नियमित शिक्षकों को राहत, अतिथि शिक्षकों पर सख्ती...
ऑनलाइन अटेंडेंस न होने से 97 हजार अतिथि शिक्षकों का मानदेय अटका !
भोपाल। शिक्षकों की ऑनलाइन अटेंडेंस को लेकर एक बार फिर विरोध के स्वर उपजे हैं। अतिथि शिक्षकों ने कहा है कि स्कूल शिक्षा विभाग इस मामले में दोहरा रवैया अपना रहा है। नियमित शिक्षको के विरोध के बाद उन्हें इससे मुक्त रखा गया है जबकि वाहवाही लूटने के चक्कर में अतिथि शिक्षकों के पर अधिकारियों ने शिकंजा कसा है। स्कूल शिक्षा विभाग के 72 हजार और जनजातीय कार्य विभाग के 25 हजार अतिथि शिक्षकों का मानदेय दो माह से नहीं दिया गया है। अतिथि शिक्षक संगठन ने सरकार से इस पर पुनर्विचार कर समान व्यवहार लागू करने की मांग की है। इनका कहना है कि दो माह काम करने के बाद भी एंड्रायड मोबाइल न होने से ऑनलाइन अटेंडेंस लगाने से वंचित हजारों अतिथि शिक्षकों को मानदेय से वंचित किया जा रहा है। अतिथि शिक्षक तीन महीने बेरोजगार रहने के बाद सेवा में लगे हैं।
अतिथि शिक्षक समन्वय समिति के प्रदेश अध्यक्ष सुनील सिंह परिहार ने बताया कि अतिथि शिक्षकों को ई अटेंडेंस से दिक्कत नहीं है लेकिन व्यवहारिक समस्याओं और ऐप में व्याप्त विसंगतियों के कारण ई अटेंडेंस व्यवहारिक नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र के हजारों विद्यालयों में नेटवर्क उपलब्ध नहीं हैं। ई अटेंडेंस लगाने पर 502 गेटवे एरर आता है। काफी समय तक लॉगिन और लॉगआउट नहीं हो पाता है। इतना ही नहीं हजारों अतिथि शिक्षकों के पास एंड्रॉयड मोबाइल उपलब्ध नहीं हैं। ये सभी 3 माह से बेरोजगार थे। वर्तमान में दो माह से मानदेय नहीं मिला है। अब दिक्कत यह है कि अतिथि शिक्षक मानदेय भुगतान होने पर एंड्रॉयड मोबाइल उपलब्ध कराएं या परिवार का भरण पोषण करें क्योंकि अतिथि शिक्षकों को वर्गवार 10 हजार, 14 हजार और 18 हजार रुपए मानदेय मिलता है। यदि सरकार स्कूल में ही डिवाइस उपलब्ध करा दे तब स्थिति सुधर सकती है।
संघ के प्रदेश सचिव रविकांत गुप्ता ने कहा कि शिक्षा विभाग के द्वारा एजुकेशन पोर्टल 3.0 में मानदेय भुगतान के लिए मॉड्यूल तैयार किया गया जिसमें केवल ई अटेंडेंस आधार पर मानदेय बन रहा है। पोर्टल में बिना ई अटेंडेंस लगाने वाले अतिथि शिक्षको का मानदेय भुगतान का कोई ऑप्शन नहीं दिया गया है जिससे हजारों अतिथि शिक्षक मानदेय भुगतान से वंचित हो रहे हैं जबकि उनके द्वारा कार्य पूरे माह किया गया है। संगठन के संस्थापक पीडी खैरवार ने बताया कि ई अटेंडेंस के आदेश सबके लिए किए गए थे। एक तरफ स्थायी शिक्षकों को जुलाई, अगस्त माह के वेतन का भुगतान ऑफलाइन उपस्थिति के आधार पर हो चुका है तो अतिथि शिक्षकों का मानदेय रोकने का कोई औचित्य नहीं है। स्थायी शिक्षकों की भांति अतिथि शिक्षकों का भुगतान भी ऑफलाइन उपस्थिति के आधार पर भुगतान किया जाय।










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