दिसंबर से सभी निकायों में शुरू होगी व्यवस्था...
कैमरे पर चेहरा दिखेगा तभी लगेगी अटेंडेंस,अब एआई आधारित अटेंडेंस की नई व्यवस्था !
भोपाल। मध्य प्रदेश के सरकारी कार्यालयों में कर्मचारी समय पर पहुंचें और पूरे समय ऑफिस में रुककर काम करें, इसके लिए राज्य शासन अटेंडेंस की व्यवस्था को और पारदर्शी बनाने जा रही है। ऑफिस पहुंचकर रजिस्टर में साइन कर अटेंडेंस लगाने की व्यवस्था खत्म कर बायोमेट्रिक अटेंडेंस शुरू की गई थी, राज्य शासन द्वारा नगरीय निकायों और स्वास्थ्य विभाग में इसे लागू किया गया था।
अब प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र से लेकर सभी नगरीय निकायों के कर्मचारियों को फेस रिकग्निशन अटेंडेंस सिस्टम से जोड़ा जा रहा है। इसमें भी इस तरह की व्यवस्था की जा रही है कि फेस रिकग्निशन अटेंडेंस भी तभी लगेगी, जब कर्मचारी ऑफिस पहुंच जाएगा। इसके लिए सॉफ्टवेयर को ऑफिस की लोकेशन से जोड़ा जा रहा है।
दिसंबर से सभी निकायों में शुरू होगी व्यवस्था...
प्रदेश के विभागों में कर्मचारियों की अटेंडेंस के लिए अभी बायोमेट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था चल रही है, लेकिन बार-बार मशीन खराब होने और इसके बेहतर रिजल्ट न आने के चलते राज्य शासन द्वारा एआई आधारित सिस्टम से अटेंडेंस को जोड़ा जा रहा है। अभी तक प्रदेश के 124 निकायों को इससे जोड़ा जा चुका है। इसमें इन निकायों के करीब 11 हजार कर्मचारी अधिकारियों द्वारा फेस रिकग्निशन के जरिए अटेंडेंस लगाई जा रही है। इसके रिजल्ट भी बेहतर आए हैं।
इसके लिए नगरीय विकास एवं आवास संचालनालय ने एक सॉफ्टवेयर तैयार कराया है। इसको प्रदेश के अलग-अलग जिलों के नगरीय निकायों की लोकेशन से जोड़ा गया है। इसमें इस तरह का सिस्टम तैयार किया गया है कि जब कर्मचारी ऑफिस पहुंचेंगे तभी अटेंडेंस लग सकेगी। यानी घर बैठे कर्मचारी अटेंडेंस नहीं लगा सकेंगे। यह अटेंडेंस कर्मचारी के मोबाइल या फिर ऑफिस के डेस्कटॉप पर मौजूद ऐप से ही लग सकेगी। अटेंडेंस के साथ कर्मचारी की रियल टाइम फोटो और ऑफिस की लोकेशन दोनों अटैच होगी। नगरीय प्रशासन विभाग के कमिश्नर संकेत भोंडवे के मुताबिक इससे कर्मचारियों के ऑफिस न पहुंचने की शिकायतें खत्म होंगी और कार्यक्षमता बढ़ेगी।
सभी विभागों में लागू हो रही व्यवस्था...
नगरीय निकायों के पहले स्कूल शिक्षा विभाग में भी फेस रिकग्निशन अटेंडेंस शुरू की गई है। नगरीय निकायों के साथ ही स्वास्थ्य विभाग में भी यह सिस्टम लागू किया जा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तक इस व्यवस्था को जोड़ा जा रहा है, ताकि यहां डॉक्टर्स की उपस्थिति को सुनिश्चित किया जा सके। इसके अलावा सभी मेडिकल कॉलेजों में भी इस व्यवस्था को लागू किया जा रहा है।










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