G News 24 : "आई लव मोहम्मद" के सहारे,कुछ मौलानाओं,मुस्लिम युवाओं को बहकाकर सत्ता की फ़िराक में विपक्ष!

 सत्ता के भूखे भेड़िये हर राज्य के हर शहर में छिपे बैठे हैं ...

"आई लव मोहम्मद" के सहारे,कुछ मौलानाओं,मुस्लिम युवाओं को बहकाकर सत्ता की फ़िराक में विपक्ष!

कानपुर से शुरू हुआ आई लव मोहम्मद पर विवाद बरेली पहुंचकर हिंसक हो गया। हिंसा के बाद राज्य सरकार कार्रवाई कर रही है। इस हफ्ते जुमे की नमाज के दौरान सख्त चौकसी बरती गई। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार दंगाइयों को अल्टीमेटम दे रहे हैं। इस हफ्ते खबरों के खिलाड़ी में इसी पर चर्चा हुई। चर्चा के लिए वरिष्ठ विनोद अग्निहोत्री, राकेश शुक्ल, पूर्णिमा त्रिपाठी, अवधेश कुमार और अनुराग वर्मा के साथ मौलाना अंसार रजा मौजूद रहे। 

मौलाना अंसार रजा- ये शब्द पैगंबर साहब के सम्मान के खिलाफ है। जो लोग नबी के नाम पर राजनीतिक मुद्दा बनाकर राजनीति की रोटियां सेंकना चाहते हैं उन्हें खुदा से डरना चाहिए। अब लोगों ने उसकी नुमाइश करना शुरू कर दिया है। जिस तरह से बातें की गई हैं। मुझे लगता है योगी आदित्यनाथ ने जिस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया है वो न तो किसी साधु के लिए सही है न ही किसी शासक के लिए सही हैं। इसके बाद भी मैं अपने कौम के युवाओं से कहना चाहूंगा कि वो किसी की बहकावे पर नहीं आए। कानून अपने हाथ में नहीं ले और संविधान आपको जिसकी इजाजत देता है उसी के हिसाब से काम करें। 

अवधेश कुमार- जो प्रतिक्रिया के स्वरूप चीजें हो रही हैं मैं उसका भी समर्थन नहीं करता हूं। तौकीर रजा को जब मायावती ने गिरफ्तार किया गया तो तीसरे दिन उन्हें छोड़ना पड़ा। अखिलेश यादव की सरकार में तो उन्हे लाल बत्ती तक मिली थी। योगी सरकार आने के बाद जो लोग दंगों के जरिए दबाव बनाने का काम करते थे ये उनकी छटपटाहट है। 

पूर्णिमा त्रिपाठी: चाहे कोई भी धर्म हो जब वो सड़क पर इस तरह से आएगा तो ऐसी नौबत आएगी। लोगों को यह तय करना है कि धर्म को अपने घर पर रखें, अपने मंदिर-मस्जिद तक रखें। आई लव मोहम्मद हमने पहले कभी नहीं देखा था। योगी जी ने जो भी एक्शन लिया उसमें वो बिल्कुल सही हैं, मुख्यमंत्री होते हुए यह उनका काम है। हालांकि, जिस तरह की भाषा का वो इस्तेमाल करते हैं क्यों वो किसी संत को किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति को शोभा देती है? 

राकेश शुक्ल- योगी आदित्यनाथ आठ साल से राज्य में शासन कर रहे हैं। क्या इतने साल में उत्तर प्रदेश में मुस्लिम आबादी खत्म हो गई। ऐसा नहीं हुआ है। देश में सबसे ज्यादा आबादी वाला राज्य आज भी उत्तर प्रदेश है। आई लव मोहम्मद का जन्म भारत में नहीं हुआ। ये 2004 से दुनिया के दूसरे देशों में देखने को मिलता रहा है। तौकीर रजा जैसे लोग इस तरह के मामलों का इस्तेमाल टूलकिट की तरह करते हैं। आई लव मोहम्मद जैसा शब्द तो इस्लाम में स्वीकार्य ही नहीं है। 

अनुराग वर्मा- दिल्ली में जो दंगे हुए उसको जब जांचा गया तो वो भी एक टूलकिट का हिस्सा निकला था। ये कोई नई चीज नहीं है। पहले ये माउथ टू माउथ होता था। अब यह डिजिटल रूप ले चुका है। यह जमानों से हो रहा है। योगी आदित्यनाथ की भाषा की जहां बात है तो उन्होंने कहा कि डेंटिंग पेंटिंग की जाएगी, तो क्या वो बोलेंगे कि उन्हें मंच पर बुलाकर माला पहनाएंगे? 

विनोद अग्निहोत्री -भीड़ का तंत्र हमेशा अराजकता पैदा करती है। उसकी निंदा की जानी चाहिए। आई लव मोहम्मद का जो विवाद शुरू हुआ उसे स्थानीय स्तर पर खत्म कर सकती थी, लेकिन पुलिस की मिसहैंडलिंग की वजह से ये बढ़ा। जब ये मामला बरेली पहुंचा तो तौकीर रजा को भीड़ इकट्ठा करने का मौका क्यों दिया गया? राजनीति की जहां तक बात है तो राजनीति एक पक्ष से नहीं होती बल्कि ये दोनों पक्षों से होती है। ध्रुवीकरण की राजनीति उत्तर प्रदेश में कोई नई बात नहीं है। इसका फायदा नुकसान पार्टियों को हो न हो सबसे ज्यादा नुकसान आम आदमी को होता है। किसी कौम विशेष को अपराधी कह देना गलत है। अपराधी हर कौम में होते हैं।

Reactions

Post a Comment

0 Comments