रखा .

आज की तारीख में राजनीति में धर्म के मुकाबले जातिवाद सीना ताने खड़ा है. सभी दलों को इससे जूझना  है लेकिन चुनौती उनके लिए बड़ी है जो सत्ता में हैं या सत्ता पाने के लिए होड़ में सबसे आगे खड़े दिखाई दे रहे हैं .कांग्रेस ने इस खेल से फिलहाल अपने आपको अलग कर रखा है. कांग्रेस इस बार उत्तर प्रदेश में कुछ नए प्रयोग कर रही है .इन प्रयोगों के चलते या तो कांग्रेस को अप्रत्याशित परिणाम मिलेंगे या फिर कांग्रेस एकदम से ध्वस्त हो जाएगी .सत्ता फिलहाल उसके लिए दिवा स्वप्न है .लेकिन इस खेल में भाजपा चकरघिन्नी हो गयी है .सबका साथ,सबका विकास करना भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती है .

भाजपा की पहली सूची से भी यह साफ हो जाता है। हालांकि इतना असर जरूर पड़ा है कि पार्टी जहां पहले सरकार विरोधी माहौल को थामने के लिए बड़ी संख्या में चेहरे बदलने की तैयारी में थी, अब उतने चेहरे नहीं बदले जाएंगे। उसके कई प्रमुख नेता जिन पर टिकट कटने का खतरा मंडरा रहा है, फिर से टिकट पा गए हैं। जिन विधायकों के टिकट काटे हैं, अधिकांश की जगह पर उसी समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं को ही उतारा गया है। दलित समुदाय को संदेश देने के लिए पार्टी ने एक सामान्य सीट पर भी दलित को टिकट दिया है। पार्टी पहले भी इस तरह के प्रयोग करती रही है।

केंद्र में लगातार दूसरी बार सत्ता में आने के बाद से भाजपा सरकार लगातार पिछड़ा, दलित, गरीब, वंचित समुदाय को अपने केंद्र में रखकर काम कर रही है और गरीब कल्याण योजनाओं को ज्यादा तवज्जो दे रही है। उस की विभिन्न योजनाओं घर घर बिजली, गैस सिलेंडर, आयुष्मान योजना, कोरोना काल में गरीबों को मुफ्त अनाज, छोटे किसानों के खातों व महिलाओं खाते में पैसा भेजना, ऐसी योजनायें है जो सीधे तौर पर अधिकांश पिछड़े और दलित समुदाय को ज्यादा लाभ पहुंचाती हैं। ऐसे में पार्टी की रणनीति पिछड़ा और दलित समुदाय पर ही केंद्रित करने की है,लेकिन ये रणनीति कितनी कारगर होगी अभी बताना कठिन है .

भाजपा  ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर से और केशव प्रसाद मौर्य को सिराथू से अपने सामाजिक समीकरणों को केंद्र में रखकर ही चुनाव मैदान में उतारा है। योगी के अयोध्या से लड़ने से पार्टी का एजेंडा और पार्टी ने पिछड़ों और दलितों के बीच जाकर जो मेहनत की थी उस पर पानी फिर सकता था। पार्टी की पूरी चुनावी रणनीति किसी अन्य मुद्दे पर जाने के बजाय सामाजिक समीकरणों पर केंद्रित है। अयोध्या से मुख्यमंत्री के लड़ने की स्थिति में यह स्थिति बदल सकती थी और ऐसा ध्रुवीकरण हो सकता था, जिससे पार्टी को कुछ नुकसान भी हो सकता था। 

यही वजह है कि पार्टी ने बड़े नेताओं को चुनाव मैदान में तो उतारा है, लेकिन इसे कोई धार्मिक ध्रुवीकरण का रूप नहीं दिया है, बल्कि खुद को सामाजिक समीकरणों पर ही केंद्रित रखा है। यही सब पंजाब समेत अन्य राज्यों में दोहराया जा सकता है ,लेकिन सबका ध्यान उत्तर प्रदेश पर ही केंद्रित है ,क्योंकि देश की राजनीति को अंतत:उत्तर प्रदेश की राजनीति ही प्रभावित करने वाली है .देश की राजनीति की भावी दिशा तय करने वाले ये चुनाव दिलचस्प होंगे इसलिए सजग रहिये .

- राकेश अचल

प्रदेश के कुछ हिस्‍सों में कल से छाएंगे बादल, बढ़ेगा रात का तापमान

19-20 जनवरी से एक बार फिर बिगड़ेगा मौसम का मिजाज...

प्रदेश के कुछ हिस्‍सों में कल से छाएंगे बादल, बढ़ेगा रात का तापमान

भोपाल(मध्यप्रदेश)। वर्तमान में पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर हवा के ऊपरी भाग में एक चक्रवात बना हुआ है। इसका विशेष असर मध्य प्रदेश के मौसम पर नहीं पड़ रहा हैं। मौसम विज्ञानियों के मुताबिक रविवार को एक कमजोर आवृति वाला पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में प्रवेश करने जा रहा है। इसके प्रभाव से सोमवार से प्रदेश में आंशिक बादल छाने की संभावना है। इससे रात का तापमान धीरे-धीरे बढ़ सकता है।

मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्‍ठ विज्ञानी पीके साहा ने बताया कि वातावरण में कुछ नमी रहने के कारण राजधानी भोपाल सहित प्रदेश के अधिकतर जिलों में सुबह के वक्त कोहरा या धुंध बनी रहती है। इस वजह से जहां दृश्यता कम बनी रहती है, वहां अधिकतम तापमान में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। उधर रात में धुंध बनी रहने से न्यूनतम तापमान में अपेक्षित गिरावट नहीं हो रही। 

साहा के मुताबिक शनिवार को राजधानी भोपाल का अधिकतम तापमान 20.1 डिग्री सेल्‍सियस दर्ज किया गया। जो सामान्य से चार डिग्रीसे. कम रहा। सिवनी, नौगांव, ग्वालियर में तीव्र शीतल दिन रहा। शाजापुर, इंदौर, खंडवा, भोपाल, गुना, टीकमगढ़, उज्जैन, सागर एवं खजुराहो में शीतल दिन रहा। रविवार को एक पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में प्रवेश करेगा। 

इसके प्रभाव से कहीं-कहीं बादल छाने से रात के तापमान में कुछ बढ़ोतरी होने के आसार हैं। उधर 18 जनवरी को एक तीव्र आवृति वाला पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में दाखिल होगा। यह उत्तर भारत के उत्तर-पश्चिम क्षेत्र में सक्रिय रहेगा। इसके असर से राजस्थान में प्रेरित चक्रवात बनने की भी संभावना है। इससे 19-20 जनवरी से मप्र में मौसम का मिजाज एक बार फिर बिगड़ने लगेगा।

ऐसा कारनामा तो हमारे BSF के जवान ही कर सकते हैं...



शनिवार को एक बार फिर जिले में हुआ कोरोना ब्लास्ट मिले 756 नए संक्रमित

तमाम प्रयासों के बावजूद...

शनिवार को एक बार फिर जिले में हुआ कोरोना ब्लास्ट मिले 756 नए संक्रमित

 ग्वालियर में तमाम प्रयासों के बावजूद कोरोना का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है । बीते एक सप्ताह से संक्रमितों की संख्या पांच सौ से छह सौ के बीच ही स्थिर थी लेकिन आज लंबा उछाल लेते हुए 756 तक पहुंच गई। डॉक्टर्स की आशंका है कि हालात नही सुधरे तो आगामी अड़तालीस घण्टे में ये आंकड़ा हजार को पार कर जाएगा । 

चिंता की बात ये है कि जितने सेम्पल्स  पिछले माह बमुश्किल 10 पॉजिटिव आ रहे थे अब उतने ही सेम्पल्स पर सात सौ से आठ सौ के बीच पहुंच गया है इससे पता चलता है कि यह वायरस कितनी तेजी से फैल रहा है। बावजूद इसके सियासी आयोजन और नेताओं की आवाजाही धड़ल्ले से जारी है। सरकार ने प्रदेश में रैलियों पर रोक लगा रखी है लेकिन नव मनोनीत निगम अध्यक्ष और उपाध्यक्ष जगह-जगह स्वागत कराते घूम रहे है । भिण्ड में रैली के बाद एक साथ कोरोना विस्फोट हुआ।