हर भारतीय की सोच,ये होना चाहिए कि “हम भारत के हैं, और भारत ही हमारी पहचान है।”
देश की एकता और अखंडता से बड़ा कोई धर्म, कोई राजनीति और कोई बहाना, किंतु-परंतु नहीं !
"राष्ट्र की पहचान,उसके निशान से धर्म के नाम पर खिलवाड़, किसे खुश करने के लिए,
फिर कहते हैं हमारी देशभक्ति पर शक किया जाता है"
देश की एकता और अखंडता से बड़ा कोई धर्म, कोई राजनीति और कोई बहाना नहीं हो सकता। पर अफसोस, कुछ स्वयंभू धर्म और समाज के ठेकेदार बार-बार नए बहाने गढ़कर भीड़ को भड़काने और देश को अपमानित करने का काम करते हैं। हाल का प्रकरण, जिसमें हजरतबल दरगाह में अशोक चिन्ह के खिलाफ उन्माद फैलाया गया, इस बात का ज्वलंत उदाहरण है कि कैसे राजनीति और मज़हबी उन्माद मिलकर राष्ट्र की आत्मा को ठेस पहुंचाते हैं। मुस्लिम समाज के कुछ तथाकथित ठेकेदारों की गजब की राजनीति है, इन्हें, पाकिस्तान के प्रति वफादारी दिखाने और देश का अपमान करने के लिए इन्हें नए-नए बहाने चाहिए !
अशोक चिन्ह को हजरतबल दरगाह में ऐसे समाज के ठेकेदारों द्वारा भीड़ को भड़का कर तहस-नहस करवा कर देश का अपमान करवाया, वे ठेकेदार ये भूल जाते हैं की वही अशोक चिन्ह वाला ₹1 का सिक्का हो या 2000 का नोट, इन सब पर भी यही निशांन है !और जब ये नमाज पढ़ने जाते हैं ये उनकी जेब में ही इनके साथ होता है!
जिस पासपोर्ट की ताकत पर ये हज करने जाते हैं, उसे पर भी यही निशांन है ! जब आप हज करने जाते हैं तब भी तो ये आपकी जेब में पासपोर्ट होता है ! जिसकी वजह से हाजियों को मक्का में ससम्मान प्रवेश मिलता है ! तब तो आपको यह हराम नहीं लगता ! धर्म के खिलाफ नहीं लगता !
ऐसी न जाने कितनी बातें हैं जो मैं यहां गिना सकता हूं लेकिन छोड़ो... सिर्फ इतना कहूंगा कि जब फायदा चाहिए तो, इनको कुछ भी मजहब के खिलाफ नहीं लगता, ना ये इनके लिए हराम होता है ! लेकिन जब इनको राजनीतिक रोटियां सेकनी है,अपने स्वार्थ साधने हो, तब इनके लिए राष्ट्र का झंडा, राष्ट्र के निशान, सब कुछ हराम हो जाता हैं, देश से बढ़कर इनके लिए इनका मजहब हो जाता है !"राष्ट्र की पहचान,उसके निशान से धर्म के नाम पर खिलवाड़, किसे खुश करने के लिए, फिर कहते हैं हमारी देशभक्ति पर शक किया जाता है"
दोहरी मानसिकता पर सवाल...
- जिन्हें अशोक चिन्ह आपत्तिजनक लगता है, वही चिन्ह !
- जिस राशन कार्ड की दम पर यह फ्री का गेहूं चावल खाकर देश को गालियां देते हैं उसे पर भी यही निशांन है ! तब यह आराम नहीं होता !
- जिस ड्राइविंग लाइसेंस की ताकत पर ये देश की सड़कों पर कार स्कूटर चलते घूमते हैं उस पर भी यही निशांन है ! तब यह हराम नहीं होता !
- जिस आधार कार्ड के दम पर सभी जरूरतमंद मुस्लिम सरकारी योजनाओं का लाभ लेते हैं उस पर भी यही निशांन हैं ! तब मजहब का अपमान नहीं होता !
- रोज़ाना उनकी जेबों में पड़ा रहता है—₹1 से लेकर ₹2000 तक के नोट और सिक्कों पर।
- पासपोर्ट पर यही चिन्ह है, जिसके दम पर हज यात्रा होती है।
- जब मंच पर भीड़ जुटानी हो, तो वही चिन्ह हराम हो जाता है—क्या यही असली ईमान है?
- सड़कों पर जब खुले में सड़कों पर या सार्वजनिक स्थानों नवाज पड़ते तब मजहब का सम्मान कहां चला जाता है क्योंकि सड़क पर तो तमाम तस्वीरें मूर्तियां और न जाने क्या क्या होता है। तो भाइयो समझो ये सिर्फ राजनैतिक लोग हैं जो मजहब/धर्म के नाम पर चंद लोगों को भड़काकर अपना उल्लू सीधा करते हैं और इसका खामियाजा पूरी सोसाइटी भरती है।
“हम भारत के हैं, और भारत ही हमारी पहचान है।”
- ये यह क्यों नहीं समझते कि देश है, तो ये हैं, ये हैं तो मजहब/धर्म है !
- हर भारतीय की सोच,ये होना चाहिए कि “हम भारत के हैं, और भारत ही हमारी पहचान है।”
- देश की एकता और अखंडता से बड़ा कोई धर्म, कोई राजनीति और कोई बहाना, किंतु-परंतु नहीं !
जनता को मूर्ख बनाने की राजनीति...
विरोध असल में धर्म का नहीं, बल्कि राजनीति का खेल है। समाज को बरगलाना, जनता को बांटना और भीड़ की आड़ में अपनी रोटियां सेंकना ही इन ठेकेदारों की नियति बन गई है। यही वजह है कि आम मुस्लिम भाई-बहन, जो मेहनतकश और ईमानदारी से जीने वाले हैं, संदेह की नज़रों से देखे जाते हैं।
देश का सच्चा हित...
भारत का संविधान, उसका अशोक चिन्ह और उसकी पहचान-यह सब हमारी साझा विरासत हैं। इनमें से किसी एक पर भी हमला करना मतलब देश पर हमला करना है। समय आ गया है कि मुस्लिम समाज के आम नागरिक इन ठेकेदारों की असलियत पहचानें ! राजनीतिक लोग देश के आम लोगों को मूर्ख बना रहे हैं ! जहां नेताओं को अपने फायदे की बात दिखती है तो ये मजहब/ धर्म को भूल जाते हैं ! किसी भी बात से, किसी भी चीजसे कोई परहेज नहीं होता है ,और जहां देश की बात आएगी तो य हमारे लिए हराम है, वो हराम है !
वाह क्या गजब की राजनीति करते हैं हमारे देश के नेता,! संभल जाओ मेरे देश के मुस्लिम भाइयों ये नेता सिर्फ आपस में लड़ाना जानते हैं ! कुछ लोग होते हैं जो इनके मकड़-जाल में फंसकर कुछ गलत स्टेप देश के खिलाफ उठा लेते हैं, शायद यही कारण है कि कुछ लोगों की नहीं करतूत की वजह से शक की उंगली सभी पर उठती है ! लोगों पर संदेह किया जाता है! शक नजर से देखा जाता है ! कोई किसी के बहकावे में ना आए,अपने कार्य व्यवहार को बदले फिर देखो यह देश कैसे सबको गले लगा के रखता है !










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