चंद्रग्रहण को लेकर अजीब प्राचीन मान्यताएं...
आज रात लगने वाला है चंद्रग्रहण, जो भारत समेत कई जगहों पर दिखेगा !
रविवार की रात चंद्रग्रहण लगने वाला है, जो भारत समेत कई जगहों पर दिखेगा. ये अपने आप में अनोखी खगोलीय घटना है, जो कई मायनों में अन्य चंद्रग्रहणों से अलग है. चंद्रग्रहण को लेकर अलग-अलग सभ्यता और संस्कृतियों में अनेक मान्यताएं और कहानियां प्रचलित हैं, जो खगोलीय घटना को वैज्ञानिक नहीं बल्कि धार्मिक, रहस्यमय या सांस्कृतिक नजरिए से देखती हैं.
'ब्लड मून' कब दिखाई देगा और इसे कैसे देखें...
"ब्लड मून" यानी पूर्ण चंद्रग्रहण 7 सितंबर को भारतीय समयानुसार रात 11:00 बजे शुरू होगा. जो 8 सितंबर की रात 12:22 बजे समाप्त होगा. चंद्रमा पृथ्वी की बाहरी छाया में ढलते ही थोड़ा पहले, लगभग रात 10:01 बजे, उपछाया चरण में प्रवेश करेगा. जहां सूर्य ग्रहण को देखने के लिए विशेष चश्मे या पिनहोल प्रोजेक्टर की जरूरत होती है तो वहीं चंद्र ग्रहण को बिका किसी विशेष लैस यानी नंगी आंखों से भी देख सकते हैं.
भारतीय सनातन परंपरा में ...
चंद्रग्रहण को राहु-केतु की पौराणिक कथा से भी जोड़ा जाता है. मान्यता है कि एक राक्षस (स्वरभानु) का सिर राहु बनकर चंद्रमा को निगलता है, जिससे ग्रहण होता है. चंद्रग्रहण में खासकर ब्लड मून की स्थिति में गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानी रखी जाती है. ग्रहण के दौरान शुभ कार्य, पूजा-पाठ वगैरह भी नहीं होते. हालांकि सनातन से उलट इस्लामिक मान्यता में इसे अशुभ नहीं माना जाता. और भी अलग-अलग सभ्यताओं में चंद्रग्रहण को लेकर अलग-अलग मान्यताएं हैं.
ग्रहण समाप्ति के बाद ...
- स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- घर और पूजा स्थल की सफाई करें।
- भगवान को भोग लगाएं और दीप जलाएं।
- बचा हुआ भोजन त्याग दें। यदि उसमें ग्रहण से पहले तुलसी या कुशा की पत्तियां डाली हो तभी उसका सेवन करें।
- जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान करें ।
चीन: ड्रैगन निगल जाता है चांद को ...
प्राचीन चीन में ग्रहण को दिव्य संकेत और सम्राट के भविष्य से जोड़कर देखा जाता था. वहां ऐसी मान्यता थी कि कोई बड़ा अजगर या ड्रैगन चंद्रमा को निगल जाता है. ग्रहण के समय लोग ढोल बजाकर आवाज करते थे ताकि अजगर या ड्रैगन डरकर चंद्रमा को छोड़ दे और वो लौट आए.
दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका ...
दक्षिण अमेरिकी इंका सभ्यता में सूर्यग्रहण को लेकर ये मान्यता थी कि ग्रहण सूर्य देवता की अप्रसन्नता और क्रोध का प्रतीक है और इसे शांत करने के लिए विशेष बलि दी जाती थी. मूल अमेरिका की ओजिब्वा जनजातियों की कथा में ग्रहण को आत्माओं की चेतावनी और संतुलन बिगड़ने का संकेत माना गया. वहीं, पश्चिम अफ्रीका के टोगो-बेनिन क्षेत्र में ग्रहण को सूर्य और चंद्रमा का आपसी झगड़ा माना गया, और इस समय लोग पुराने मतभेदों को सुलझाकर शांति बढ़ाते हैं.
यूरोपीय, नॉर्स और इटली...
प्राचीन यूनान-यूरोप में ग्रहण को देवताओं के क्रोध और आने वाली बुरी घटनाओं का संदेश माना जाता था. नॉर्स (स्कैंडिनेवियाई) मान्यता के अनुसार दो विशाल भेड़िए, स्कोल और हाती, चंद्रमा और सूर्य का पीछा करते हैं और इनके पकड़ने पर ही ग्रहण लग जाता है. इटली में मान्यता है कि ग्रहण के दौरान लगाए गए फूल साल के किसी भी अन्य समय में लगाए गए फूलों की तुलना में अधिक चमकीले और रंगीन होते हैं.
इस्लामिक मान्यता ...
इस्लाम में ग्रहण एक धार्मिक घटना है, जिस दौरान नमाज पढ़ने और दुआ करने का विधान है. इसे अशुभ नहीं माना जाता, बल्कि ऊपरवाले की महानता का स्मरण कराने वाला समय माना जाता है.
इससे पहले कब लगा था पूर्ण चंद्र ग्रहण...
बता दें कि ये चंद्र ग्रहण इस साल का दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा, इससे पहले मार्च में पूर्ण चंद्रग्रहण हुआ था. उससे पहले 2022 में चंद्र ग्रहण लगा था. इसके बाद रविवार को होने वाला चंद्र ग्रहण सबसे लंबा ग्रहण होगा. इसके बाद 12 अगस्त, 2026 को स्पेन और आइसलैंड के कुछ हिस्सों एक दुर्लभ पूर्ण सूर्य ग्रहण दिखाई देगा. जो 2006 के बाद लगने वाला पहला पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा. हालांकि, इस सूर्य ग्रहण को अन्य देशों में आंशिक रूप से देखा जा सकेगा. इस सूर्य ग्रहण को स्पेन के मैड्रिड और बार्सिलोना के बीच लगभग 160 किलोमीटर (100 मील) की पट्टी के रूप में देखा जा सकेगा.
वैज्ञानिक दृष्टिकोण ...
आधुनिक विज्ञान के मुताबिक, ग्रहण महज एक खगोलीय घटना है. चंद्रग्रहण के दौरानपृथ्वी की छाया चंद्रमा पर पड़ती है, जिससे उसका रंग बदल जाता है या अंधेरा पड़ जाता है.
0 Comments