G NEWS 24 : आंदोलन के नाम पर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़

सत्ता की भूख और लोकतंत्र पर हमला...

आंदोलन के नाम पर युवाओं के भविष्य से खिलवाड़

भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में सत्ता परिवर्तन का एकमात्र रास्ता जनता का जनादेश है। लेकिन दुख की बात यह है कि सत्ता के भूखे भेड़ियों ने जनता के फैसले की इज्ज़त करने के बजाय आंदोलनों और झूठे नैरेटिव्स के सहारे लोकतांत्रिक सरकारों को अस्थिर करने का षड्यंत्र रच रखा है।

पड़ोसी देशों से सबक

श्रीलंका में सत्ता पलट के पीछे बेरोजगार युवाओं को बरगलाने की राजनीति रही। बांग्लादेश में विपक्षी ताकतों ने सड़क पर संघर्ष के नाम पर युवाओं के सपनों को तोड़ा। नेपाल में भी वही प्रयोग हुआ—अराजकता और झूठे वादों के जाल में फंसाकर युवाओं का भविष्य अंधकार में धकेला गया।

क्या यही प्रयोग भारत में भी नहीं किए जा रहे? कभी किसान आंदोलन, कभी आरक्षण के नाम पर, ईवीएम मशीन में गड़बड़ी,कभी वोट चोरी जैसे, तमाम उकसावे वाले नेरेटिव चलाकर, तो कभी फर्जी प्रचार से युवाओं को गुमराह करने की कोशिशें निरंतर होरही है। यह सब किसी “स्वाभाविक आंदोलन” का हिस्सा नहीं, बल्कि योजनाबद्ध सत्ता प्राप्त करने के लिए किया जाने वाला षड्यंत्र है।

यह तो भारत का सौभाग्य कि यहां का युवा है जागरूक 

ईश्वर का शुक्र है कि भारत का युवा अब समझदार है। वह जानता है कि उसकी असली ताकत शिक्षा, कौशल और उद्यमिता में है, न कि कुछ अवसरवादी नेताओं की भीड़ राजनीति में। अगर भारत का युवा जागरूक न होता तो आज हमारे देश की सड़कों पर भी श्रीलंका जैसी अराजकता और बांग्लादेश जैसा खूनखराबा देखने को मिल चुका होता।

सवाल देश के भविष्य का

आख़िर सत्ता के लिए लोकतंत्र को गिरवी रखने की यह राजनीति कब तक चलेगी? क्या देश की प्रगति, विकास और युवाओं के सपनों से बड़ा कोई राजनीतिक लालच हो सकता है? आज यह सवाल हर नागरिक को खुद से पूछना होगा। "सत्ता के भूखे नेता आंदोलन खड़ा करते हैं, और उसकी कीमत किसी भी  देश का युवा अपनी जान देकर चुकाता है या फिर युवा अपना करियर, अपना भविष्य दांव पर लगाकर चुकता है!"

यह समय है कि देश का हर युवा अपनी ऊर्जा रचनात्मक कार्यों में लगाए और ऐसे राजनीतिक प्रयोगों को ध्वस्त कर दे जो केवल सत्ता की भूख मिटाने के लिए किए जा रहे हैं, भारतीय युवा न सिर्फ ऐसे प्रयोगों को ध्वस्त करें बल्कि इस प्रकार का प्रयोग करने वालों को सबक सिखा कर घर बैठने का काम भी करें। क्योंकि देश सुरक्षित, तो हम सुरक्षित और हम सुरक्षित तो, हमारे अधिकार भी सुरक्षित रहेंगे।

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