मनी लॉन्ड्रिंग केस में एक्शन,PFI पर ED ने कसा शिकंजा, 67.03 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की ...
भारत को इस्लामिक देश बनाना चाहता था PFI: ED
जांच एजेंसी ने NIA की ओर से दर्ज FIR और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा PFI और उसके सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों के आधार पर जांच शुरू की थी. जांच में पता चला कि PFI के पदाधिकारी, सदस्य और कार्यकर्ता भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने और उनके वित्तपोषण के लिए बैंकिंग चैनलों, हवाला और दान के माध्यम से भारत और विदेशों से धन जुटा रहे थे.
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर बड़ी कार्रवाई करते हुए 67.03 करोड़ रुपए मूल्य की आठ अचल संपत्तियों को कुर्क किया है. ये संपत्तियां विभिन्न ट्रस्टों और PFI के राजनीतिक मोर्चे सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के नाम पर दर्ज थीं. ED ने प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMALA), 2002 के तहत यह कार्रवाई की है. जांच एजेंसी ने NIA की ओर से दर्ज FIR और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा PFI और उसके सदस्यों के खिलाफ दर्ज मामलों के आधार पर जांच शुरू की थी. जांच में पता चला कि PFI के पदाधिकारी, सदस्य और कार्यकर्ता भारत में आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने और उनके वित्तपोषण के लिए बैंकिंग चैनलों, हवाला और दान के माध्यम से भारत और विदेशों से धन जुटा रहे थे.
ED की जांच में सामने आया कि SDPI, PFI का राजनीतिक मोर्चा है और उसकी गतिविधियों का पूरा नियंत्रण PFI के पास था. SDPI की नीतियां, दैनिक कार्य, चुनावी रणनीतियां और सार्वजनिक कार्यक्रमों का प्रबंधन PFI के वरिष्ठ नेतृत्व द्वारा किया जाता था. जांच के दौरान यह भी पाया गया कि PFI ने SDPI के लिए किए गए खर्चों को गुप्त डेयरियों में दर्ज किया और इन्हें आधिकारिक खातों में नहीं दिखाया. एजेंसी ने खुलासा किया कि PFI और SDPI ने सामाजिक और राहत कार्यों की आड़ में बड़े पैमाने पर फंड जुटाया, जिसे भारत में हिंसक और आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए इस्तेमाल किया गया.
भारत को इस्लामिक देश बनाना चाहता था PFI: ED
ED ने बताया कि इन गतिविधियों का उद्देश्य भारत को एक इस्लामी राष्ट्र बनाना था, जिससे देश की एकता, अखंडता और धर्मनिरपेक्षता को गंभीर खतरा पैदा हुआ. अब तक ED ने 28 नेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है, जिनमें SDPI के राष्ट्रीय अध्यक्ष एमके फैजी, महासचिव, अन्य पदाधिकारी और PFI की राष्ट्रीय एवं राज्य कार्यकारी परिषद (एनईसी और एसईसी) के सदस्य शामिल हैं. इन गिरफ्तार व्यक्तियों में वे शारीरिक शिक्षा (पीई) प्रशिक्षक भी हैं जो PFI के सदस्यों को हथियार प्रशिक्षण और युद्धाभ्यास सिखाने में शामिल थे.
आतंकी संगठन सिमी से जुड़े थे PFI के तार
जांच में यह भी पता चला कि PFI के कई विचारक और संस्थापक सदस्य पूर्व स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) से जुड़े थे. सिमी, जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा थी, जिसे बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद प्रतिबंधित कर दिया गया था. इसी अवधि में PFI के वरिष्ठ सदस्यों ने राष्ट्रीय विकास मोर्चा (एनडीएफ) के बैनर तले विभिन्न ट्रस्टों की स्थापना की और उन्हीं के माध्यम से संपत्तियों को पंजीकृत किया. ED द्वारा जब्त किए गए अभिलेखों में PFI के कई वित्तीय और संपत्ति रिकॉर्ड मिले हैं, जिनमें ट्रस्टों के नाम, संपत्ति के सर्वेक्षण नंबर, बिक्री विलेखों के मूल्य और बाजार दरों तक का विस्तृत ब्यौरा दर्ज था.
ईडी ने पीएफआई की 8 संपत्तियां कुर्क कीं
यह डॉक्यूमेंटेशन यह दिखाता है कि PFI ने संगठित और सुनियोजित तरीके से अपनी संपत्तियों का प्रबंधन किया. जांच के दौरान यह भी सामने आया कि PFI ने अपनी संपत्तियों पर 'शारीरिक शिक्षा (पीई)' प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए, जिनमें विभिन्न हथियारों के उपयोग और आक्रामक-रक्षात्मक युद्धाभ्यास सिखाए जाते थे. इन प्रशिक्षणों का उद्देश्य संगठन के जिहादी एजेंडे को आगे बढ़ाना और प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं का उपयोग गैरकानूनी गतिविधियों में करना था. ED ने जिन 8 संपत्तियों को कुर्क किया है, उनमें ग्रीन वैली फाउंडेशन, अलप्पुझा सामाजिक सांस्कृतिक एवं शिक्षा ट्रस्ट, पंडालम शैक्षिक एवं सांस्कृतिक ट्रस्ट, पथानामथिट्टा, इस्लामिक सेंटर ट्रस्ट और वायनाड के नाम शामिल हैं.
क्या है पीएफआई की इतिहास?
पीएफआई का मतलब पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) है. इसका गठन साल 2006 में नेशनल डेवलपमेंट फ्रंट (NDF) के विलय के बाद हुआ. NDF 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद केरल में स्थापित एक विवादित संगठन था. इसे मुस्लिम अल्पसंख्यक राजनीति की एक चरमपंथी और विशिष्ट शैली में संलग्न बताया गया है. 2022 में भारत सरकार द्वारा गैरकानूनी घोषित एक इस्लामी राजनीतिक संगठन है. इसे आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्तता के कारण प्रतिबंधित किया।










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