G NEWS 24 : हमारा पड़ोसी मुल्क वैश्विक आतंकवाद का केंद्र : एस जयशंकर

संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र में पाकिस्तान पर साधा निशाना...

हमारा पड़ोसी मुल्क वैश्विक आतंकवाद का केंद्र : एस जयशंकर

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कड़े लहज़े में पाकिस्तान पर निशाना साधा। ऑपरेशन सिंधु के बाद यह पहला UNGA सत्र था जिसमें भारत ने वैश्विक मंच से आतंकवाद के मुद्दे पर अपनी स्पष्ट और दृढ़ स्थिति रखी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने हाल ही में UNGA में अपने संबोधन में भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे, भारत ने जयशंकर के आरोपों को खारिज कर दिया था।

जयशंकर ने अपने संबोधन में कहा कि भारत की जीरो टॉलरेंस पॉलिसी आतंकवाद के प्रति अडिग रही है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि “जब राष्ट्र खुलेआम आतंकवाद को अपनी राजकीय नीति घोषित करते हैं, जब आतंकवादी ठिकाने औद्योगिक पैमाने पर संचालित होते हैं और आतंकवादियों का सार्वजनिक रूप से महिमामंडन होता है, तो ऐसी कार्रवाइयों की स्पष्ट निंदा होनी चाहिए।” उन्होंने पाकिस्तान को सीधे कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि “हमारा पड़ोसी मुल्क वैश्विक आतंकवाद का केंद्र बन चुका है, और ऐसे देशों के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ठोस एक्शन लेना चाहिए।”

अपने भाषण की शुरुआत में जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र की ऐतिहासिक भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि उपनिवेशवाद के अंत के साथ देशों ने अपनी प्राकृतिक विविधता को अपनाया और संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता कई गुना बढ़ गई। वैश्वीकरण के दौर में विकास लक्ष्य केंद्र में रहे, जलवायु परिवर्तन साझा प्राथमिकता बनकर उभरा और व्यापार, खाद्य एवं स्वास्थ्य सेवाओं को वैश्विक कल्याण से जोड़ा गया। जयशंकर ने कहा, “संयुक्त राष्ट्र अधिकारपत्र हमसे न केवल युद्ध रोकने, बल्कि शांति स्थापित करने का आह्वान करता है। न केवल अधिकारों की रक्षा करने, बल्कि प्रत्येक मानव की गरिमा को बनाए रखने का भी आह्वान करता है।” 

उन्होंने भारत की ओर से विश्व को संदेश देते हुए कहा कि शांति, सहयोग और साझेदारी ही वैश्विक स्थिरता का आधार हैं। UNGA के उच्च स्तरीय सत्र के दौरान जयशंकर ने विभिन्न देशों के विदेश मंत्रियों से भी मुलाकात की। इन बैठकों का उद्देश्य द्विपक्षीय संबंध मजबूत करना और वैश्विक मुद्दों पर साझा दृष्टिकोण तैयार करना था। कुल मिलाकर, एस. जयशंकर का यह संबोधन भारत की दृढ़ कूटनीतिक आवाज के रूप में दर्ज किया गया, जिसने एक बार फिर दुनिया को यह याद दिलाया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत न तो पीछे हटेगा और न ही चुप बैठेगा।

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