बिगड़ गया TMC का खेल...
SIR ने खोला बंगाल की राजनीति का सबसे बड़ा राज! घबराईं ममता बनर्जी !
राज्य के बॉर्डर इलाकों में इन दिनों अजीब माहौल है बना हुआ है। बसों में बैठे कई परिवार, छोटे-छोटे बैग लिए लोग, इधर-उधर देखते चेहरे, सीमा चौकियों पर बढ़ती भीड़ आदि। कई रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है जिनमें लोग खुद स्वीकार करते दिख रहे हैं कि "हमारे पास वैध दस्तावेज़ नहीं… पकड़े जाने की वजह से बचने के लिए वापस जा रहे हैं।" इतना ही नहीं... BSF के अनुसार, सीमा पर संदिग्ध समूह लगातार पकड़े जा रहे हैं। यह मामला सिर्फ अवैध प्रवास का प्रमाण नहीं बल्कि उस राजनीतिक तंत्र का खुलासा है जिसे लंबे वक़्त तक छिपाया गया था।
आखिर... ममता बनर्जी SIR के खिलाफ क्यों?
20 नवंबर 2025 को ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर SIR प्रक्रिया को अव्यवस्थित, खतरनाक और जल्दबाजी में शुरू किया गया बताया। लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों का ऐसा मानना है कि असली चिंता कहीं और है।
SIR के बाद
- - फर्जी प्रविष्टियां हट जाएंगी
- - आधार लिंकिंग सख्ती से लागू होगी
- - साल 2002 की वोटर लिस्ट से मिलान अनिवार्य होगा...
UIDAI पहले ही लाखों आधार कार्ड निष्क्रिय कर चुका है। ऐसे में सालों पहले से बने फर्जी कार्ड, राशन और योजनाओं का लाभ बंद हो सकता है। यही वह संरचना है जिस पर 'TMC की वोट राजनीति' कई सालों से टिकी हुई थी।
ममता की रणनीति फेल...
TMC को यह बात पहले से पता थी कि ये प्रभावित समूह विरोध में सड़क पर अवश्य उतरेंगे, जिससे राजनीतिक संदेश जाएगा कि 'जनता चुनाव आयोग के खिलाफ है।' लेकिन आपको जानकार हैरानी होगी कि इसके थी उल्टा हुआ।
- - लोग सड़क पर आने के बजाय एकदम से गायब होने लगे
- - किसी तरह का विरोध हुआ ही नहीं
- - और पलायन की घटनाएँ बढ़ गयीं
बस यही... यह TMC के लिए बड़ा झटका है साबित हुआ क्योंकि "जो वोट बैंक आपका है ही नहीं, वह आपके लिए खड़ा भी नहीं होता।"
राज्य की राजनीति में भूचाल
4 दिसंबर 2025 को वेरिफिकेशन खत्म हो जाएगा और असली वोटर लिस्ट सामने आएगी और तब पता चलेगा कि, कितनी फर्जी प्रविष्टियां हटाई गईं, कितने नाम गलत पाए गए और कितनी आबादी वास्तविक रूप से नागरिक है। अगर बड़े पैमाने पर नाम हटते हैं तो यह 'बंगाल की राजनीति' की सबसे बड़ी जनसंख्या-सर्जरी साबित होगी।










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