दक्षिणपंथी समूह द्वारा उग्र उकसावे के बावजूद सिख समुदाय ने बहुत संयम और शांति से जवाब दिया...
न्यूजीलैंड में रोका गया सिखों का धार्मिक जुलूस,उपद्रवी बोले- 'ये भारत नहीं है' !
न्यूजीलैंड में एक सिख धार्मिक जुलूस को उस समय रोकना पड़ा, जब एक स्थानीय दक्षिणपंथी समूह ने उनका रास्ता रोक लिया। स्थानीय दक्षिणपंथी समूह ने भारतीयों का विरोध किया इस दौरान उनका रवैया काफी उग्र था।न्यूजीलैंड के साउथ ऑकलैंड में दक्षिणपंथी समूह ने सिख धार्मिक जुलूस (नगर कीर्तन) में बाधा डाली। इसके बाद विवाद खड़ा हो गया है। बाधा डालने के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गए हैं। वायरल वीडियो में नीली टी-शर्ट पहने लोग ग्रेट साउथ रोड के किनारे खड़े होकर जुलूस के सामने पारंपरिक माओरी 'हाका' करते हुए दिखाई दे रहे हैं, जिससे सिख धार्मिक जुलूस आगे बढ़ने से रुक गया।
हिंसा रोकने के लिए एक्टिव दिखी पुलिस
रिपोर्ट्स के मुताबिक, प्रदर्शनकारी पेंटेकोस्टल पादरी ब्रायन तमाकी के फॉलोअर्स थे, जो डेस्टिनी चर्च के प्रमुख हैं। दक्षिणपंथी समूह को लोगों ने इस दौरान "एक सच्चा भगवान" और "जीसस-जीसस" जैसे नारे लगाए। टकराव के दौरान, पुलिसकर्मियों को किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए दोनों गुटों के बीच पोजीशन लेते हुए देखा गया।
पादरी ने क्या कहा?
पादरी ब्रायन तमाकी ने बाधा डालने का वीडियो सोशल मीडिया मंच एक्स पर शेयर किया और लिखा, "यह हमारी जमीन है। यह हमारा स्टैंड है। आज, सच्चे देशभक्त साउथ ऑकलैंड में अपनी जगह पर डटे रहे। कोई हिंसा नहीं। कोई दंगे नहीं। बस मेरे युवा लड़के हाका कर रहे थे...आमने-सामने...एक साफ संदेश देने के लिए: NZ को NZ ही रहने दो।"
माओरी के बारे में जानें
हाका एक माओरी सांस्कृतिक नृत्य है जो पहचान, गौरव और एकता का प्रतिनिधित्व करता है। यह अक्सर एक ग्रुप द्वारा किया जाता है, जिसमें सांस्कृतिक कार्यक्रमों में जोरदार हरकतों और लयबद्ध रूप से चिल्लाने के साथ पैरों को जोर से पटका जाता है। नगर कीर्तन के आयोजकों ने बाद में कहा कि उनके पास जुलूस के लिए जरूरी मंजूरी थी।
न्यूजीलैंड के राजनेताओं ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
वायरल वीडियो पर जल्द ही न्यूजीलैंड के राजनेताओं की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया आई, जिन्होंने तमाकी और उनके फॉलोअर्स की आलोचना की और देश में सिख समुदाय को अपना समर्थन दिया। एक बयान में, न्यूजीलैंड की सांसद प्रियंका राधाकृष्णन ने कहा कि न्यूजीलैंड ऐसे लोगों का घर है जो 300 से ज्यदा अलग-अलग भाषाएं बोलते हैं, कई धर्मों के हैं और इस देश में कई परंपराएं और त्योहार लाए हैं। उन्होंने कहा, "उदाहरण के लिए, सिख 1800 के दशक के आखिर से यहां हैं। यह बहुत अजीब बात है कि एक आदमी और उसके फॉलोअर्स का ग्रुप यह सोचता है कि वो तय कर सकते हैं कि कौन कीवी है या नहीं और 'कीवी जीवन शैली' क्या है या नहीं।" उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे व्यवहार को सपोर्ट करने से भेदभाव हो सकता है। न्यूजीलैंड की एक और सांसद, ओरिनी कैपारा ने भी इसकी आलोचना की।
'यह हमारा तरीका नहीं है'
एक और सांसद, मारामा डेविडसन ने भी सिखों के साथ एकजुटता दिखाते हुए कहा, "वह खुद को 'पास्टर' कहने वाला आदमी गुस्सा भड़काना चाहता है...हाका का इस्तेमाल नस्लवाद और कट्टरता के लिए उन लोगों के खिलाफ किया जा रहा है जो हम बाकी लोगों की तरह बस जिंदा रहने की कोशिश कर रहे हैं। यह हमारा तरीका नहीं है।"
'ये हरकतें एक आदमी और उसका साथ देने वालों की हैं'
ऑकलैंड के एकेडमिक हरप्रीत सिंह की एक फेसबुक पोस्ट शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, "ये हरकतें एक आदमी और उसका साथ देने वालों ने की हैं, ऐसे लोग जिन्होंने नफरत फैलाने के लिए एक कल्चर और पहचान को हाईजैक कर लिया है। इसकी जिम्मेदारी सिर्फ उन्हीं की है, और मेरा समुदाय भी इसे इसी तरह देखता है...सभी का शुक्रिया जिन्होंने हमारा साथ दिया। हम सिख होने के नाते और न्यूजीलैंडर होने के नाते भी आपके साथ खड़े हैं।"
भारत में देखने को मिली प्रतिक्रिया
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने केंद्र सरकार से अपील की है कि वह न्यूजीलैंड सरकार के साथ साउथ ऑकलैंड में एक शांतिपूर्ण नगर कीर्तन जुलूस में हुई बाधा का मुद्दा उठाए। इस मुद्दे पर पूछे जाने पर, मान ने धुरी में पत्रकारों से कहा कि केंद्र सरकार को यह मामला न्यूजीलैंड सरकार के साथ उठाना चाहिए। मान ने कहा कि सभी को अपने धर्म का प्रचार करने का अधिकार है। पंजाबी मेहनती होते हैं और वो जहां भी जाते हैं, उस जगह के विकास में योगदान देते हैं।
सिख समुदाय ने संयम से दिया जवाब
शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने विदेश मंत्री एस जयशंकर से अपील करते हुए कहा कि वो इस मामले को न्यूजीलैंड सरकार के साथ उठाएं और यह सुनिश्चित करें कि भारतीय आबादी के अधिकारों की रक्षा के लिए कड़े कदम उठाए जाएं और ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति को रोका जाए। बादल ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, "न्यूजीलैंड के साउथ ऑकलैंड में स्थानीय प्रदर्शनकारियों द्वारा शांतिपूर्ण 'नगर कीर्तन' जुलूस में बाधा डालने की कड़ी निंदा करता हूं।
" उन्होंने कहा कि इस तरह की धमकी धार्मिक स्वतंत्रता और सार्वभौमिक भाईचारे की भावना के लिए खतरा है। बादल ने कहा कि नगर कीर्तन सिखों का एक पवित्र और आनंदमय धार्मिक जुलूस है, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब से भजन गाए जाते हैं और भक्ति और एकता को बढ़ावा दिया जाता है। उन्होंने कहा, "मुझे यह देखकर खुशी हो रही है कि उकसावे के बावजूद सिख समुदाय ने गुरु साहिब की 'चढ़दी कला' और 'सरबत दा भला' की शिक्षाओं के अनुसार, बहुत संयम और शांति से जवाब दिया।
'सिख समुदाय ने कल्याण, शांति गति में योगदान दिया'
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि सिख समुदाय ने हमेशा वैश्विक समुदाय के कल्याण, शांति, सहिष्णुता और प्रगति में अनुकरणीय योगदान दिया है। इसके बावजूद, सिख धार्मिक परंपराओं को नफरत की नजर से देखना बहुत निंदनीय है। धामी ने कहा कि सिख धर्म की नींव सरबत दा भला (सभी का कल्याण), भाईचारा और मानवता की सेवा के सिद्धांतों पर टिकी है। नगर कीर्तन सिख धर्म की एक पवित्र धार्मिक परंपरा है जो समाज में आपसी सद्भाव, प्रेम और एकता का संदेश देती है। उन्होंने कहा कि ऐसे धार्मिक कार्यक्रमों का विरोध करना सिख गुरुओं के सार्वभौमिक संदेश पर सीधा हमला है।










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