डीजीपी को कांग्रेस विधायक के खिलाफ एसआईटी गठित करने का भी निर्देश...
'3 दिन के अंदर कांग्रेस MLA आरिफ मसूद के खिलाफ दर्ज हो FIR': जबलपुर हाई कोर्ट !
जबलपुर हाई कोर्ट ने कांग्रेस विधायक के खिलाफ FIR दर्ज करने का सख्त आदेश दिया है। साथ ही डीजीपी को कांग्रेस विधायक के खिलाफ एसआईटी गठित करने का भी निर्देश दिया है। मध्य प्रदेश की जबलपुर हाई कोर्ट ने भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद के खिलाफ एफआईआर करने के निर्देश दिए हैं। हाई कोर्ट ने कहा कि तीन दिन के अंदर आरिफ मसूद के खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। साथ ही हाई कोर्ट ने डीजीपी को इस मामले में एसआईटी गठित करने का निर्देश दिया है।
फर्जी तरीके से कॉलेज चलाने का मामला...
मालूम हो कि भोपाल में फर्जी तरीके से कॉलेज चलाने के मामले में हाई कोर्ट ने आरिफ मसूद के खिलाफ एफआईआर करने के निर्देश दिया है। हाई कोर्ट में एडीजी कम्युनिकेशन संजीव समी को एसआईटी का प्रमुख बनाया गया है। साथ ही यह निर्देश दिया गया कि दो अधिकारी अपने हिसाब से चुनकर इस अमन एजुकेशन सोसाइटी के फर्जीवाड़े की जांच करें।
नए सत्र के एडमिशन पर रोक...
वहीं, इस पूरे मामले में हाई कोर्ट ने छात्रों के भविष्य को देखते हुए कहा कि फिलहाल आरिफ मसूद का कॉलेज जारी रखा जाएगा। हालांकि, हाई कोर्ट ने नए सत्र के लिए एडमिशन देने पर रोक लगा दी है। वहीं, कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद हाई कोर्ट के स्पेशल के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कह रहे हैं।
20 साल से चल रहा हो ये फर्जीवाड़ा...
जस्टिस अतुल श्रीधर की डबल बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। जज ने हैरानी जताते हुए कहा कि संभव नहीं है कि बिना राजनीतिक संरक्षण के चलते इस तरह से 20 सालों से फर्जीवाड़ा चल रहा हो।
कांग्रेस विधायक ने फर्जी सेल डीड दी...
हाई कोर्ट ने कहा कि आरिफ मसूद के राजनीतिक कनेक्शन ऐसे हैं कि साल 2004 में आरिफ मसूद ने फर्जी सेल डीड दी। उसके बाद भी सरकार ने आरिफ मसूद को दोबारा सेल डीड जमा करने के निर्देश दिए लेकिन दोबारा जमा की गई सेल डीड को 20 साल तक किसी ने भी जांचने की हिम्मत नहीं जुटाई। हाई कोर्ट ने कहा है कि मामले में न केवल आरिफ के खिलाफ कार्रवाई हो बल्कि उन अधिकारी के खिलाफ भी कार्रवाई होना चाहिए, जिनकी इस पूरे मामले में भूमिका है।
रद्द कर दी गई थी मान्यता...
दरअसल, भोपाल से कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद की अमन एजुकेशन द्वारा संचालित कॉलेज की पिछले दिनों मान्यता रद्द कर दी गई थी। उच्च शिक्षा विभाग ने इंदिरा प्रियदर्शिनी कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी थी। इसके पहले कॉलेज को अंतरिम मान्यता मिली थी, लेकिन कॉलेज की ओर से जरूरी कागजात और शर्तें पूरी नहीं करने पर विभाग ने मान्यता रद्द कर दी थी। कांग्रेस विधायक मसूद पर आरोप है कि उन्होंने संस्था के फर्जी दस्तावेज लगाकर कॉलेज की मान्यता ली थी जिसमें संबंधित अधिकारियों की भी नीली भगत के आरोप लगे थे।
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